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चंद्रयान –2 ने चंद्रमा की सतह पर सोडियम की मात्रा को मापा: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन III- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां
चंद्रयान –2 ने चंद्रमा की सतह पर सोडियम की मात्रा को मापा: प्रसंग
- इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान -2 मिशन पर क्लास उपकरण (चंद्रयान -2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर/CLASS) का उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर सोडियम के वैश्विक वितरण का मापन किया है।
- एक्स-रे प्रतिदीप्तिशील वर्ण क्रम (फ्लोरोसेंट स्पेक्ट्रा) का उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर सोडियम का वैश्विक स्तर पर माप प्रदान करने का यह प्रथम प्रयास है।
चंद्रयान –2
- चंद्रयान -2 में एक ऑर्बिटर, लैंडर तथा रोवर सम्मिलित थे, जो सभी चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित थे।
- ऑर्बिटर चंद्रमा को 100 किलोमीटर की कक्षा से देखेगा, जबकि लैंडर एवं रोवर मॉड्यूल को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने हेतु प्रथक किया जाना था।
- इसरो ने लैंडर मॉड्यूल का नाम विक्रम, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के अग्रदूत विक्रम साराभाई के नाम पर एवं रोवर मॉड्यूल को प्रज्ञान के नाम पर रखा था, जिसका अर्थ ज्ञान होता है।
- मिशन का ऑर्बिटर भाग सामान्य रूप से कार्य कर रहा है। इसमें आठ उपकरण हैं।
- इनमें से प्रत्येक उपकरण ने व्यापक मात्रा में डेटा का उत्पादन किया है जो चंद्रमा पर नवीन रोशनी डालता है तथा एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जिसका उपयोग आगे के अन्वेषण में किया जा सकता है।
एक्स-रे प्रतिदीप्ति
- इसका उपयोग आमतौर पर गैर-विनाशकारी रीति से सामग्री की संरचना का अध्ययन करने हेतु किया जाता है।
- जब सूर्य पर सौर ज्वाला (प्रदीप्ति) समाप्त हो जाती है, तो एक्स-रे विकिरण की एक विशाल मात्रा चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे एक्स-रे प्रतिदीप्ति प्रारंभ होती है।
- क्लास उपकरण चंद्रमा से आने वाले एक्स-रे फोटॉन की ऊर्जा को मापता है एवं कुल संख्या की गणना करता है।
- फोटॉन की ऊर्जा परमाणु को इंगित करती है (उदाहरण के लिए, सोडियम परमाणु 1.04 किलो वाट के एक्स-रे फोटॉन उत्सर्जित करते हैं) और तीव्रता (इंटेंसिटी) कितने परमाणु मौजूद हैं इसका एक मापन है।
चंद्रमा पर सोडियम की उपस्थिति: महत्व
- सोडियम का उपयोग चंद्रमा के अस्थिर इतिहास के अनुरेखक के रूप में किया जा सकता है।
- जब पृथ्वी से तुलना की जाती है, चंद्रमा पर सोडियम जैसे वाष्पशील तत्वों की अत्यधिक कमी है।
- आज चंद्रमा पर वाष्पशील पदार्थों की मात्रा का उपयोग पृथ्वी-चंद्रमा तंत्र के गठन परिदृश्यों का परीक्षण करने के लिए किया जा सकता है।



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