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एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग: सेबी ने एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग को विनियमित करने हेतु कहा

एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।

 

एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग: प्रसंग

  • हाल ही में, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रस्ताव दिया है कि स्टॉक ब्रोकरों के एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) से निर्गमित होने वाले सभी ऑर्डर को कलन विधि व्यापार (एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग) के रूप में माना जाना चाहिए, जिसे आमतौर पर एल्गो के रूप में जाना जाता है।

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एल्गो ट्रेडिंग क्या है?

  • एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग व्यापार की एक प्रणाली है जो उन्नत गणितीय गणनाओं का उपयोग करके वित्तीय बाजारों में लेनदेन निर्णय निर्माण की सुविधा प्रदान करती है।
  • एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग में, जिसे ब्लैक-बॉक्स ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है, कंप्यूटर प्रोग्राम निर्देशों के एक समुच्चय का उपयोग करता है जो व्यापारिक निर्णय लेने में सहायता करता है एवं उस गति से लाभ अर्जित करता है जिसे हासिल करना मानव व्यापारी के लिए कठिन होगा।
  • एल्गो ट्रेडिंग, व्यापारियों के लिए लाभ के अवसर प्रदान करते हुए, व्यापार पर मानवीय भावनाओं के प्रभाव को समाप्त करके बाजारों को अधिक तरल एवं व्यापार को अधिक व्यवस्थित बनाता है।

 

एपीआई की भूमिका क्या है?

  • भारत में कई स्टॉक ब्रोकर अपने ग्राहकों को एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) का अधिगम (एक्सेस) प्रदान करते हैं जो एक डेटा प्रदाता (स्टॉक ब्रोकर) एवं एक अंतिम उपयोगकर्ता/एंड-यूज़र (ग्राहक) के मध्य एक ऑनलाइन संपर्क स्थापित करता है।
  • एपीआई अधिगम निवेशकों को तीसरे पक्ष के एप्लिकेशन का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता है जो उन्हें व्यापार या निवेश रणनीति के पश्च परीक्षण (बैक-टेस्टिंग) के लिए बाजार डेटा का विश्लेषण करने में सहायता प्रदान करता है।
  • इन एपीआई का उपयोग निवेशक अपने व्यापार को स्वचालित करने के लिए कर रहे हैं।

 

सेबी का प्रस्ताव

  • विनियमन: सेबी ने कहा कि एल्गो ट्रेडिंग के लिए नियामक ढांचा निर्मित करने की आवश्यकता है।
  • एपीआई: एपीआई से निर्गमित होने वाले सभी ऑर्डर को एल्गो ऑर्डर के रूप में माना जाना चाहिए एवं स्टॉक ब्रोकर द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।
  • एल्गो आईडी: एल्गो ट्रेडिंग करने के लिए एपीआई को स्टॉक एक्सचेंज द्वारा प्रदान की गई विशिष्ट एल्गो पहचान (आईडी) के साथ टैग किया जाना चाहिए जो एल्गो के लिए अनुमोदन प्रदान करता है।
  • अनुमोदन: स्टॉक ब्रोकरों को एक्सचेंज से सभी एल्गो का अनुमोदन लेने की आवश्यकता होती है। प्रत्येक एल्गो रणनीति, चाहे ब्रोकर या क्लाइंट द्वारा उपयोग की जाती है, को एक्सचेंज द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  • प्रणाली का विकास: स्टॉक एक्सचेंजों को यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी होगी कि एक्सचेंज द्वारा अनुमोदित एवं एक्सचेंज द्वारा प्रदान की गई विशिष्ट एल्गो आईडी वाले केवल उन्हीं एल्गो को परिनियोजित किया जा रहा है।
  • द्वि कारक प्रमाणीकरण: इसे प्रत्येक ऐसी प्रणाली में निर्मित किया जाना चाहिए जो किसी भी एपीआई/एल्गो व्यापार के लिए निवेशक को अधिगम प्रदान करता हो।

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एल्गो ट्रेडिंग के लाभ

  • नियम-आधारित निर्णय निर्माण: यह सुनिश्चित करता है कि सभी ट्रेड, नियमों के एक समुच्चय का पालन करें। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि व्यापार निर्णय लेते समय व्यापारी एवं निवेशक प्रायः भावनाओं एवं आवेशों से प्रभावित हो जाते हैं।
  • बाजार के प्रभाव को कम करना: एक ट्रेडिंग एल्गोरिथ्म शेयरों का क्रय कर सकता है एवं तत्काल जांच कर सकता है कि लेनदेन ने बाजार मूल्य को प्रभावित किया है अथवा नहीं। यह लेनदेन की लागत को कम करता है एवं एक साथ कई बाजार स्थितियों पर स्वचालित जांच करता है।
  • मानव तर्कदोष को कम करना: चूंकि एल्गोरिथ्म व्यापार पूर्वनिर्धारित निर्देशों के आधार पर कार्य करता है, यह मानव व्यापारियों द्वारा गलती करने की संभावना को कम करता है।

 

एल्गो ट्रेडिंग के नुकसान

  • निगरानी: भले ही निर्णय नियम-आधारित हों, स्वचालित व्यापार प्रणालियों को निरंतर पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है। यदि सिस्टम की निगरानी की जाती है तो अनियमितताओं की घटनाओं का शीघ्र पता लगाया जा सकता है एवं उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।
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