Table of Contents
राजद्रोह यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न अंगों के मध्य शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र एवं संस्थाएं।
भारत में राजद्रोह कानून: संदर्भ
- हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई 2023 में न्यायालय द्वारा मामले की अगली सुनवाई तक राजद्रोह से संबंधित कानून को रोक दिया है।
देशद्रोह पर सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य: प्रमुख बिंदु
- इस निर्णय के साथ, सर्वोच्च न्यायालय ने देश के दंड विधि (पीनल लॉ) में देशद्रोह के प्रावधान के प्रवर्तन को प्रभावी रूप से निलंबित कर दिया है।
- न्यायालय ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि केंद्र तथा राज्यों की सरकारें न केवल आईपीसी की धारा 124 ए के तहत देशद्रोह का कोई नया मामला दर्ज करने में स्वयं को सीमित रखेंगी, बल्कि इसके तहत कोई जांच या कोई दंडात्मक उपाय भी जारी नहीं रखेगी।
- आशा और अपेक्षा केंद्र सरकार के स्वयं के प्रस्तुतीकरण से उत्पन्न होती है कि उसने पुराने कानूनों एवं अनुपालन बोझ को समाप्त करने के प्रधान मंत्री के प्रयासों के एक भाग के रूप में प्रावधान की फिर से जांच तथा पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है।
- न्यायालय ने लोगों को स्वतंत्रता प्रदान की है कि यदि देशद्रोह का कोई नया मामला दर्ज किया जाता है तो वे अधिकार क्षेत्र के न्यायालयों के पास जा सकते हैं एवं अपने समर्थन में वर्तमान आदेश के साथ-साथ केंद्र सरकार के रुख का हवाला दे सकते हैं।
देशद्रोह पर सर्वोच्च न्यायालय का मत: क्यों आवश्यक है?
- राजद्रोह/देशद्रोह कानून के निरंतर दुरुपयोग की वर्षों पहले पहचान की जा चुकी है।
- इससे पूर्व, न्यायालयों ने यह भी बताया है कि पुलिस अधिकारी सर्वोच्च न्यायालय की 1962 की संविधान पीठ द्वारा देशद्रोह का गठन करने वाली सीमा पर ध्यान नहीं दे रहे थे।
- 1962 में संविधान पीठ ने कहा कि राजद्रोह शब्द केवल “अव्यवस्था उत्पन्न करने की मंशा या प्रवृत्ति, अथवा विधि एवं व्यवस्था की गड़बड़ी, या हिंसा के लिए उकसाने वाले कृत्यों” पर लागू होता है।
- व्यवहार में, पुलिस देशद्रोह की व्यापक परिभाषा का उपयोग उन व्यक्तियों को निरुद्ध करने हेतु कर रही है, जिन्होंने भी सरकार की कड़ी एवं कठोर भाषा में आलोचना की है।
सेडिशन सुप्रीम कोर्ट: आगे क्या?
- यदि शीर्ष न्यायालय 60 वर्ष पूर्व पांच-न्यायाधीशों की बेंच द्वारा दिए गए निर्णय को रद्द करने का विकल्प चुनती है एवं आईपीसी की धारा 124 ए को मुक्त अभिव्यक्ति पर एक असंवैधानिक प्रतिबंध के रूप में खारिज कर देती है, तो यह अभिव्यक्ति-आधारित अपराधों से संबंधित प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के व्यापक निमित्त में सहायता कर सकता है।
- यद्यपि, विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिश के अनुसार, सरकार अधिनियम में संशोधन करके ऐसी स्थिति को रोकने के विकल्प का चयन कर सकती है ताकि अपराध को केवल उन कृत्यों को सम्मिलित करने के लिए परिभाषित किया जा सके जो राज्य की संप्रभुता, अखंडता तथा सुरक्षा को दुष्प्रभावित करते हैं।
देशद्रोह कानून: आगे की राह
- सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह स्वयं इस प्रावधान पर पुनर्विचार कर रही है, अब उसे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की भावना पर ध्यान देना चाहिए एवं इसके दुरुपयोग को रोकने हेतु प्रभावी कदम उठाने चाहिए।





TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
