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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: यूएनएससी की संरचना, कार्यप्रणाली एवं भारतीय आस्थिति

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: यूएनएससी की संरचना, कार्यप्रणाली एवं भारतीय आस्थिति

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: यूएनएससी की संरचना, कार्यप्रणाली एवं भारतीय आस्थिति_3.1

http://bit.ly/2MNvT1m

 

प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां ​​और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

संदर्भ

  • हाल ही में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अपनी एक माह के काल की अध्यक्षता आरंभ की है। इसने माह के लिए तीन प्राथमिकताएं निर्धारित की हैं- सामुद्रिक सुरक्षा, आतंकवाद का प्रत्युत्तर एवं शांति स्थापना।
  • भारत ने 1 जनवरी, 2021 को सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में अपना दो वर्ष का कार्यकाल  आरंभ किया। भारत के साथ, आयरलैंड, मैक्सिको और नॉर्वे भी परिषद हेतु चयनित किए गए।
    • यह 8वीं बार है जब भारत यूएनएससी के लिए एक अस्थायी सदस्य के रूप में चयनित किया गया है। इससे पूर्व,   इसका 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और 2011-2012 की अवधि हेतु चयन किया गया था।

यूएनएससी के बारे में

  • यूएनएससी संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 23 यूएनएससी की संरचना से संबंधित है।
    • संयुक्त राष्ट्र के अन्य 5 अंग हैं- महासभा, न्यास परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तथा सचिवालय
  • यह मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने हेतु उत्तरदायी है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अंतर्गत, सदस्य राज्यों पर यूएनएससी के निर्णयों को क्रियान्वित करना बाध्यकारी है
  • मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय अवस्थित है।
  • संघटन: इसमें 15 – 5 स्थायी एवं 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।
    • स्थायी सदस्य: चीन, फ्रांस,रूसी परिसंघ,ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।
    • अस्थायी सदस्य: प्रत्येक वर्ष, महासभा दो वर्ष के कार्यकाल हेतु कुल 10 में से पांच अस्थायी सदस्यों का चयन करती है।
  • अस्थायी सदस्यों के चयन की प्रक्रिया:
    • सीटों का क्षेत्रवार वितरण: अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिए पांच; लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के लिए दो; पश्चिमी यूरोपीय एवं अन्य देशों के लिए दो; पूर्वी यूरोपीय देशों के लिए एक।
      • पांच में से तीन अफ्रीका के लिए और दो एशिया के लिए आवंटित किए गए हैं।
    • निर्वाचन में भाग लेने वाले एक देश को महासभा सत्र में उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई सदस्यों के मत प्राप्त करने की अनिवार्यता होती है (यदि सभी 193 सदस्य राज्य भाग लेते हैं तो न्यूनतम 129 मत)।
      • निर्वाचन में भाग लेने वाले देश को इसे प्राप्त करना होता है, भले ही उसके समूह द्वारा सर्वसम्मति से समर्थन किया गया हो अथवा नहीं।
      • उदाहरण के लिए, 2021-22 के कार्यकाल हेतु भारत की उम्मीदवारी का एशिया प्रशांत समूह द्वारा सर्वसम्मति से समर्थन किया गया था। फिर भी, भारत को महासभा सत्र में न्यूनतम संख्या में मत प्राप्त करने थे। इसे महासभा में 184 मत प्राप्त हुए।
    • यूएनएससी में निर्णय निर्माण: प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है। किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए, 15 में से 9 सदस्यों को स्थायी सदस्यों के सहमति वाले मतों सहित पक्ष में मतदान करना चाहिए।
      • स्थायी सदस्यों की निषेध (वीटो) शक्ति: पांच स्थायी सदस्यों में से एक का “नहीं / अस्वीकार” मत प्रस्ताव को पारित होने से निवारित करता है।
      • सुरक्षा परिषद का एक गैर-सदस्य यूएनएससी चर्चा में भाग ले सकता है, किंतु मताधिकार के बिना, यदि वह किसी ऐसे विषय पर चर्चा कर रहा है जो प्रत्यक्ष रूप से संबंधित देश के हितों को प्रभावित करता है।
    • यूएनएससी अध्यक्षता: प्रत्येक माह इसके 15 सदस्यों के मध्य क्रमावर्तित होता है।
    • यूएनएससी के निर्णयों का प्रवर्तन: वे सामान्य तौर पर संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों द्वारा प्रवर्तित कराए जाते हैं, सैन्य बल स्वेच्छा से सदस्य राज्यों द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं एवं संयुक्त राष्ट्र के मुख्य बजट से स्वतंत्र रूप से वित्त पोषित होते हैं।

