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सुरक्षित एवं सतत संचालन हेतु इसरो प्रणाली (IS4OM)

IS4OM- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण तथा नवीन तकनीक विकसित करना।

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समाचारों में सुरक्षित एवं सतत संचालन हेतु इसरो प्रणाली

  • हाल ही में, केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने बेंगलुरु में इसरो नियंत्रण केंद्र में “इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशन” (IS4OM) का उद्घाटन किया।
  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के “अनलॉकिंग” के पश्चात से लगभग 60 स्टार्ट-अप ने इसरो के साथ पंजीकरण किया है।
    • उनमें से अनेक अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन से संबंधित परियोजनाओं से संबंधित हैं।
    • अन्य स्टार्ट-अप प्रस्ताव नैनो-उपग्रह, प्रक्षेपण यान, ग्राउंड सिस्टम, अनुसंधान इत्यादि से भिन्न हैं।

 

सुरक्षित एवं सतत संचालन हेतु इसरो प्रणाली

  • सुरक्षित एवं सतत संचालन हेतु इसरो प्रणाली के बारे में: S4OM एक ऐसी स्थापना है जिसकी कल्पना राष्ट्रीय विकास के लिए बाह्य अंतरिक्ष के सतत उपयोग के लाभों को प्राप्त करते हुए सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण के साथ की गई है।
  • अधिदेश: मल्टी-डोमेन अवेयरनेस प्लेटफॉर्म S4OM ऑन-ऑर्बिट टकराव, विखंडन, वायुमंडलीय पुन: प्रवेश जोखिम, अंतरिक्ष आधारित रणनीतिक सूचनाएं की, खतरनाक क्षुद्रग्रह एवं अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान पर एक त्वरित, परिशुद्ध एवं कुशल जानकारी लाएगा।
  • मुख्य कार्य: S4OM स्थापना उपयोगकर्ताओं को अंतरिक्ष पर्यावरण की व्यापक एवं स-समय जानकारी प्रदान करके अपने SSA (स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस) लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की सहायता करेगी।
  • महत्व: IS4OM स्थापना निम्नलिखित का समर्थन कर सकती है-
    • भारतीय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों की सुरक्षा करने वाले सभी नियमित संचालन, विशिष्ट टक्कर परिहार युद्धाभ्यास के माध्यम से अंतरिक्ष वस्तुओं से टकराव के खतरों को कम करना,
    • सामरिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक सूचना एवं
    • अंतरिक्ष मलबे तथा अंतरिक्ष परिस्थितिजन्य जागरूकता में अनुसंधान गतिविधियाँ।

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अंतरिक्ष मलबा क्या है?

  • अंतरिक्ष कबाड़ या मलबे में व्यय किए गए रॉकेट चरण, मृत उपग्रह, अंतरिक्ष वस्तुओं के टुकड़े तथा ASAT (एंटी-सैटेलाइट हथियार) से उत्पन्न मलबे सम्मिलित हैं।
  • निम्न भू कक्षा (लोअर अर्थ ऑर्बिट/एलईओ) में 27,000 किमी प्रति घंटे की औसत गति से चलते हुए, ये वस्तुएं एक अत्यधिक वास्तविक खतरा उत्पन्न करती हैं क्योंकि सेंटीमीटर के आकार के टुकड़ों से भी टकराना उपग्रहों के लिए घातक हो सकता है।
  • कक्षा में भारतीय उपग्रहों एवं अन्य उपकरणों की सुरक्षा के लिए, इसरो बाह्य अंतरिक्ष की दीर्घकालिक स्थिरता हेतु अंतरिक्ष मलबे की वृद्धि को रोकने हेतु समस्त अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।

 

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