Home   »   भारत में कृषि में महिलाएं: कृषि...   »   भारत में कृषि में महिलाएं: कृषि...

भारत में कृषि में महिलाएं: कृषि में लैंगिक मुख्यधारा

भारत में कृषि में महिलाएं: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

 

भारत में कृषि में महिलाएं: प्रसंग

  • हाल ही में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने सरकार द्वारा क्रियान्वित विभिन्न योजनाओं के लिंग आधारित घटकों के बारे में सदन को सूचित किया है।

भारत में कृषि में महिलाएं: कृषि में लैंगिक मुख्यधारा_3.1

भारत में कृषि में महिलाएं: प्रमुख योजनाएं

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, तिलहन एवं ऑयल पाम पर राष्ट्रीय मिशन, सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन, जैसी योजनाओं में महिला किसानों पर कम से कम 30% व्यय उपगत करने का प्रावधान है।
  • केंद्रीय कृषि महिला संस्थान (आईसीएआर-सीआईडब्ल्यूए), भुवनेश्वर, जो आईसीएआर के तहत कार्यरत है, को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में लैंगिक मुद्दों पर शोध करने हेतु अधिदेशित है। इस संस्थान का 100% बजट कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में लिंग विशिष्ट मुद्दों पर अनुसंधान करने हेतु आवंटित किया गया है।
    • सीआईडब्ल्यूए देश के 12 राज्यों में फैले अपने 13 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं (एआईसीआरपी) केंद्रों के माध्यम से कार्य कर रहा है।
  • महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी), दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के एक उप-घटक का उद्देश्य कृषि आधारित आजीविका में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि करने हेतु प्रणालीगत निवेश करके महिलाओं को सशक्त बनाना है।
  • ‘10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन एवं संवर्धनकी केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (एमओए एंड एफडब्ल्यू) ने एफपीओ को अधिक प्रभावी एवं समावेशी बनाने के लिए महिला किसानों/महिला एसएचजी सहित महिला किसानों को सशक्त बनाने हेतु एवं महिला किसानों को अपने शेयरधारकों के रूप में प्राथमिकता देने का प्रावधान करने हेतु विशेष प्रावधान किए हैं।
  • डीएवाई-एनआरएलएम के तहत, महिला स्वामित्व वाले उत्पादक उद्यमों को संग्रहण एवं ल्यवर्धन के माध्यम से अपने कृषि उत्पाद को बेहतर बाजार अधिगम प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) अपने समर्पित कोष यथा उत्पाद कोष (प्रोड्यूस फंड) एवं उत्पादक संगठन विकास कोष (प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशसंस डेवलपमेंट फंड) (पीओडीएफ) के तहत किसानों को उनके कृषि उपज के लिए बेहतर बाजार अधिगम प्रदान करने के माध्यम से आय बढ़ाने हेतु उनका सामूहिकीकरण करने की दिशा में एफपीओ को बढ़ावा दे रहा है।
    • महिलाएं एफपीओ का एक अभिन्न अंग हैं एवं इसलिए, पुरुषों एवं महिलाओं दोनों के किसान सदस्यों को इसके गठन के चरण के दौरान जागरूकता निर्माण के माध्यम से अभिनियोजित किया जाता है।
    • नाबार्ड ने प्रोड्यूस फंड एवं प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशसंस डेवलपमेंट फंड के तहत 5073 एफपीओ को प्रोत्साहन प्रदान किया है, जिसमें से 178 एफपीओ अनन्य रूप से महिला एफपीओ हैं जिनमें 74 लाख शेयरधारक महिला सदस्य हैं।
    • इन महिला एफपीओ द्वारा पशुपालन, मुर्गी पालन, बीज, मशरूम, मसाले, बाजरा, मधुमक्खी पालन इत्यादि के क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियां संचालित की गई हैं।
भारत में हाथियों की मृत्यु स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण को सुदृढ़ करने हेतु व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए नीति दिशानिर्देश प्रमुख संवैधानिक संशोधन अधिनियमों की सूची- भाग 1 प्रमुख नदियाँ एवं उनकी सहायक नदियाँ
कोविड-19: ओमिक्रोन वैरिएंट भूजल स्तर का ह्रास: सरकार द्वारा उठाए गए कदम संसद से सांसदों का निलंबन निपुण भारत योजना
सतत विकास एवं 17 एसडीजी-1 भारत के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान नीति योजना जल घोषणा-पत्र जल क्षेत्र में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियां

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *