Home   »   The Editorial Analysis   »   The Editorial Analysis

संपादकीय विश्लेषण- सहमति का महत्व

भारत में वैवाहिक बलात्कार – यूपीएससी परीक्षा  के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां  एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

संपादकीय विश्लेषण- सहमति का महत्व_3.1

भारत में वैवाहिक बलात्कार: संदर्भ

  • हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने भारतीय दंड संहिता (इंडियन पीनल कोड/आईपीसी) में वैवाहिक बलात्कार को प्रदान किए गए अपवाद को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच में एक विभाजित निर्णय दिया।

 

भारत में वैवाहिक बलात्कार

  • पृष्ठभूमि: वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण करने के प्रश्न पर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक विभाजित  निर्णय ने विवाह के भीतर यौन संबंध (सेक्स) के लिए सहमति की अवहेलना के लिए  विधिक संरक्षण पर विवाद को फिर से जन्म दिया है।
  • आईपीसी में वैवाहिक बलात्कार:  भारतीय दंड संहिता ( इंडियन पीनल कोड/आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद कहते हैं कि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग करना बलात्कार नहीं है, भले ही यह उसकी सहमति के बिना हो।
  • सरकार का मत: केंद्र सरकार वैवाहिक बलात्कार अपवाद को हटाने का विरोध करती रही है।
    • 2016 में, इसने वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि इसे विभिन्न कारणों से “भारतीय संदर्भ में लागू नहीं किया जा सकता”, कम से कम “विवाह को एक संस्कार के रूप में मानने के लिए समाज की मानसिकता” के कारण नहीं।
    • यद्यपि, अंतिम सुनवाई में केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कोई स्टैंड नहीं लिया।

संपादकीय विश्लेषण- सहमति का महत्व_4.1

वैवाहिक बलात्कार पर दिल्ली उच्च न्यायालय का मत

  • पक्ष में: न्यायमूर्ति राजीव शकधर, जिन्होंने हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ की अध्यक्षता की, ने आईपीसी की धारा 375 के अपवाद को असंवैधानिक करार दिया।
    • न्यायमूर्ति शकधर की राय मामले के केंद्र तक जाती है, क्योंकि यह सहमति के अभाव को बलात्कार का  प्रमुख घटक मानता है।
    • उनका कहना है कि जिसे कानून में बलात्कार के रूप में परिभाषित किया गया है, उसे ऐसे ही चिह्नित किया जाना चाहिए, चाहे वह विवाह के भीतर हो अथवा बाहर।
    • उन्होंने पाया कि वैवाहिक अपवाद विधि के समक्ष समता का उल्लंघन करता है, साथ ही महिलाओं को गैर-सहमति से यौन संबंध के लिए वाद चलाने के अधिकार से वंचित करता है।
    • इसके अतिरिक्त, यह महिलाओं के मध्य उनकी वैवाहिक स्थिति के आधार पर भी विभेद करता है एवं उन्हें यौन कार्रवाई तथा स्वायत्तता से वंचित करता है।
  • वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण के विपक्ष में: न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने वाली याचिका को निरस्त कर दिया।
    • उन्होंने कहा कि कानून में कोई भी बदलाव विधायिका द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक तथा विधिक पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता होती है।
    • वह विवाह की संस्था को इस सीमा तक संरक्षित करने के महत्व को प्राथमिकता देते हैं कि उनका मानना ​​है कि कोई भी कानून जो बलात्कार को वैवाहिक संबंधों से बाहर रखता है “हस्तक्षेप से मुक्त है”।

संपादकीय विश्लेषण- सहमति का महत्व_5.1

भारत में वैवाहिक बलात्कार –  आगे की राह 

  • अपवाद के लिए कोई स्थान नहीं: यदि विवाह को समानों के मध्य साझेदारी के रूप में माना जाता है, तो 162 वर्ष पुराने कानून में अपवाद का कोई स्थान नहीं होना चाहिए था।
  • हिंसा के प्रति जीरो टॉलरेंस: जबकि नागरिक संबंधों को नियंत्रित करने वाले अन्य कानून अस्तित्व में हैं जो वैवाहिक अपेक्षाओं को वैध बनाते हैं, इन्हें विवाह के भीतर हिंसा के लिए एक मुक्त पास देने के रूप में नहीं देखा जा सकता है, जो कि सहमति के बिना सेक्स अनिवार्य रूप से है।

 

निष्कर्ष

  • वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक अपराध बनाने के लिए क्या विधायी मार्ग अधिक उपयुक्त है, यह विस्तार का विषय है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यौन हिंसा का समाज में कोई स्थान नहीं है एवं विवाह  नमक संस्था भी इसका अपवाद नहीं है।

 

दूसरा वैश्विक कोविड आभासी सम्मेलन 2022 प्रमुख बंदरगाहों पर अटकी परियोजनाओं को हल करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) दिशानिर्देश मिशन अमृत सरोवर इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स
मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (यूएनसीसीडी)- यूएनसीसीडी का कॉप15 राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन: खेल को एक मौलिक अधिकार बनाना संपादकीय विश्लेषण- द लर्निंग ग्राउंड्स ऑफ यूक्रेन सरकार देशद्रोह कानून (आईपीसी की धारा 124) पर पुनर्विचार करेगी 
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा की संपादकीय विश्लेषण: प्रवासियों का महत्व पैंटानल आर्द्रभूमि के विनष्ट होने का खतरा है, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी श्रीलंका में संकट- श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने त्यागपत्र दिया

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *