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भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंध

भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंध- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत तथा उसके पड़ोस- संबंध।

भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंध_30.1

 समाचारों में भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंध 

  • हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद ने तुर्कमेनिस्तान का दौरा किया।
  • यह भारत के किसी राष्ट्रपति की तुर्कमेनिस्तान की पहली यात्रा है एवं तुर्कमेनिस्तान के नए तथा युवा  नेतृत्व द्वारा आयोजित पहली यात्राओं में से एक है।
  • इस वर्ष दोनों देश भारत तथा तुर्कमेनिस्तान के मध्य राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ भी मना रहे हैं।

 

भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंधों के प्रमुख परिणाम

  • बहु-आयामी साझेदारी: भारत एवं तुर्कमेनिस्तान हमारी बहुआयामी साझेदारी को और सुदृढ़ करने के प्रयासों को गति प्रदान करने पर सहमत हुए हैं।
    • दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने पर सहमत हुए जो मामूली बना हुआ है।
    • व्यावसायिक समुदायों को अपने जुड़ाव को और गहन करना चाहिए, एक-दूसरे के नियमों को समझना चाहिए तथा व्यापार एवं निवेश के नवीन क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए।
  • भारत की वित्तीय आसूचना इकाई तथा तुर्कमेनिस्तान की वित्तीय निगरानी सेवा के मध्य समझौता ज्ञापन: भारत के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
    • इससे दोनों देशों के मध्य आर्थिक सहयोग के ढांचे को मजबूती मिलेगी।
  • कनेक्टिविटी: दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर/INSTC) तथा इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट एंड ट्रांजिट कॉरिडोर पर अश्गाबात समझौते का भी हिस्सा हैं।
    • ईरान में भारत द्वारा निर्मित चाबहार बंदरगाह का उपयोग भारत तथा मध्य एशिया के मध्य व्यापार में सुधार के लिए किया जा सकता है।
  • ऊर्जा सहयोग: भारत एवं तुर्कमेनिस्तान दोनों ही तापी ऊर्जा परियोजना का हिस्सा हैं।
    • TAPI पाइपलाइन की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों एवं प्रमुख व्यावसायिक सिद्धांतों को तकनीकी तथा विशेषज्ञ स्तर की बैठकों में संबोधित किया जा सकता है।
  • सांस्कृतिक संबंध: राष्ट्रपति की हाल की यात्रा के दौरान 2022-25 की अवधि के लिए संस्कृति एवं कला सहयोग कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए गए। यह हमारे सांस्कृतिक सहयोग को दिशा प्रदान करेगा।
    • तुर्कमेनिस्तान भारत-मध्य एशिया सांस्कृतिक सहयोग के विस्तार क्षेत्र में एक युवा प्रतिनिधिमंडल को भारत भेजने पर भी सहमत हुआ।
  • आपदा प्रबंधन पर समझौता ज्ञापन: भारत एवं तुर्कमेनिस्तान ने भी आपदा प्रबंधन पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • भारत – मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की रूपरेखा: तुर्कमेनिस्तान इस शिखर सम्मेलन का हिस्सा है जिसकी मेजबानी भारत ने इस वर्ष प्रथम बार की थी।
    • दोनों देश भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन से उद्गमित होने वाली रूपरेखा के तहत सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुए।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर: तुर्कमेनिस्तान एक पुनः संरूपित एवं विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल/यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है।
    • तुर्कमेनिस्तान भी 2021-22 की अवधि के लिए UNSC के एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत की पहल का समर्थन करता है।

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आपदा प्रबंधन पर भारत एवं तुर्कमेनिस्तान सहयोग- सहयोग के क्षेत्र

  • आपात स्थिति का अनुश्रवण एवं पूर्वानुमान तथा उनके परिणामों का आकलन;
  • समन्वय: आपदा प्रबंधन में सम्मिलित उपयुक्त संगठनों के मध्य सक्षम अधिकारियों के माध्यम से अंतः क्रिया।
  • आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान परियोजनाओं की संयुक्त योजना, विकास एवं कार्यान्वयन, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रकाशनों का आदान-प्रदान तथा अनुसंधान कार्य के परिणाम।
  • इस समझौता ज्ञापन के विस्तार क्षेत्र में आपसी सहमति से सूचनाओं, पत्रिकाओं या किसी अन्य प्रकाशन, वीडियो एवं फोटो सामग्री के साथ-साथ प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान
  • संबंधित क्षेत्रों में संयुक्त सम्मेलनों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के साथ-साथ अभ्यास तथा प्रशिक्षण का आयोजन
  • आपदा प्रबंधन में विशेषज्ञों एवं अनुभवों का आदान-प्रदान
  • खोज तथा बचाव कार्यों में प्रथम प्रतिक्रियादाताओं का प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण; आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में क्षमता निर्माण की सुविधा के लिए प्रशिक्षुओं एवं विशेषज्ञों का आदान-प्रदान।
  • तकनीकी सुविधाएं तथा उपकरण प्रदान करने, पूर्व चेतावनी प्रणालियों को वर्धित करने एवं आपदा प्रबंधन में पक्षकारों  के क्षमता निर्माण के लिए पारस्परिक रूप से सहमत प्रक्रिया के अनुसार सहायता उपलब्ध कराना;
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया में, पारस्परिक रूप से सहमत होने पर सहायता प्रदान करना
  • आपदा-प्रतिस्कंदी आधारिक संरचना के निर्माण हेतु ज्ञान एवं विशेषज्ञता की पारस्परिक सहायता साझा करना
  • गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली प्रदान करना, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों के अनुसार पारस्परिक रूप से सहमत हों।
  • आपदा प्रबंधन से संबंधित कोई अन्य गतिविधि, जिस पर पक्षकारों के सक्षम प्राधिकारियों द्वारा परस्पर सहमति व्यक्त की गई हो।

 

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