Table of Contents
राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन: संदर्भ
- हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत खेलों को मौलिक अधिकार बनाने की संस्तुति करने वाली एक रिपोर्ट पर केंद्र तथा राज्यों से जवाब मांगा है।
राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन: मुख्य बिंदु
- इससे पूर्व, गोपाल शंकरनारायणन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट-कोर्ट के न्याय मित्र (एमिकस करिए)- ने सुझाव दिया कि संकीर्ण वाक्यांश ‘खेल’ को ‘शारीरिक साक्षरता’ से प्रतिस्थापित कर दिया जाए, जो कि विश्व के प्रमुख खेल देशों में एक अधिकार के रूप में सुदृढ़ता से स्थापित एक शब्द है।
- खेल को मौलिक अधिकार बनाने के लिए संविधान में संशोधन तथा खेल शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु प्रयास करने के दायित्व को शामिल करने के लिए राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में संशोधन करने के लिए एक जनहित याचिका में रिपोर्ट दायर की गई थी।
- जनहित याचिका में यह भी आग्रह किया गया था कि केंद्र एवं राज्यों के मध्य सहकारी कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए खेलों को समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन (नेशनल फिजिकल लिटरेसी मिशन/NPLI) क्या है?
- अब, शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को ‘राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन’ स्थापित करने के लिए रिपोर्ट के दृष्टिकोण पर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया है।
- राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन का अर्थ: एनपीएलआई से एक उत्तरदायित्व मैट्रिक्स की स्थापना एवं कार्यान्वयन द्वारा अधिकार को प्रभावी करने की अपेक्षा है जिसमें पाठ्यक्रम डिजाइन, अनुपालन अनुश्रवण तथा समीक्षा, शिकायत निवारण एवं आत्म-सुधार तंत्र सम्मिलित हैं जो बच्चों को विभिन्न खेलों के लिए तैयार करने के लिए विद्यालय स्तर पर प्रारंभ होते हैं।
- रिपोर्ट का विचार था कि सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य बोर्ड, आईबी, आईजीसीएसई सहित सभी विद्यालय बोर्डों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए कि 2022-2023 से प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक वर्ष से प्रत्येक विद्यालय दिवस के न्यूनतम 90 मिनट स्वच्छंद क्रीड़ा एवं खेलों के लिए समर्पित होंगे।
- रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से, सभी गैर-आवासीय महाविद्यालयों एवं विद्यालयों को अनिवार्य रूप से गैर-कार्य घंटों के दौरान पड़ोस के बच्चों को अपने खेल के मैदानों तथा खेल सुविधाओं का पहचान सुरक्षा तथा देखभाल के बुनियादी मानदंडों के अधीन नि शुल्क उपयोग करने की अनुमति देनी चाहिए, ।
- इस नीति में ‘कोई बच्चा पीछे ना छूटे’ (‘नो-चाइल्ड-लेफ्ट-बिहाइंड‘) दृष्टिकोण के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता शामिल होगी जो यह सुनिश्चित करती है कि संस्थान की शारीरिक साक्षरता गतिविधियों को इस तरह से डिज़ाइन तथा वितरित किया गया है जिसमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकलांग छात्रों, बालिकाओं, आर्थिक तथा सामाजिक समूह के उपेक्षित वर्गों के छात्रों को शामिल किया गया है।
- समिति ने शीर्ष न्यायालय से शिक्षा मंत्रालय को इस अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में साकार करने के लिए एक रणनीतिक रूपरेखा तैयार करने के लिए एक अधिकार प्राप्त समिति बनाने का निर्देश देने के लिए कहा था।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों को, जो छात्रों को सप्ताह में 10 घंटे से अधिक समय तक होस्ट करते हैं, माता-पिता / अभिभावकों के लिए ‘शारीरिक साक्षरता नीति‘ प्रकाशित करने एवं प्रसारित करने तथा विशिष्ट मामलों,जहां छात्रों को शारीरिक साक्षरता का अधिकार देने के उत्तरदायित्व में विफलता है, को संबोधित करने के लिए एक आंतरिक समिति बनाने हेतु 180 दिनों का समय दिया जाना चाहिए। ।




TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
