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वैश्विक तापन- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्राथमिकता
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
समाचारों में वैश्विक तापन
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा विगत आधी शताब्दी में सार्वजनिक मौसम के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मानसून के महीनों (जून-सितंबर) के दौरान अखिल भारतीय औसत तापमान गर्मी के महीनों (मार्च-मई) की तुलना में अधिक है। )
भारत में वैश्विक तापन
- मानव जाति द्वारा जीवाश्म ईंधन के निरंकुश उपयोग के परिणामस्वरूप ग्रह के तापमान में निरंतर वृद्धि प्रत्येक स्थान पर परिवर्तित होते मौसम के प्रतिरूप की पृष्ठभूमि बनाती है।
- भारत भी अनिश्चित मानसून एवं तटीय कटाव के साथ खतरनाक आवृत्ति के साथ मौसम की विषम घटनाएं दर्ज कर रहा है।
- मानसून के तापमान में वृद्धि: सीएसई के अध्ययन के अनुसार, 1951-80 की तुलना में मानसून का तापमान औसत गर्मी के तापमान से 0.3 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
- 2012-2021 में, यह विसंगति बढ़कर 0.4 डिग्री सेल्सियस हो गई।
- मौसम में परिवर्तन: भारत मौसम विज्ञान विभाग (इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) ने कहा है कि भारत का औसत तापमान 1901-2020 से 0.62 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है, किंतु सीएसई विश्लेषण कहता है कि इसका तात्पर्य सभी मौसमों में तापमान में एक समान वृद्धि नहीं है।
- यह शीत ऋतु (जनवरी एवं फरवरी) तथा मानसून के बाद (अक्टूबर-दिसंबर) औसत अखिल भारतीय तापमान है जो मानसून एवं ग्रीष्म ऋतु के तापमान में भी तीव्र गति से वृद्धि हुई है।
- मार्च में उत्तर-पश्चिमी राज्यों के लिए औसत दैनिक अधिकतम तापमान 30.7 डिग्री सेल्सियस था, जबकि अखिल भारतीय औसत 33.1 डिग्री सेल्सियस अथवा 2.4 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था।
- औसत दैनिक न्यूनतम तापमान में और भी बड़ा अंतर (4.9 डिग्री सेल्सियस) दिखा।
- मध्य भारत का सामान्य अधिकतम तापमान 2°-7°C अधिक था, जबकि दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत का सामान्य न्यूनतम तापमान उत्तर-पश्चिम भारत के तापमान से 4°-10°C अधिक था।
बढ़ते तापमान का प्रभाव
- जीवन की क्षति: जीवन की क्षति के भी प्रमाण उपलब्ध हैं।
- 2015-2020 तक, उत्तर-पश्चिम भारत में लू (हीट स्ट्रोक) के कारण 2,137 लोगों की मृत्यु हो गई थी, किंतु दक्षिणी भारत में 2,444 लोगों की मृत्यु अधिक पर्यावरणीय गर्मी के कारण हुई थी, जिसमें आंध्र प्रदेश में आधे से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी।
- शहरी ताप द्वीप प्रभाव: जिससे कंक्रीट की सतह एवं घनी आबादी के कारण शहर औसतन ग्रामीण बस्तियों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं। इसने गर्मी के तनाव में भी योगदान दिया है।
आगे की राह
- हीट एक्शन प्लान (एचएपी): राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण 28 में से 23 गर्मी-प्रवण राज्यों के साथ एचएपी विकसित करने हेतु कार्य कर रहा है जो निर्मित वातावरण में तनाव परिवर्तन-
- उन सामग्रियों का उपयोग करके जो घर के अंदर को शीतलित रखते हैं,
- हीटवेव के बारे में पूर्व चेतावनी प्रणाली का मौजूद होना एवं
- हीट स्ट्रोक के रोगियों के उपचार हेतु स्वास्थ्य ढांचे में सुधार करना।
- एक प्रभावी शीतलन योजनाओं को लागू करना और प्रोत्साहित करना: सरकारों को आधारिक अवसंरचना एवं आवास की योजना निर्मित करने हेतु ऐसे कदम उठाने चाहिए जो गर्म वातावरण से होने वाले खतरों को पहचान सकें।
- अब समय आ गया है कि भारत में प्रभावी शीतलन योजनाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों को, अधिमानतः बजट परिव्यय के माध्यम से सम्मिलित किया जाए।