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राष्ट्रीय गोकुल मिशन- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

समाचारों में राष्ट्रीय गोकुल मिशन
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 16 गोकुल ग्रामों को एकीकृत देशी पशु विकास केंद्रों के रूप में स्थापित करने हेतु धनराशि जारी की गई है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत गोकुल ग्राम
- गोकुल ग्राम की स्थापना वैज्ञानिक एवं समग्र रूप से स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण तथा विकास के उद्देश्य से की जा रही है।
- एकीकृत स्वदेशी पशु केंद्र-गोकुल ग्राम को दूध, मूल्य वर्धित दुग्ध उत्पादों, गोकुल ग्राम में उत्पादित स्वदेशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक गुणों से युक्त बैल, बछिया एवं बछड़ों के रूप में स्टॉक की किसानों, प्रजनकों एवं संस्थानों इत्यादि की बिक्री के माध्यम से व्यवहार्य तथा धारणीय बनाया गया है।
- प्रदान की गई सुविधाएं:
- गाय तथा बछड़ा शेड
- बायोगैस संयंत्र;
- कृषि उपकरण;
- मूत्र आसवन संयंत्र;
- खाद तथा वर्मी कम्पोस्ट गड्ढे;
- वीर्य एवं तरल नाइट्रोजन तथा अन्य आवश्यक आधारिक अवसंरचना
गोकुल ग्राम का उद्देश्य
- वैज्ञानिक पद्धति से स्वदेशी पशुपालन एवं संरक्षण को प्रोत्साहित करना।
- स्वदेशी नस्लों की उत्पादकता में वृद्धि करने तथा धारणीय विधि से पशु उत्पादों से आर्थिक लाभ में वृद्धि करना।
- स्वदेशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक गुणों से युक्त सांडों का प्रचार-प्रसार करना।
- भारवाही पशुओं के उपयोग के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना
- संतुलित पोषण तथा एकीकृत पशु स्वास्थ्य प्रदान करना
- आधुनिक कृषि प्रबंधन पद्धतियों को अनुकूलित करने एवं सामान्य संसाधन प्रबंधन को प्रोत्साहित करना।
- हरित ऊर्जा एवं पारिस्थितिकी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के बारे में प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के बारे में: राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) दिसंबर 2014 से स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास तथा संरक्षण के लिए लागू किया गया है।
- 2400 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ 2021 से 2026 तक अम्ब्रेला योजना राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत आरजीएम का क्रियान्वयन भी जारी है।
- महत्व: राष्ट्रीय गोकुल मिशन महत्वपूर्ण है-
- दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दुग्ध उत्पादन एवं गायों की उत्पादकता में वृद्धि करना तथा
- डेयरी को देश के ग्रामीण किसानों के लिए अधिक लाभकारी बनाना।
- अनुदान: योजना के सभी घटकों को निम्नलिखित घटकों को छोड़कर 100% अनुदान सहायता के आधार पर लागू किया जाएगा-
- भाग लेने वाले किसानों को भारत सरकार के अंश के रूप में 5000 रुपये प्रति आईवीएफ गर्भावस्था की घटक सब्सिडी के तहत त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम उपलब्ध कराया जाएगा;
- घटक सब्सिडी के तहत लिंग वर्गीकृत वीर्य को बढ़ावा देने के लिए लिंग वर्गीकृत वीर्य की लागत का 50% तक भाग लेने वाले किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा एवं
- उद्यमियों को परियोजना की अधिकतम 2.00 करोड़ रुपये तक की पूंजीगत लागत के 50 प्रतिशत तक घटक अनुदान के तहत नस्ल बहुगुणन फार्म की स्थापना उपलब्ध कराई जाएगी।
- उद्देश्य:
- उन्नत तकनीकों का उपयोग करके गायों की उत्पादकता में वृद्धि करने तथा धारणीय विधि से दुग्ध उत्पादन बढ़ाना।
- प्रजनन उद्देश्यों के लिए उच्च आनुवंशिक गुणों से युक्त सांडों के उपयोग का प्रचार करना।
- प्रजनन नेटवर्क को मजबूत करने और किसानों के दरवाजे पर कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं के वितरण के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ाना।
- वैज्ञानिक एवं समग्रतात्मक पद्धति से स्वदेशी मवेशियों एवं भैंसों के पालन तथा संरक्षण को बढ़ावा देना।



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