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विश्व व्यापार संगठन विवाद निपटान तंत्र: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
विश्व व्यापार संगठन विवाद निपटान तंत्र: प्रसंग
- हाल ही में, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के एक पैनल ने भारत की चीनी निर्यात सहायिकी (सब्सिडी) एवं गन्ना उत्पादकों को घरेलू समर्थन के विरुद्ध अपना निर्णय दिया है।
चीनी सब्सिडी पर डब्ल्यूटीओ विवाद में भारत हारा: मुख्य बिंदु
- ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील एवं ग्वाटेमाला ने 2019 में डब्ल्यूटीओ विवाद पैनल में चीनी क्षेत्र में भारत के कुछ नीतिगत उपायों को चुनौती दी थी।
- देशों ने शिकायत की कि गन्ना उत्पादकों को भारत द्वारा प्रदान की जाने वाली घरेलू सहायता विश्व व्यापार संगठन द्वारा अनुमत सीमा से अधिक थी एवं भारत चीनी मिलों को निषिद्ध निर्यात सब्सिडी प्रदान करता है।
- पैनल ने निर्णय दिया कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन किया है क्योंकि उसने चीनी एवं गन्ने के उत्पादन तथा निर्यात के लिए अत्यधिक सब्सिडी की पेशकश की है।
- यद्यपि, भारत ने कहा है कि वह इस निर्णय के विरुद्ध अपील करेगा।
विश्व व्यापार संगठन विवाद निपटान मामले: कृषि समझौते का उल्लंघन
- डब्ल्यूटीओ पैनल ने पाया है कि भारत ने गन्ना उत्पादकों को गन्ना उत्पादन के कुल मूल्य के 10 प्रतिशत के अनुमत स्तर से अधिक गैर-छूट उत्पाद-विशिष्ट घरेलू समर्थन प्रदान किया है।
- पैनल ने भारत सरकार से 120 दिनों के भीतर सब्सिडी वापस लेने को कहा है।
- पैनल के अनुसार, भारत ने निर्यात प्रदर्शन के आधार पर सब्सिडी प्रदान की है, जो एससीएम (सब्सिडी एवं प्रतिकारी /काउंटरवेलिंग उपाय) समझौते के अनुरूप नहीं है।
- सब्सिडी एवं प्रतिकारी उपायों पर समझौता (“एससीएम समझौता”) दो पृथक पृथक किंतु निकट रूप से संबंधित विषयों: सब्सिडी के प्रावधान को विनियमित करने वाले बहुपक्षीय अनुशासन एवं सब्सिडी युक्त आयातों के कारण होने वाली क्षति को प्रतिसंतुलित (ऑफसेट) करने हेतु काउंटरवेलिंग उपायों के उपयोग को संबोधित करता है।
चीनी सब्सिडी पर डब्ल्यूटीओ विवाद में भारत हारा: प्रभाव
- वाणिज्य विभाग ने कहा है कि चीनी क्षेत्र में भारत के वर्तमान एवं जारी नीतिगत उपायों पर पैनल के निष्कर्षों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- भारत – ब्राजील के पश्चात विश्व का सर्वाधिक वृहद चीनी उत्पादक – पहले ही उच्च वैश्विक कीमतों के कारण इस वर्ष चीनी निर्यात को सब्सिडी देने से विरत रहने का संकल्प ले चुका है। अतः, अभी तक चीनी के लिए कोई निर्यात सब्सिडी नहीं है।
- वर्तमान 2021-22 के विपणन वर्ष हेतु, भारत ने एक निर्यात सब्सिडी छोड़ दी जो विगत तीन वर्षों से अस्तित्व में थी। इन सब्सिडी ने भारतीय मिलों को 2020/21 अवधि में 2 मिलियन टन चीनी का रिकॉर्ड निर्यात करने में सहायता की।
- भारतीय चीनी मिलें इस वर्ष 35 लाख टन चीनी निर्यात करने हेतु पूर्व से ही अनुबंधित हैं एवं अंततः 60 लाख टन से अधिक चीनी का निर्यात कर सकती हैं।
चीनी सब्सिडी पर डब्ल्यूटीओ विवाद में भारत हारा: आगे क्या?
- पैनल रिपोर्ट को विश्व व्यापार संगठन के विवाद निस्तारण निकाय (डीएसबी) द्वारा प्रचलन के 20 से 60 दिनों के भीतर अंगीकृत किया जाएगा, जब तक कि डीएसबी सर्वसम्मति से इसे नहीं अंगीकृत करने का निर्णय नहीं देती है अथवा कोई भी पक्ष अपील करने के अपने निर्णय को सूचित नहीं करता है।
- भारत आगामी 60 दिनों में किसी भी समय इस निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकता है, एक ऐसा कदम जो वीटो की भांति कार्य करेगा क्योंकि विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय कार्य नहीं कर रहा है।