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यूएनएफसीसीसी कॉप 27 सम्मेलन 2022- कॉप 27 के लिए भारत का एजेंडा

कॉप 27 सम्मेलन 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण क्यों है। 

यूएनएफसीसीसी सीओपी 27 शिखर सम्मेलन 2022: सीओपी 27 सम्मेलन मिस्र के शर्म अल शेख में आयोजित हो रहा है। सीओपी 27 मिस्र जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यूएनएफसीसीसी सीओपी 27 समिट 2022 यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (जलवायु परिवर्तन एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध)  तथा यूपीएससी मुख्य परीक्षा (यूपीएससी जीएस पेपर 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध) के लिए महत्वपूर्ण है।

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सीओपी 27 समिट 2022: चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, सीओपी 27 सम्मेलन 2022 में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता शुरू हुई।
  • भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे जो 6 से 18 नवंबर तक यूएनएफसीसीसी (सीओपी 27) के पक्षकारों के सम्मेलन के 27 वें सत्र में शामिल होंगे।

 

सीओपी 27 सम्मेलन 2022- प्रमुख विवरण

  • सीओपी 27 सम्मेलन 2022 के बारे में: जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना अभिसमय के पक्षकारों का 27वां सम्मेलन – सीओपी27 – जलवायु आपातकाल से निपटने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों की एक सरणी पर कार्रवाई करने के लिए कॉप26 के परिणामों पर आधारित है।
  • सीओपी 27 एजेंडा: सीओपी27 लोगों एवं ग्रह के लिए ऐतिहासिक पेरिस समझौते को पूरा करने के लिए देशों के बीच नए सिरे से एकजुटता चाहता है।
    • विश्व आज बढ़ते ऊर्जा संकट, रिकॉर्ड हरितगृह गैस संकेंद्रण एवं बढ़ती चरम मौसम की घटनाओं का सामना कर रहा है।
  • सीओपी 27 की तिथियाँ: यूएनएफसीसीसी सीओपी 27 सम्मेलन 2022 6 से 18 नवंबर तक आयोजित हो रहा है।
  • भागीदारी: यूएनएफसीसीसी सीओपी 27 जलवायु सम्मेलन 2022 में 196 देश, 45,000 लोग पता 120 वैश्विक नेता भाग ले रहे हैं।
  • चर्चा के प्रमुख क्षेत्र: सीओपी 27 सम्मेलन 2022 में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा होगी-
    • हरित गृह गैस उत्सर्जन को तत्काल कम करना,
    • प्रतिरोधक क्षमता निर्माण, एवं जलवायु परिवर्तन के अपरिहार्य प्रभावों के अनुकूल होना,
    • विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के वित्तपोषण के लिए प्रतिबद्धताओं को पूरा करना।

 

सीओपी27 के लिए भारत का एजेंडा

  • भारत जलवायु वित्त से संबंधित चर्चाओं एवं इसकी परिभाषा पर स्पष्टता पर पर्याप्त प्रगति की आशा करता है, क्योंकि 200 देशों के अधिकारी सीओपी27 सम्मेलन 2022 के लिए एकत्रित हो रहे हैं।
  • भारत विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त की परिभाषा पर अधिक स्पष्टता सुनिश्चित करने की दिशा में  कार्य करेगा ताकि जलवायु कार्रवाई के लिए वित्त प्रवाह की सीमा का यथार्थ आकलन करने में सक्षम हो सके।
  • भारत ने कहा कि एक परिभाषा के अभाव में विकसित देशों को अपने वित्त को ग्रीनवॉश करने तथा ऋणों को जलवायु संबंधी सहायता के रूप में प्रकट करने की अनुमति प्राप्त होती है।
  • भारत सहित विकासशील देश भी समृद्ध देशों को एक नवीन वैश्विक जलवायु वित्त लक्ष्य के लिए सहमत होने के लिए प्रेरित करेंगे – जिसे जलवायु वित्त पर नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (न्यू कलेक्टिव क्वालिफाइड  गोल ऑन क्लाइमेट फाइनेंस/एनसीक्यूजी) के रूप में भी जाना जाता है – जिसे वे कहते हैं कि खरबों में होनी चाहिए क्योंकि संबोधित करने की लागत तथा जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने में वृद्धि हुई है।
  • वित्तीय गतिशीलता के बढ़े हुए पैमाने पर कोई भी आम सहमति सीओपी27 से एक स्वागत योग्य कदम हो सकता है।
    • पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर होने से बहुत पूर्व विकासशील देशों के लिए 100 बिलियन अमरीकी डालर के आंकड़े पर सहमति बनी थी।
    • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (नेशनल डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशंस/एनडीसी) के आधार पर, विकासशील विश्व की कुल संचयी वित्तपोषण आवश्यकताएं 2030 तक 5.8-5.9 ट्रिलियन अमरीकी डालर की सीमा में कुछ भी हैं।
  • बैठक में, भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गढ़े गए पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट/LiFE) के मंत्र पर भी चर्चा करेगा।
    • “पर्यावरण के लिए जीवन शैली” (लाइफ) एक जन-समर्थक तथा ग्रह-समर्थक प्रयास है जो विश्व को विचारहीन एवं व्यर्थ खपत से प्राकृतिक संसाधनों के सावधानीपूर्वक तथा सुविचारित उपयोग में स्थानांतरित करने का प्रयास करता है।
  • पर्यावरण मंत्रालय ने यह भी कहा कि तदर्थ कार्य समूह में एनसीक्यूजी पर चर्चा संसाधन प्रवाह की मात्रा एवं इसकी गुणवत्ता और दायरे पर केंद्रित होनी चाहिए।
  • पहुंच से संबंधित मुद्दे एवं वित्तीय तंत्र के कार्य में सुधार के लिए सुझाव भी महत्वपूर्ण हैं।
    • प्रवाह की मात्रा तथा दिशा की उचित निगरानी सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता में सुधार अनिवार्य है।

 

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना अभिसमय ( यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट कंट्रोल/यूएनएफसीसीसी) – प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि: पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के परिणामस्वरूप 1992 में यूएनएफसीसीसी पर हस्ताक्षर किए गए थे।
    • पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को पृथ्वी शिखर सम्मेलन, रियो शिखर सम्मेलन अथवा रियो सम्मेलन जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
    • रियो सम्मेलन के दो अन्य परिणाम थे जैव विविधता एवं भूमि पर अभिसमय एवं मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने  हेतु संयुक्त राष्ट्र अभिसमय।
  • यूएनएफसीसीसी के बारे में: यह वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) का कारण बनने वाली हरित गृह गैसों (ग्रीनहाउस गैसेस/जीएचजी) के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए अनुकूलन तथा शमन प्रयासों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई को नियंत्रित करने वाली एक बहुपक्षीय संधि है।
    • इसे क्योटो प्रोटोकॉल (1997) एवं पेरिस समझौता (2015) दोनों की जनक संधि माना जाता है।
    • यूएनएफसीसीसी 21 मार्च 1994 को प्रवर्तन में आया एवं 197 देशों द्वारा इसका इसका अनुसमर्थन किया गया।
    • भारत ने 1993 में यूएनएफसीसीसी का अनुसमर्थन किया।
  • भारत में नोडल एजेंसी: पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज/MoEFCC) भारत में यूएनएफसीसीसी के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।

 

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