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पारिस्थितिकी पर्यटन दिशा निर्देश

पारिस्थितिकी पर्यटन: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

थार मरुस्थल- राजस्थान

पारिस्थितिकी पर्यटन दिशा निर्देश: प्रसंग

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में प्रकृति तथा वन्यजीव संरक्षण की बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए वन और वन्यजीव क्षेत्रों में स्थायी पारिस्थितिकी पर्यटन हेतु दिशा निर्देश जारी किए हैं।

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पारिस्थितिकी पर्यटन दिशा निर्देश:मुख्य बिंदु

  • मंत्रालय के अनुसार, नए दिशा-निर्देश वनों, वन्यजीव क्षेत्रों एवं पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले स्थलों के लिए लागू होंगे।
  • यह प्रकृति एवं वन्यजीव संरक्षण की बेहतर समझ को बढ़ावा देगा तथा उन क्षेत्रों में निवास करने वालों समुदायों के लिए आजीविका के अवसर सृजित करने में सहायता करेगा।
  • स्थानीय समुदायों को इस प्रकार से जोड़ा जाना चाहिए कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा दिया जा सके।
  • समुदायों को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करने हेतु आर्थिक रूप से व्यवहार्य मूल्य श्रृंखलाओं के माध्यम से स्वदेशी वस्तुओं के सतत उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • वे पारिस्थितिकी पर्यटन के विकास में हितधारकों के मध्य सहभागिता को बढ़ावा देते हैं एवं साथ ही स्थानीय समुदायों के साथ लाभों के समान बंटवारे को भी बढ़ावा देते हैं।
  • दिशा-निर्देश प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र में एक प्रतिष्ठान के निर्माण एवं स्थानीय समुदायों के साथ राजस्व के बंटवारे का पक्ष पोषण भी करते हैं।

भारत का प्रथम ड्यूगोंग केंद्र

पारिस्थितिकी पर्यटन: डॉल्फिन फील्ड गाइड

  • मंत्रालय ने गंगा एवं सिंधु नदी डॉल्फिन और उनके पर्यावास के अनुश्रवण हेतु एक आधार दिशा निर्देश (फील्ड गाइड) भी जारी किया है।
  • प्रथम बार, एक मानकीकृत अनुश्रवण नवाचार निर्मित किया गया है एवं इसे असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब राज्यों में किए जाने वाले डॉल्फिन गणना अभ्यासों के लिए नियोजित किया जाएगा।
  • डॉल्फिन अनुमानप्रोजेक्ट डॉल्फिनकी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया एवं घटक है।

दीपोर बील आर्द्रभूमि एवं वन्य जीव अभ्यारण्य

पारिस्थितिकी पर्यटन: ‘वेटलैंड्स ऑफ इंडिया पोर्टल’

  • पर्यावरण मंत्री ने वेटलैंड्स ऑफ इंडिया पोर्टलपर एक वेब पोर्टल का विमोचन भी किया।
  • यह आर्द्रभूमियों से संबंधित समस्त सूचनाओं हेतु एकल-बिंदु पहुंच के रूप में कार्य करेगा।
  • प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक डैशबोर्ड विकसित किया गया है ताकि पोर्टल तक पहुंच बनाई जा सके एवं इसे उनके प्रशासन में आर्द्रभूमियों की जानकारी के साथ आबाद किया जा सके।
  • नया वेब पोर्टल राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला, सभी तीनों स्तरों पर एक अनुश्रवण (निगरानी) तंत्र का प्रावधान भी करता है।

जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र

manish

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