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भारत में प्रक्षेपण यान भाग- 2 

भारत में  प्रक्षेपण यान

हम प्रायः इसरो ( इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन/भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) द्वारा प्रक्षेपित किए गए विभिन्न उपग्रहों के बारे में पढ़ते हैं। इन उपग्रहों को एक प्रक्षेपण यान, या प्रायः इसे रॉकेट कहा जाता है, का उपयोग करके अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाता है।

उपग्रह, या  नीतभार पेलोड, इन प्रक्षेपण यानों के स्थापित किए जाते हैं, एवं अंतरिक्ष में अपनी नियत कक्षा के समीप पहुंचने के बाद उन्हें बहिःक्षिप्त कर लिया जाता है। एक उपग्रह की आवश्यक प्रणोदन प्रणाली के आधार पर, विभिन्न प्रक्षेपण यान मौजूद होते हैं। इस लेख में, हम भारत में विभिन्न प्रकार के प्रक्षेपण यानों (लॉन्च व्हीकल) के बारे में पढ़ेंगे।

हमारे विगत लेख में, हमने एसएलवी, एएसएलवी, पीएसएलवी तथा जीएसएलवी पर चर्चा की थी। इस लेख में, हम  नवीन पीढ़ी के इंजन जैसे स्क्रैमजेट इंजन, छोटे पैमाने के प्रक्षेपण यान एवं पुन: प्रयोज्य रॉकेट पर चर्चा करेंगे।

भारत में प्रक्षेपण यान भाग- 2 _3.1

पारंपरिक प्रक्षेपण यानों के साथ मुद्दे

  • ऑक्सीडाइज़र: आज के प्रक्षेपण यान प्रणोद (थ्रस्ट) उत्पन्न करने हेतु दहन के लिए ईंधन के साथ ऑक्सीकारक (ऑक्सिडाइजर) ले जाते हैं।
    • आज के प्रक्षेपण यानों द्वारा ले जाए जाने वाले लगभग 70% प्रणोदक (ईंधन-ऑक्सिडाइजर संयोजन) में ऑक्सिडाइजर होते हैं।
    • अतः, अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यानों को एक प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करना चाहिए जो वायुमंडल के माध्यम से अपनी उड़ान के दौरान वायुमंडलीय ऑक्सीजन का उपयोग कर सके जो उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिए आवश्यक कुल प्रणोदक को काफी कम कर देगा।
  • एकल उपयोग: एक बार उपयोग के लिए डिज़ाइन किए गए प्रक्षेपण यान महंगे होते हैं  तथा उनकी दक्षता कम होती है क्योंकि वे अपने लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान का मात्र 2-4% कक्षा में ले जा सकते हैं।
    • यदि प्रक्षेपण यानों को पुन: प्रयोज्य बनाया जाता है, तो उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की लागत में और कमी आएगी।

 

रैमजेट, स्क्रैमजेट इंजन एवं डुअल मोड रैमजेट (DMRJ)

  • रैमजेट, स्क्रैमजेट एवं डुअल मोड रैमजेट (DMRJ) एयर-ब्रीदिंग इंजन की तीन अवधारणाएं हैं जिन्हें विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा विकसित किया जा रहा है।

 

रैमजेट इंजन

  • रैमजेट वायुश्वासी (एयर-ब्रीदिंग) जेट इंजन का एक रूप है जो यान की अग्र गति का उपयोग करके आने वाली हवा को एक घूर्णी संपीडित्र (रोटेटिंग कंप्रेसर) के बिना दहन के लिए संपीड़ित करता है।
  • एक रैमजेट-संचालित वाहन को एक रॉकेट की भांति सहाय प्रदत्त टेक-ऑफ की आवश्यकता होती है, जिससे इसे गति में तेजी लाने में सहायता प्राप्त होती है जहां यह प्रणोद उत्पन्न करना प्रारंभ कर देता है।
  • रैमजेट मैक 3 (ध्वनि की गति से तीन गुना) के आसपास सुपरसोनिक गति पर  सर्वाधिक कुशलता से  कार्य करते हैं एवं मैक 6 की गति तक संचालित हो सकते हैं।
  • यद्यपि, जब यान अतिध्वनिक (हाइपरसोनिक) गति तक पहुंचता है तो रैमजेट दक्षता कम होने लगती है।

 

स्क्रैमजेट इंजन

  • इसरो द्वारा डिज़ाइन किया गया स्क्रैमजेट इंजन हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में एवं वायुमंडलीय हवा से ऑक्सीजन को ऑक्सिडाइजर के रूप में उपयोग करता है।
  • एक स्क्रैमजेट इंजन रैमजेट इंजन के ऊपर किया गया एक सुधार है क्योंकि यह कुशलतापूर्वक हाइपरसोनिक गति से संचालित होता है तथा पराध्वनिक (सुपरसोनिक) दहन की अनुमति प्रदान करता है।
  • इस प्रकार, इसे सुपरसोनिक दहन रैमजेट, या स्क्रैमजेट के रूप में जाना जाता है।
  • वायु श्वास प्रणोदन प्रणाली की प्राप्ति की दिशा में इसरो के स्क्रैमजेट इंजन का प्रथम प्रायोगिक मिशन 2016 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक संचालित किया गया था।
  • इस उड़ान के साथ, सुपरसोनिक गति से वायु श्वास इंजनों का प्रज्वलन, सुपरसोनिक गति पर प्रदिप्त को  धारण करना, वायु अंतर्ग्राही तंत्र तथा ईंधन अंतःक्षेपण प्रणाली जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है।

भारत में प्रक्षेपण यान भाग- 2 _4.1

डुअल मोड रैमजेट इंजन

  • एक डुअल मोड रैमजेट (DMRJ) एक प्रकार का जेट इंजन है, जहां एक रैमजेट मैक 4-8 परिसर में स्क्रैमजेट में रूपांतरित हो जाता है, जिसका अर्थ है कि यह अवध्वनिक (सबसोनिक) एवं पराध्वनिक (सुपरसोनिक) दहन तंत्र मोड, दोनों में कुशलता से कार्य कर सकता है।

 

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान 

  • यद्यपि पूर्ण रूप से पुन: प्रयोज्य रॉकेट विकसित किया जाना अभी शेष है, आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य  कच्छे बनियान पहले से ही उपयोग में हैं।
  • इसरो ने एक पुन: प्रयोज्य रॉकेट भी विकसित किया है, जिसे आरएलवी-टीडी (पुन: प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर) कहा जाता है, जिसने 2016 में एक सफल परीक्षण उड़ान भरी थी।

 

एसएसएलवी

  • इस लेख में हम पहले ही छोटे पैमाने के प्रक्षेपण यान पर व्यापक तरीके से चर्चा कर चुके हैं।

 

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