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आईआरआरआई दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी) – यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां एवं मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
समाचारों में आईआरआरआई दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी)
- हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान ( इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट/IRRI) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC) की चरण -2 के क्रियाकलापों के प्रारंभ पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर/DA&FW) एवं अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- MoA का उद्देश्य दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए वर्तमान साझेदारी को बढ़ाना है।
IRRI दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC)
- IRRI दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC) के बारे में: ISARC की स्थापना पांच वर्ष पूर्व केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति के पश्चात की गई थी।
- ISARC फिलीपींस के बाहर संपूर्ण विश्व में IRRI का प्रथम तथा सर्वाधिक बृहद अनुसंधान केंद्र है।
- ISARC द्वारा स्थापित CERVA: ISARC ने चावल मूल्य संवर्धन में उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन राइस वैल्यू एडिशन/CERVA) भी स्थापित किया है जिसमें अनाज एवं पुआल में भारी धातुओं की गुणवत्ता तथा स्थिति निर्धारित करने की क्षमता वाली एक आधुनिक एवं परिष्कृत प्रयोगशाला सम्मिलित है।
- उपलब्धियां: सीईआरवीए की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक निम्न एवं एक मध्यवर्ती ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) चावल की किस्मों क्रमशः: आईआरआरआई 147 (जीआई 55) और आईआरआरआई 162 (जीआई 57) का विकास है ।
- महत्व: चूंकि अधिकांश चावल की किस्में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) में उच्च होती हैं तथा अधिकांश भारतीय चावल का सेवन करते हैं, कम जीआई चावल की किस्मों को लोकप्रिय बनाने से भारत में मधुमेह की बढ़ती प्रवृत्ति कम हो जाएगी अथवा प्रतिलोमित भी जाएगी।
- स्पीड ब्रीडिंग फैसिलिटी (स्पीड ब्रीड): प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में वाराणसी के आईएसआरएसी में अत्याधुनिक स्पीड ब्रीडिंग फैसिलिटी (स्पीड ब्रीड) का उद्घाटन किया।
- यह स्थापना सुविधा फसलों के पौधे के विकास चक्र में गति लाने एवं सामान्य परिस्थितियों में मात्र एक से दो के मुकाबले प्रतिवर्ष पांच पीढ़ियों के लिए चावल के पौधों को आगे बढ़ाने हेतु समर्पित है।
- यह अल्प अवधि में भारतीय चावल की लोकप्रिय किस्मों में महत्वपूर्ण लक्षणों (जैसे, निम्न जीआई, जैविक एवं अजैविक प्रतिबलों) को स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ISARC की प्रमुख भूमिका
- ISARC ने उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए भारत तथा दक्षिण एशिया में सतत एवं समावेशी चावल-आधारित प्रणालियों के समान विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से अपने अनुसंधान तथा विकास का विस्तार करने का प्रस्ताव रखा है।
- ISARC ने डिजिटल कृषि, कृषि-सलाहकार सेवाओं, ज्ञान साझाकरण एवं क्षमता विकास के माध्यम से प्रणाली उत्पादकता एवं किसानों की आय में और सुधार लाने की योजना निर्मित की है।
- ये व्यवसाय मॉडल के माध्यम से सतत एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि को प्रोत्साहित करेंगे जो युवाओं को कृषि-उद्यमिता में वापस आकर्षित करेंगे।
ISARC कार्यक्रम का द्वितीय चरण
- ISARC कार्यक्रम के दूसरे चरण में किसानों की आय में वृद्धि करने, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा छोटे / भू-धारक कृषकों के कल्याण में सुधार करने का प्रस्ताव है।
- इसके निम्नलिखित के माध्यम से प्राप्त किया जाना है-
- प्रणाली उत्पादकता में वृद्धि,
- अल्प उपज अंतराल,
- वर्धित जलवायु प्रतिरोधक क्षमता,
- यंत्रीकृत एवं डिजिटल कृषि,
- बेहतर बाजार संपर्क,
- महिलाओं एवं युवाओं के लिए उद्यमशीलता को सक्षम बनाने वाली आधुनिक मूल्य श्रृंखला तथा विकास क्षमता।
- मुख्य विषय-वस्तु: ISARC कार्यक्रम का जीटीए चरण एक पार-अनुशासनिक दृष्टिकोण एवं 5 वर्षों में तीन विषयगत क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।
- चावल मूल्य संवर्धन में उत्कृष्टता केंद्र ( सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन राइस वैल्यू एडिशन/CERVA);
- सतत कृषि में उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर/सीईएसए) एवं
- सेंटर फॉर एजुकेशन इन इनोवेशन एंड रिसर्च फॉर डेवलपमेंट (CEIRD)।
- महत्व:
- यह कृषकों के कल्याण में सुधार एवं भारत तथा शेष दक्षिण एशिया में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में आगे कार्य करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- यह चावल की खेती में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को भी कम करेगा, वैश्विक भूख से लड़ने तथा निर्धनता उन्मूलन में सहायता करेगा।
आईआरआरआई दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी) – मुख्य उद्देश्य
- उच्च उपज वाले तनाव-सहिष्णु एवं जैव-प्रबलीकृत चावल, विशेष रूप से उच्च जस्ता एवं कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स चावल का विकास, प्रसार तथा लोकप्रियकरण;
- आनुवंशिक लाभ में वृद्धि करने हेतु नई किस्मों की उत्पादक एवं ग्राहक स्वीकृति बढ़ाने के लिए विशिष्ट एवं प्रमाणित अनाज गुणवत्ता की चावल लाइनों को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय चावल अभिजनन कार्यक्रमों का समर्थन करना;
- एकीकृत भू-स्थानिक डेटा प्रणालियों एवं उपकरणों, सुदृढ़ बीज प्रणालियों, गतिशील कृषि-सलाहकार प्रणालियों एवं स्तर-उपयुक्त मशीनीकरण के माध्यम से जलवायु-स्मार्ट प्रजातियों, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पद्धतियों एवं प्रतिस्थितित्व कृषि को प्रोत्साहन देना;
- उत्पादकता में वृद्धि एवं पर्यावरणीय पदचिह्नों को कम करने हेतु चावल की विविध कृषि-खाद्य प्रणालियों में पोषक तत्व उपयोग दक्षता (न्यूट्रिएंट्स यूज्ड इफिशिएंसी/एनयूई), मृदा स्वास्थ्य एवं जल उत्पादकता में सुधार;
- प्रीमियम गुणवत्ता वाली पारंपरिक किस्मों एवं मूल्य वर्धित उप-उत्पादों के लिए समावेशी मूल्य श्रृंखला-आधारित व्यवसाय मॉडल (किसान उत्पादक कंपनियों, व्यावसायिक संबंधों एवं उद्यमिता सहित) का विकास;
- चावल-आधारित प्रणालियों में उद्यमशीलता की भागीदारी के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में सुधार के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों का विकास एवं इन प्रणालियों के सतत रूपांतरण में युवाओं को सम्मिलित करना; तथा
- नवोन्मेषी मानव पूंजी विकास समाधानों के माध्यम से समस्त हितधारकों की स्थानीय क्षमताओं, ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि।




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