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डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह की रिपोर्ट

डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह की रिपोर्ट: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

 

डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह की रिपोर्ट: प्रसंग

  • आरबीआई के कार्यकारी निदेशक, श्री जयंत कुमार दास की अध्यक्षता में डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जो ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने एवं नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए डिजिटल उधार पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित एवं सुदृढ़ बनाने पर केंद्रित है।

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डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • कार्य समूह (वर्किंग ग्रुप) की स्थापना डिजिटल लेंडिंग गतिविधियों में तेजी से उत्पन्न होने वाले व्यावसायिक प्रणाली एवं ग्राहक सुरक्षा चिंताओं की पृष्ठभूमि में की गई थी।
  • आरबीआई कार्य समूह ने  विधिक एवं नियामक ढांचे, प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय उपभोक्ता संरक्षण पर सिफारिशें प्रस्तुत की हैं।
  • कुल मिलाकर, रिपोर्ट उपभोक्ताओं को अनियमित डिजिटल ऋणदाताओं से सुरक्षित करने का प्रयास करती है, जो अनुचित अथवा उपद्रवी शर्तों के साथ उधारकर्ताओं का शोषण करने की क्षमता रखते हैं।

 

डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह की रिपोर्ट: इसकी आवश्यकता क्यों है?

  • रिपोर्ट कुछ डिजिटल ऋण अनुप्रयोगों (डिजिटल लेंडिंग ऐप्स) द्वारा डिजिटल लेंडिंग गतिविधियों में स्फुरण एवं कदाचार से उत्पन्न चिंताओं को दूर करने का एक प्रयास है।
  • सिफारिशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्राहक केवल सत्यापित एवं प्रामाणिक माध्यमों से ही ऋण (उधार) लें।
  • जबकि फिन-टेक उद्योग ने डिजिटल लेंडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डीएलएआई) का गठन किया था एवं स्व-नियमन सुनिश्चित करने हेतु एक आचार संहिता निर्धारित की थी, धोखाधड़ी वाले ऐप्स को समाप्त करने में सहायता करने हेतु आरबीआई से स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता थी।

 

डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह की रिपोर्ट: मुख्य सिफारिशें

  • कार्य समूह ने एक नोडल एजेंसी स्थापित करने की सिफारिश की, जो मुख्य रूप से डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र में ऋणदाताओं की तकनीकी साख को सत्यापित करेगी।
  • इसने इन प्रतिभागियों को सम्मिलित करते हुए एक स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के गठन की भी सिफारिश की।
    • एसआरओ का लक्ष्य अच्छे डिजिटल ऋणदाताओं को बुरे डिजिटल ऋणदाताओं से पृथक करना होगा।
  • समूह ने सत्यापित ऐप्स के एक सार्वजनिक रजिस्टर को अनुरक्षित रखने की भी सिफारिश की है।
    • कार्यकारी समूह के निष्कर्षों के अनुसार, भारतीय ऐप स्टोर पर 1,100 ऋण ऐप (लगभग 50%) में से 600 अवैध थे।
  • कार्य दल ने यह भी सिफारिश की कि इन ऐप्स के माध्यम से तुलन पत्र (बैलेंस शीट) ऋण आरबीआई द्वारा विनियमित एवं अधिकृत संस्थाओं तक सीमित होनी चाहिए।
  • साथ ही, सभी ऋण सेवाएं, पुनर्भुगतान को सीधे बैलेंस शीट ऋणदाता के बैंक खाते में निष्पादित किया जाना चाहिए एवं संवितरण सदैव ऋणग्राही के बैंक खाते में किया जाना चाहिए।
    • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लेनदेन विनियमित संस्थाओं के माध्यम से हो रहा है। यह सीधे ऋणग्राही के पास जाता है एवं पुनर्भुगतान किए जाने चुकाए जाने पर यह सीधे विनियमित इकाई के पास आता है।

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डिजिटल ऋण पर आरबीआई कार्य समूह की रिपोर्ट: आगे की राह

  • एक बार स्वीकृत होने के पश्चात, ये पृथक पृथक एवं स्पष्ट सिफारिशें ऋण शार्क को  समाप्त करने में सहायता करेंगे एवं कुछ डिजिटल ऋणदाताओं द्वारा अनुचित प्रथाओं को रोकने में सहायता करेंगे जो बाकी उद्योग को प्रभावित कर रहे हैं।
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