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श्री पद्मनाभस्वामी- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक समय तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलुओं को समाहित करेगी।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिष्ठित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के लिए 25 वर्षों के विशेष अंकेक्षण (ऑडिट) को पूरा करने के लिए समय 31 अगस्त, 2022 तक बढ़ा दिया।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख
- 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर के प्रशासन को तत्कालीन त्रावणकोर शाही परिवार से तिरुवनंतपुरम के एक जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक प्रशासनिक समिति को सौंप दिया था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने प्रशासनिक समिति को विगत 25 वर्षों से मंदिर की आय एवं व्यय का अंकेक्षण प्रारंभ करने का भी आदेश दिया।
- इस पृष्ठभूमि में, न्यास (ट्रस्ट) ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, यह तर्क देते हुए कि वे मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों के संचालन के लिए 1965 में गठित एक स्वतंत्र संस्थान थे एवं मंदिर के दैनिक (दिन-प्रतिदिन के) प्रशासन में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व शाही परिवार के “शेबैत” अधिकारों को मान्यता प्रदान की, किंतु प्रशासन को प्रशासनिक समिति को सौंप दिया, जिसकी अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश द्वारा की जानी थी।
- इससे पूर्व, केरल उच्च न्यायालय ने घोषणा की थी कि शाही परिवार का मंदिर पर कोई अधिकार नहीं है।
- उच्च न्यायालय के अनुसार, 1991 में त्रावणकोर के अंतिम शासक की मृत्यु के साथ राजपरिवार के अधिकारों का अस्तित्व समाप्त हो गया था।
- न्यायालय ने मंदिर की सुरक्षा एवं रखरखाव के लिए राज्य द्वारा व्यय किए गए 11.70 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार को चुकाने का निर्देश भी मंदिर को दिया था।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
- श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में: श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को 8वीं शताब्दी का माना जाता है।
- यद्यपि, वर्तमान श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की संरचना 18 वीं शताब्दी में तत्कालीन त्रावणकोर महाराजा मार्तंड वर्मा द्वारा निर्मित की गई थी।
- निर्माण: श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर प्रारंभ में काष्ठ (लकड़ी) से निर्मित था किंतु बाद में इसे ग्रेनाइट से बनाया गया था।
- स्थापत्य शैली: श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर वास्तुकला की अनूठी चेरा शैली में निर्मित किया गया है।
- इसके मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं जो आदिशेष अथवा सभी नागों के राजा पर अनंत शयन मुद्रा (शाश्वत योग की विश्राम की मुद्रा) में पाए जाते हैं।
- महत्व: श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को भारत में वैष्णववाद से जुड़े 108 पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है।