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डेंगू- कारण, लक्षण एवं उपचार

डेंगू- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

डेंगू- प्रसंग

  • एक नागरिक रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी दिल्ली में विगत एक सप्ताह में डेंगू के 1,171 मामले एवं तीन मौतें हुई हैं।
  • जहां इस सीजन में मरने वालों की संख्या नौ पहुंच गई है, वहीं मामलों की संख्या 2,708 है – जो 2017 के पश्चात से सर्वाधिक है।

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डेंगू- प्रमुख बिंदु

  • डेंगू बुखार के बारे में: डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय रोग है जो डेंगू वायरस (जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है।
  • संचरण: डेंगू एडीज प्रजाति के मच्छरों की अनेक प्रजातियों, मुख्य रूप से मादा एडीज एजिप्टी द्वारा प्रसारित होता है।
  • एडीज एजिप्टी के बारे में: एडीज दिन में पोषण करने वाली प्रजाति है एवं 400 मीटर की सीमित दूरी तक उड़ सकती है। एक बार तापमान 16 डिग्री से नीचे जाने पर डेंगू के मच्छर प्रजनन नहीं कर सकते।
    • यह चिकनगुनिया, पीत ज्वर एवं जीका संक्रमण के संचरण के लिए भी जिम्मेदार है।
  • मौसमी प्रतिरूप: प्रत्येक वर्ष जुलाई से नवंबर तक डेंगू के मामलों में तेजी देखी गई है।
    • इस रोग का एक मौसमी प्रतिरूप होता है, अर्थात, चरम स्थिति मानसून के पश्चात आती है एवं यह पूरे वर्ष एक समान रूप से वितरित नहीं होता है।

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डेंगू- जांच का उपयोग डेंगू का पता लगाने हेतु किया जाता है

  • एलिसा परीक्षण: प्रारंभिक रक्त नमूने में डेंगू प्रतिरक्षी (एंटीबॉडी) के लिए आईजीएम एवं आईजीजी पाए जाने से पता चलता है, जिसका अर्थ है कि यह संभावना है कि व्यक्ति हाल के हफ्तों में डेंगू वायरस से संक्रमित हो गया हो।
    • यह परीक्षण सामान्यतः बुखार के 3-7 दिनों के बाद किया जाता है।
    • आईजीएम एवं आईजीजी एंटीबॉडी जांच एवं एनएस1प्रतिजन जांच। दोनों एलिसा किट के माध्यम से किए जाते हैं एवं इसलिए इसे लोकप्रिय रूप से एलिसा परीक्षण के रूप में जाना जाता है।
  • एनएस प्रतिजन जांच: यह डेंगू के लिए एक जांच है, जो एंटीबॉडी के प्रकट होने से पूर्व बुखार के प्रथम दिन द्रुतगति से पहचान को संभव बनाता है।

डेंगू- सामान्य लक्षण

  • डेंगू बुखार के प्रारंभ में सामान्य तौर पर 2-7 दिनों तक तापमान में अचानक वृद्धि होती है एवं आमतौर पर सिरदर्द, निस्तब्धता, पश्‍च – कक्षीय (रेट्रो-ऑर्बिटल) दर्द एवं / अथवा दाने, वात रोग (मायलागिया), दौर्बल्य (कमजोरी), दाने एवं खुजली से जुड़ी होती है।
  • गंभीर डेंगू: गंभीर मामलों में, यह रोग गंभीर डेंगू (डेंगू रक्तस्रावी बुखार) में विकसित हो सकता है जिससे रक्तस्राव, रक्त प्लेटलेट्स का निम्न स्तर एवं रक्त प्लाज्मा का रिसाव हो सकता है।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी)

डेंगू- उपचार

  • हल्का डेंगू संक्रमण: इसका लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा सकता है। बुखार एवं शरीर के दर्द का सर्वाधिक उत्तम उपचार पेरासिटामोल के द्वारा किया जाता है।
    • सैलिसिलेट्स एवं अन्य गैर-स्टेरायडल शोथनाशी (एंटी इन्फ्लेमेटरी) दवाओं (एनएसएआईडी) से बचा जाना चाहिए क्योंकि इनसे श्‍लेष्मकला (म्यूकोसल) रक्तस्राव की संभावना हो सकती है।
    • रोगी को अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ के सेवन हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • गंभीर डेंगू संक्रमण: रोगी को निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने पर विशेषज्ञों की देखरेख में अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए-
    • पेट में दर्द या लगातार पीड़ा, उल्टी,
    • फुफ्फुस गुहा, पेट या चमड़े के नीचे के ऊतकों में द्रव संचय,
    • श्‍लेष्मकला (म्यूकोसल) रक्तस्राव,
    • आलस्य, बेचैनी अथवा चिड़चिड़ापन,
    • यकृत में 2 सेमी से अधिक की वृद्धि,
    • प्लेटलेट की संख्या में अनुगामी कमी के साथ हेमाटोक्रिट में प्रगामी वृद्धि।
  • घरेलू उपचार: डेंगू बुखार के उपचार हेतु, पपीते के पत्ते, पर्याप्त पानी पीना, नीम के पत्ते, तुलसी के पत्तों की चाय (तुलसी), धनिया के पत्ते, अनार का रस, व्हीटग्रास का रस इत्यादि लोकप्रिय घरेलू उपचार हैं।

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