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थार रेगिस्तान में प्रसार एवं भूमि क्षरण

थार रेगिस्तान में प्रसार एवं भूमि क्षरण: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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थार रेगिस्तान में प्रसार एवं भूमि क्षरण: प्रसंग

  • हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) की संरचना के भीतर एक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया को समझने के लिए थार की जलवायु एवं वनस्पति का अध्ययन किया।

 

थार रेगिस्तान का विस्तार

  • अध्ययन से पता चला है कि विश्व का नौवां सर्वाधिक वृहद गर्म उपोष्णकटिबंधीय मरुस्थल (रेगिस्तान) थार रेगिस्तान तीव्र गति से प्रसार कर रहा है।
  • थार के प्रसार के कारण: लोगों का पलायन, वर्षा के प्रतिरूप में परिवर्तन, रेत के टीलों का प्रसार एवं अवैज्ञानिक वृक्षारोपण अभियान।
  • वैज्ञानिकों ने कहा है कि संसाधनों के अत्यधिक दोहन से थार रेगिस्तान से सटे क्षेत्रों में वनस्पति आवरण में कमी आई है,  जिसके कारण पश्चिमी राजस्थान में चार जिलों से आगे इसके विस्तार में योगदान हुआ है।
  • थार मरुस्थल में भूमि का क्षरण मरुस्थलीय पारिस्थितिकी के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है, जबकि जलवायु परिवर्तन ने शुष्क क्षेत्र के प्रसार में योगदान दिया है।
  • अरावली पर्वतमाला के क्रमिक विनाश के साथ, वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले वर्षों में रेगिस्तान से रेत के तूफान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तक पहुंचेंगे

 

अरावली पहाड़ियों की क्षति

  • अरावली पर्वतमाला मरुस्थल एवं मैदानी क्षेत्रों के एक प्राकृतिक हरित दीवार के रूप में कार्य करती है।
  • वे भूजल के पुनर्भरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं एवं अनेक वनों एवं 20 वन्यजीव अभ्यारण्यों सहित जैव विविधता की एक विशाल श्रृंखला के लिए आवास हैं।
  • यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय ने 2002 में इस पर्वत श्रृंखला के 10 मील लंबे क्षेत्र में उत्खनन कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया था, कुछ लोगों का एक समूह निर्माण क्षेत्र को बेचने के लिए चट्टानों को निकालने का कार्य कर रहा है।

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थार रेगिस्तान में प्रसार एवं भूमि क्षरण: कारण:

  • यद्यपि, हाल के दिनों में, अरावली पहाड़ियों का उत्खनन एक आकर्षक उद्योग एवं नई दिल्ली के बाहर अरावली में जीवन शैली बन गया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की 2018 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि राजस्थान में अवस्थित 128 पहाड़ियों में से 31 विगत 50 वर्षों में अवैध उत्खनन के कारण लुप्त हो गई हैं।

 

थार रेगिस्तान में प्रसार एवं भूमि क्षरण: प्रभाव

  • पहाड़ियों के नष्ट होने से जैव विविधता को व्यापक नुकसान पहुंचता है।
  • अरावली के लुप्त होने का अर्थ पर्यावरण को अपूरणीय क्षति होना है।
  • रेगिस्तानी रेतीले तूफान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तक पहुंचेंगे, जिससे पहले से ही प्रदूषित क्षेत्रों में प्रदूषण   में और वृद्धि होगी।

 

थार रेगिस्तान में प्रसार एवं भूमि क्षरण: आवश्यक कदम

  • रेत के टीलों के प्रसार को नियंत्रित करने हेतु अभी तक कोई तंत्र विकसित नहीं हुआ है।
  • राजस्थान के पूर्वी भागों की ओर मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए अरावली पर्वतमाला के संरक्षण हेतु नवीन योजनाएं विकसित की जानी चाहिए
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