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संपादकीय विश्लेषण- थिंकिंग बिफोर लिंकिंग

थिंकिंग बिफोर लिंकिंग- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतःक्षेप तथा उनके अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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थिंकिंग बिफोर लिंकिंग- -निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक

  • हाल ही में, संसद ने निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 पारित किया है जिसका उद्देश्य कई अन्य निर्वाचन सुधारों के साथ मतदाता सूची संबंधी आंकड़ों को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ना है।

 

मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ना- प्रमुख बिंदु

  • प्रमुख उद्देश्य: निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के उद्देश्य हैं-
    • मतदाता सूची को शुद्ध करने एवं फर्जी मतदाताओं को बाहर निकालना,
    • सैन्य बलों के मतदाताओं के मध्य लैंगिक तटस्थता सुनिश्चित करना
    • नामावलियों के पुनरीक्षण के लिए एक अर्हक तिथि के स्थान पर चार अर्हक तिथियां प्रदान करके मतदाता सूची में शामिल करने की प्रक्रिया को सुगम बनाना।
  • अपेक्षित लाभ:
    • मतदाताओं के साथ आधार डेटा को जोड़ने से एक निर्वाचन क्षेत्र या कई निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही व्यक्ति की एकाधिक प्रविष्टियों की समस्या समाप्त होने की संभावना है।
    • निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 दूरस्थ मतदान की अनुमति प्रदान कर सकता है जो विशेष रूप से प्रवासी मतदाताओं के लिए लाभप्रद है।
    • मतदाता सूची के पुनरीक्षण हेतु एकाधिक तिथियां प्रदान करने से 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वालों के नामांकन में तेजी लाने में  सहायता प्राप्त होगी।

 

निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021- संबद्ध चिंताएं

  • अपर्याप्त चर्चा एवं परामर्श: सभी हितधारकों के साथ परामर्श के अभाव एवं राज्यसभा/लोकसभा के पटल पर अपर्याप्त चर्चा एक समस्याग्रस्त विधान के प्रगतिशील पहलुओं को दुर्बल बना सकती है।
    • सरकार ने पर्याप्त चर्चा के बिना मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने के लिए संसद में निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को शीघ्रता से पारित कराया।
  • मतदाताओं का अपवर्जन: आलोचकों का मानना ​​​​है कि निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के परिणामस्वरूप वैध मतदाताओं की आधार विवरण प्रस्तुत करने में अनिच्छा अथवा असमर्थता के परिणाम स्वरूप उनका मताधिकार विहीन होना हो सकता है।
    • सबमिट न करने का विकल्प एक “पर्याप्त कारण” से जुड़ा हुआ है, जिसे पृथक रूप से निर्धारित किया जाएगा।
    • क्या किसी व्यक्ति के आधार नंबर को प्रज्ञापित नहीं करने के कुछ अनुमेय कारणों में, सिद्धांत पर आपत्ति का शामिल होना अज्ञात है।
  • व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन: देश में किसी विस्तृत निजता कानून के अभाव में, निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 का परिणाम हो सकता है-
    • निजता का संभावित उल्लंघन, एवं
    • मतदाताओं की प्रोफाइलिंग हेतु जनसांख्यिकीय विवरण का संभावित दुरुपयोग।

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निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021-  आगे की राह 

  • फर्जी मतदाताओं की पहचान हेतु अन्य विधियों का उपयोग करना: डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र को समाप्त करने हेतु अन्य पहचान प्रक्रियाओं को परिनियोजित किया जा सकता है।
    • आधार डेटाबेस मतदाता पहचान को सत्यापित करने हेतु अप्रासंगिक हो सकता है क्योंकि यह निवासियों का पहचानकर्ता है न कि नागरिकों का।
  • प्रासंगिक हितधारकों के साथ परामर्श एवं भागीदारी: सरकार को निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के नवीन प्रावधानों को प्रवर्तित करने से पूर्व जनता की राय आमंत्रित करनी चाहिए एवं गहन संसदीय जांच की अनुमति प्रदान करनी चाहिए।
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