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विश्व आर्थिक मंच ने नेट जीरो इंडिया का शुभारंभ किया

निवल शून्य भारत यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन

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नेट जीरो इंडिया: प्रसंग

  • विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनामिक फोरम/WEF) ने भारत की जलवायु कार्रवाई तथा विकार्बनीकरण (डीकार्बोनाइजेशन) प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए जलवायु कार्रवाई नेतृत्व कर्ताओं के सीईओ के गठबंधन का भारत अध्याय प्रारंभ किया है।

 

नेट जीरो इंडिया: प्रमुख बिंदु

  • यह विश्व आर्थिक मंच के  जलवायु कार्रवाई मंच (क्लाइमेट एक्शन प्लेटफॉर्म) का हिस्सा है  एवं वैश्विक परियोजनाओं जैसे एलायंस ऑफ सीईओ क्लाइमेट लीडर्स तथा फर्स्ट मूवर्स कोएलिशन से अधिगम पर निर्माण करेगा।
  • गठबंधन निवल-शून्य आर्थिक विकास सहित जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रमों की योजना निर्मित करने तथा उन्हें क्रियान्वित करने में व्यापार जगत के नेतृत्वकर्ताओं का समर्थन करने के लिए एक उच्च-स्तरीय मंच के रूप में कार्य करेगा।
  • यह महत्वाकांक्षी “पंचामृत” संकल्प को प्राप्त करने के लिए सरकार, व्यवसाय जगत एवं अन्य प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाएगा, जिसमें 2070 तक देश का निवल शून्य होने का लक्ष्य शामिल है।
  • एक प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में, जलवायु परिवर्तन का शमन करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है एवं भारत इंक को वैश्विक तापन के विरुद्ध देश के प्रयासों में अपना पूर्ण प्रयास जोड़ना चाहिए।
  • गठबंधन भारत में प्रकृति तथा जलवायु कार्रवाई के विस्तृत एजेंडा का एक अभिन्न अंग है, जिसमें सम्मिलित हैं –
    • सहयोगात्मक पहल जैसे खरब (ट्रिलियन) वृक्ष,
    • त्वरित रूप से इलेक्ट्रिक वाहन परिनियोजन के लिए भारत को आगे बढ़ाना,
    • स्वच्छ ऊर्जा वित्तपोषण,
    • खाद्य नवाचार केंद्र,
    • हितधारक पूंजीवाद मैट्रिक्स तथा कल के लिए स्वच्छ आकाश।

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निवल शून्य भारत विश्व आर्थिक मंच: क्यों आवश्यक है?

  • मानव जीवन को प्रभावित करने वाले बदलते तापमान तथा मौसम के प्रतिरूप के साथ जलवायु परिवर्तन के संकेत हम सभी को स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।अतः, वैश्विक पहल एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता वास्तव में आशा का एक सकारात्मक संकेत है।
  • हमारे लिए पेरिस समझौते से 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव है यदि पर्याप्त कदम उठाए जाएं। उदाहरण: 2040 तक भारत को कार्बन तटस्थ बनाने के लिए अनेक पहलें  प्रारंभ की गई हैं-  स्वयं को हरा-भरा करना, हमारे उद्योग को विकार्बनीकृत (डीकार्बोनाइज़) करना एवं हमारे ग्रह का कायाकल्प करना।
  • एक न्यायोचित परिवर्तन से 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के वार्षिक व्यापार अवसर सृजित हो सकते हैं तथा 39.5 मिलियन नौकरियां उत्पन्न हो सकती हैं। अकेले भारत 50 मिलियन से अधिक शुद्ध नई नौकरियां सृजित  कर सकता है तथा आर्थिक मूल्य में 15 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का सृजन कर सकता है।

 

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