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राष्ट्रीय संस्कृति कोष (एनसीएफ) – यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक समय तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलुओं को समाहित करेगी।
राष्ट्रीय संस्कृति कोष (NCF) चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय संस्कृति कोष (नेशनल कल्चर फंड/एनसीएफ) ने अपनी स्थापना के पश्चात से विभिन्न दाताओं के साथ 52 परियोजनाओं को पूर्ण किया है।
राष्ट्रीय संस्कृति कोष (NCF)
- राष्ट्रीय संस्कृति कोष (NCF) के बारे में: भारत सरकार ने धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1890 के तहत 28 नवंबर, 1996 को एक न्यास (ट्रस्ट) के रूप में राष्ट्रीय संस्कृति कोष (NCF) की स्थापना की है।
- अधिदेश: राष्ट्रीय संस्कृति कोष (NCF) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों, सरकारी, गैर-सरकारी एजेंसियों, निजी संस्थानों तथा फाउंडेशनों के साथ संस्कृति एवं
- विरासत के क्षेत्र में भागीदारी स्थापित करना तथा उनका पोषण करना एवं भारत की समृद्ध, प्राकृतिक, मूर्त तथा अमूर्त विरासत की पुनर्स्थापना, संरक्षण, सुरक्षा तथा विकास के लिए संसाधनों को अभिनियोजित करना।
- प्रशासनिक संरचना: एनसीएफ का प्रबंधन एक (शासी) परिषद एवं एक कार्यकारी समिति द्वारा किया जाता है।
- शासी परिषद: इसकी अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृति मंत्री करते हैं एवं इसमें 21 सदस्य सम्मिलित होते है जिसमें कॉर्पोरेट क्षेत्र, निजी फाउंडेशन तथा गैर-लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों सहित विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 15 गैर-आधिकारिक सदस्य सम्मिलित होते हैं।
- कार्यकारी समिति: इसकी अध्यक्षता सचिव (संस्कृति) द्वारा की जाती है और इसमें परिषद के 4 गैर-सरकारी सदस्यों सहित सदस्यों की कुल संख्या 9 होती है।
- परियोजना का चयन: एनसीएफ में योगदान करते समय एक दाता/प्रायोजक किसी विशिष्ट स्थान/पहलू के साथ एक परियोजना एवं परियोजना के निष्पादन के लिए एक एजेंसी भी इंगित कर सकता है।
- इसके अतिरिक्त, प्राथमिक एवं माध्यमिक कोष से अर्जित ब्याज का उपयोग संस्कृति के क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों के लिए भी किया जाता है।
राष्ट्रीय संस्कृति कोष (एनसीएफ) के कार्य
एनसीएफ का प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हेतु निधि को प्रशासित एवं क्रियान्वित करना है-
- संरक्षित या अन्यथा स्मारकों का संरक्षण, रखरखाव, संवर्धन,सुरक्षा, संरक्षण एवं उन्नयन;
- विशेषज्ञों एवं सांस्कृतिक प्रशासकों के एक संवर्ग का प्रशिक्षण तथा विकास,
- कला में नवाचार एवं प्रयोग तथा
- सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों एवं संरचनाओं का दस्तावेजीकरण जो समकालीन परिदृश्यों में अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं एवं या तो लुप्त हो रहे हैं अथवा विलुप्त होने का सामना कर रहे हैं।




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