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यूएनएससी में भारत

  • भारत ने अपने आठवें कार्यकाल के आरंभ में एक अस्थायी सदस्य के रूप में कहा है कि वह अपने 5-एस दृष्टिकोण के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है:
    • सम्मान – रिस्पेक्ट
    • संवाद – डायलॉग
    • सहयोग – कोऑपरेशन
    • शांति – पीस
    • समृद्धि – प्रोस्पेरिटी

 

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  • विगत कार्यकाल के दौरान भारत द्वारा प्रमुख योगदान:
    • 1950-51: कोरियाई युद्ध के दौरान युद्ध विराम एवं कोरिया गणराज्य की सहायता के लिए आह्वान करने वाले प्रस्तावों को अंगीकृत करने की अध्यक्षता की।
    • 1967-68: साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र मिशन के अधिदेश का विस्तार करते हुए संकल्प 238 को सह-प्रायोजित किया।
    • 1972-73: संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के प्रवेश के लिए बल दिया।
    • 1977-78: भारत UNSC में अफ्रीका के लिए एक सशक्त स्वर था और रंगभेद केविरुद्ध एवं 1978 में नामीबिया की स्वतंत्रता के लिए स्वर बुलंद किया था।
    • 1984-85: मध्य पूर्व, विशेष रूप से फिलिस्तीन तथा लेबनान में संघर्षों के समाधान के लिए यूएनएससी में भारत एक अग्रणी स्वर था
    • 1991-92: यूएनएससी की प्रथम शिखर-स्तरीय बैठक में भाग लिया एवं शांति और सुरक्षा बनाए रखने में इसकी भूमिका पर चर्चा की।
    • 2011-2012: भारत विकासशील विश्व, शांति स्थापना, आतंकवाद के प्रत्युत्तर तथा अफ्रीका के लिए एक सशक्तस्वर था। यूएनएससी में सीरिया पर प्रथम वक्तव्य भारत की अध्यक्षता के दौरान दिया गया था। इस कार्यकाल के दौरान, भारत ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण समितियों की अध्यक्षता की-
      • आतंकवाद निरोध से संबंधित यूएनएससी 1373 समिति,
      • आतंकवादी कृत्यों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे से संबंधित 566 कार्य समूह, एवं
      • सुरक्षा परिषद 751/1907 सोमालिया और इरिट्रिया से संबंधित समिति।
    • आतंकवाद का प्रत्युत्तर: भारत ने आतंकवाद का प्रत्युत्तर देने के लिए एक व्यापक विधिक ढांचा प्रदान करने के उद्देश्य से 1996 में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) का प्रारूप निर्मित किया।
      • यूएनएससी में समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ प्रभावी समन्वय के साथ, भारत ने अलकायदा और आईएसआईएस एवं संबंधित व्यक्तियों और संस्थाओं से संबंधित यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध समिति (मई 2019) के अंतर्गत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी मसूद अजहर को सूचीबद्ध करना सुनिश्चित किया है, जो 2009 से लंबित था।
    • भारत ने आतंकवाद का प्रतिरोध करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि करने, अराजक तत्वों को सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के निरोध एवं संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना और शांति निर्माण प्रयासों को सशक्त करने हेतु भी कार्य किया।

 

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यूएनएससी की अध्यक्षता के दौरान, भारत का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उसके प्रयास संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को सशक्त करने, सामुद्रिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और आतंकवाद विरोधी प्रभावी रणनीतियां निर्मित करने तथा क्रियान्वित करने के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के उद्देश्यों को साकार करने हेतु निर्देशित हैं।

 

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