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पारस्परिक अधिगम समझौता: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
पारस्परिक अधिगम समझौता: प्रसंग
- हाल ही में, चीन की बढ़ती हुई सैन्य एवं आर्थिक शक्ति की पृष्ठभूमि के विरुद्ध सुरक्षा संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए ऑस्ट्रेलिया एवं जापान के मध्य पारस्परिक अधिगम समझौते (आरएए) पर हस्ताक्षर किए गए थे।
पारस्परिक अधिगम समझौता: मुख्य बिंदु
- किसी भी देश के साथ जापान का प्रथम पारस्परिक अधिगम समझौता (आरएए), ऑस्ट्रेलियाई एवं जापानी सैन्य बलों को रक्षा एवं मानवीय कार्यों (ऑपरेशंस) पर एक-दूसरे के साथ निर्बाध रूप से कार्य करने की अनुमति प्रदान करेगा।
- जापान एशिया में ऑस्ट्रेलिया का सर्वाधिक निकटतम साझेदार है, जैसा कि विशेष रणनीतिक साझेदारी, ऑस्ट्रेलिया की एकमात्र ऐसी साझेदारी से प्रदर्शित होता है।
- यह समझौता ताइवान पर चीनी-दावे पर उत्पन्न तनाव के प्रत्युत्तर में आया है, जो तब बढ़ रहा है जब राष्ट्रपति शी जिनपिंग लोकतांत्रिक रूप से शासित द्वीप पर चीन की संप्रभुता के दावों पर जोर देना चाहते हैं।
- इसके प्रवर्तन में आने के साथ, जापान-ऑस्ट्रेलिया आरएए दोनों देशों के रक्षा बलों के मध्य सहकारी गतिविधियों के क्रियान्वयन की सुविधा प्रदान करेगा एवं द्विपक्षीय सुरक्षा तथा रक्षा सहयोग को और बढ़ावा देगा।
- यह समझौता भारत-प्रशांत क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के लिए जापान एवं ऑस्ट्रेलिया के एक वर्धित योगदान का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
पारस्परिक अधिगम समझौता: महत्वपूर्ण क्यों?
- एशिया एवं भारत-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) के लिए रणनीतिक महत्व के होने के अतिरिक्त, यह समझौता उन प्रवृत्तियों को सुदृढ़ करता है जो इस क्षेत्र में परिवर्तनशील सुरक्षा ढांचे का हिस्सा हैं।
- यह द्विपक्षीय संबंधों एवं क्षेत्रीय समूहों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की दिशा में अमेरिकी केंद्रित नीतियों से दूर जाने को चिन्हांकित करता है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात, एशिया एवं भारत-प्रशांत में सुरक्षा व्यवस्था को विभिन्न प्रतिभागियों के साथ अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों द्वारा चिह्नित किया गया था, जो यूरोप में अमेरिकी रणनीति के विपरीत था, जहां नाटो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया एवं अमेरिका के साथ क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग / चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (अथवा क्वाड), ऑकस एवं अब जापान तथा ऑस्ट्रेलिया के मध्य आरएए, सभी एक अधिक सशक्त एवं प्रतिबद्ध क्षेत्रीय रणनीतिक नेटवर्क की ओर संकेत करते हैं।
- स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत तथा नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के प्रश्न पर ऑस्ट्रेलिया एवं जापान दोनों निरंतर चीन के समक्ष खड़े हैं।
- यह इस बात का भी संकेत है कि जापान इस क्षेत्र में अधिक अग्र सक्रिय भूमिका निभाने का इच्छुक है।
पारस्परिक अधिगम समझौता: भारत की भागीदारी
- भारत ने सुरक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय एवं क्षेत्रीय सहयोग के विस्तार पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
- भारत का टोक्यो (जापान) एवं कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया) दोनों के साथ “2+2” मंत्रिस्तरीय संवाद है।
- फिर भी, उसे इस जुड़ाव को और बढ़ाना होगा, साथ ही इस क्षेत्र के अन्य प्रतिभागियों तक पहुंचना होगा।




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