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भारत में औषधि उद्योग अवसंरचना को प्रोत्साहन देने हेतु प्रारंभ की गई योजनाएं 

भारत में फार्मा उद्योग: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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भारत में फार्मा क्षेत्र: प्रसंग

  • फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने हाल ही में फार्मास्युटिकल उद्योग की वर्तमान बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ करने हेतु फार्मास्युटिकल उद्योग (स्ट्रेंग्थेनिंग ऑफ़ फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री/एसपीआई) को मजबूत करने के लिए एक योजना प्रारंभ की है ताकि भारत को फार्मा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाया जा सके।

 

भारत में फार्मास्युटिकल क्षेत्र: प्रमुख बिंदु

  • फार्मास्यूटिकल्स विभाग अब एसपीआई योजना के विस्तृत दिशा निर्देश जारी करने की योजना बना रहा है एवं संभावना है कि एसपीआई की दोनों उप-योजनाओं के लिए आवेदन आमंत्रित करने की अधिसूचना  शीघ्र ही जारी की जाएगी। 
  • इस योजना में दो घटक: सामान्य स्थापनाओं के लिए फार्मास्युटिकल उद्योग को सहायता (असिस्टेंट टू फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री फॉर कॉमन फैसिलिटीज/एपीआई-सीएफ) एवं फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन असिस्टेंस स्कीम/पीटीयूएएस) सम्मिलित हैं।

 

एपीआई-सीएफ

  • एपीआई-सीएफ उप-योजना का परिव्यय 178 करोड़ रुपए है एवं यह पांच वर्ष की अवधि की योजना है। 
  • इस योजना का उद्देश्य अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, परीक्षण प्रयोगशालाओं, अपशिष्ट उपचारण संयंत्रों, रसद तथा प्रशिक्षण केंद्रों पर ध्यान देने के साथ सामान्य स्थापनाओं का निर्माण करके निरंतर विकास के लिए मौजूदा फार्मा समूहों की क्षमता को सुदृढ़ करना है

 

पीटीयूएस उप-योजना

  • पीटीयूएस उप-योजना का परिव्यय 300 करोड़ रुपए है। यह योजना फार्मा  लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए ब्याज सहायता (सबवेंशन) के अधिकतम 5% प्रति वर्ष (एससी / एसटी के स्वामित्व एवं प्रबंधित इकाइयों के मामले में 6%) या 10% की साख-सहलग्न पूंजी सहायिकी (क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी) के माध्यम से समर्थन का प्रस्ताव करती है।

 

फार्मास्युटिकल उद्योग का सुदृढ़ीकरण: योजना का महत्व

  • यद्यपि भारत विश्व स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सर्वाधिक वृहद प्रदाता है, फिर भी यह चिकित्सा उपकरणों के लिए अन्य देशों पर निर्भर है। 
  • भारत 70-80% अन्य देशों पर निर्भर है एवं चिकित्सा उपकरण नीति की घोषणा से भारत में चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के प्रयास में आने वाली 12-15% अक्षमता को दूर करने में सहायता मिलेगी।

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फार्मास्युटिकल उद्योग (एसपीआई) के उद्देश्य

  • सामान्य स्थापनाओं के निर्माण के लिए फार्मा समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करके भारत को फार्मा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाने के लिए मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ करना। 
  •  लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) एवं सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की उत्पादन स्थापनाओं का उन्नयन, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नियामक मानकों को पूरा करने के लिए, उनके पूंजी ऋण पर ब्याज  सहायता (सबवेंशन) अथवा पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करना। 
  • अपने ज्ञान एवं अनुभव को साझा करने हेतु अध्ययन, डेटाबेस निर्मित करने तथा उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ताओं, शिक्षाविदों  एवं नीति निर्माताओं को एक साथ लाकर फार्मास्युटिकल तथा  चिकित्सा उपकरण उद्योग के बारे में ज्ञान एवं जागरूकता को प्रोत्साहित करना

 

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