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पैक की गई वस्तुओं के लिए अनिवार्य आवश्यकताएं 

पैकेज्ड कमोडिटीज के लिए अनिवार्य आवश्यकताएं- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- भारत में खाद्य प्रसंस्करण तथा संबंधित उद्योग।

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पैकेज्ड कमोडिटीज के लिए अनिवार्य आवश्यकताएं चर्चा में क्यों है?

उपभोक्ता मामले विभाग, विधिक माप विज्ञान प्रभाग (लीगल मेट्रोलॉजी डिवीजन) ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स 2011 में संशोधन के प्रारूप को अधिसूचित किया है, जिसमें कुछ बाध्यताएं हैं।

लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 के तहत अनिवार्य प्रावधान

नियमों के तहत कई घोषणाओं को सुनिश्चित करना अनिवार्य है, जैसे:

  1. निर्माता/पैक करने वाले/आयातक का नाम एवं पता।
  2. उद्गम देश।
  3. वस्तु का सामान्य या वर्गीय नाम।
  4. शुद्ध मात्रा।
  5. निर्माण का माह एवं वर्ष।
  6. अधिकतम खुदरा मूल्य ( मैक्सिमम रिटेल प्राइस/एमआरपी)।
  7. उपभोक्ता देखभाल से संबंधित जानकारी।
  • उपभोक्ता-उन्मुख नीति के रूप में, सभी पूर्व-पैक वस्तुओं का भी निरीक्षण किया जाना चाहिए।
  • नियम 9(1)(ए) में प्रावधान है कि पैकेज पर घोषणा सुपाठ्य तथा सुस्पष्ट होनी चाहिए।
  • जब पैकेज पर महत्वपूर्ण घोषणाओं को सुस्पष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं किया जाता है तो उपभोक्ताओं के ‘सूचित होने के अधिकार’ का उल्लंघन होता है।

 

क्या हैं प्रस्तावित संशोधन?

  • चूंकि मिश्रित खाद्य  एवं प्रसाधन संबंधी ( कॉस्मेटिक) उत्पाद बाजार में विक्रय किए जाते हैं, अतः उत्पाद पैकेजिंग पर प्रमुख घटकों का उल्लेख किया जाना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त, पैकेज के सामने वाले भाग में  विशिष्ट विक्रय प्रस्ताव (यूनिक सेलिंग प्रपोजिशन/यूएसपी) की संरचना का प्रतिशत होना चाहिए।
  • साथ ही, प्रमुख घटकों को प्रदर्शित करने वाले पैकेजों को उत्पाद निर्मित करने हेतु उपयोग की जाने वाली सामग्री का प्रतिशत प्रदर्शित करना चाहिए।
  • नवीन संशोधनों ने सुझाव दिया है कि कम से कम दो प्रमुख घटकों को ब्रांड नाम के साथ पैकेज के सामने की तरफ प्रकट किया जाना चाहिए।
  • वर्तमान में, निर्माता केवल पैकेजिंग के पीछे सामग्री एवं पोषण संबंधी जानकारी सूचीबद्ध करते हैं।
  • इस घोषणा में उत्पाद के यूएसपी का प्रतिशत/मात्रा भी उसी फ़ॉन्ट आकार में शामिल होना चाहिए जो यूएसपी  के प्रदर्शित किए जाने के रूप में है। हालांकि, यांत्रिक या विद्युत वस्तुओं को इस उप-नियम से बाहर रखा गया है।

 

पैक की गई वस्तुओं को लेकर विसंगतियां

  • प्रभाग ने देखा है कि अनेक निर्माता/पैक करने वाले/आयातक पैकेज्ड वस्तुओं के सामने आवश्यक विवरण अथवा प्रमुख घटकों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं करते हैं।
  • उपभोक्ताओं के लिए यह मान लेना आम बात है कि ब्रांड के दावे सही हैं, किंतु ऐसे दावे आमतौर पर भ्रामक होते हैं।
  • उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए इस तरह के प्रकटीकरण को आवश्यक माना जाता है।

 

उपभोक्ता अधिकार

उपभोक्ता अधिकार इस बात की एक अंतर्दृष्टि है कि जब वस्तु उपलब्ध कराने वाले विक्रेता की बात आती है तो उपभोक्ता के पास क्या अधिकार होते हैं।

भारत में उपभोक्ताओं के अधिकार नीचे सूचीबद्ध हैं:

(1) सुरक्षा का अधिकार

  • इसका अर्थ है जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक वस्तुओं एवं सेवाओं के विपणन से सुरक्षा का अधिकार।
  • क्रय  किए गए वस्तु एवं सेवाओं को न केवल उनकी तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए, बल्कि दीर्घकालिक हितों को भी पूरा करना चाहिए।
  • क्रय करने से पूर्व, उपभोक्ताओं को उत्पादों की गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादों एवं सेवाओं की गारंटी पर   बल देना चाहिए। उन्हें आईएसआई, एगमार्क इत्यादि जैसे गुणवत्ता वाले चिह्नित उत्पादों को प्राथमिकता से  क्रय करना चाहिए।

(2) सूचित किए जाने का अधिकार

  • इसका अर्थ है माल की गुणवत्ता, मात्रा, प्रभावशीलता, शुद्धता, मानक एवं कीमत के बारे में सूचित किए जाने का अधिकार ताकि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार प्रथाओं से सुरक्षित किया जा सके।
  • उपभोक्ताओं को चुनाव या निर्णय लेने से पूर्व उत्पाद या सेवा के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करने पर बल देना चाहिए।
  • यह उसे बुद्धिमत्तापूर्वक एवं जिम्मेदारी से कार्य करने में सक्षम करेगा तथा उसे उच्च दबाव युक्त विक्रय तकनीकों के शिकार होने से रोकने में भी सक्षम करेगा।

(3) चयन का अधिकार 

  • इसका अर्थ है प्रतिस्पर्धी मूल्य पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने का अधिकार। एकाधिकार के मामले में, इसका अर्थ है उचित मूल्य पर संतोषजनक गुणवत्ता एवं सेवा का आश्वासन पाने का अधिकार।
  • इसमें बुनियादी वस्तुओं एवं सेवाओं का अधिकार भी सम्मिलित है। इसका कारण यह है कि अल्पसंख्यक के चयन के अप्रतिबंधित अधिकार का अर्थ उसके उचित हिस्से के बहुसंख्यक हेतु इनकार हो सकता है।

(4) सुनवाई का अधिकार 

  • इसका अर्थ है कि उपयुक्त मंचों पर उपभोक्ता के हितों पर समुचित रूप से विचार किया जाएगा। इसमें उपभोक्ता के कल्याण पर विचार करने हेतु गठित विभिन्न मंचों में प्रतिनिधित्व का अधिकार भी सम्मिलित है।

(5) निवारण का अधिकार

  • इसका अर्थ है अनुचित व्यापार प्रथाओं अथवा उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध निवारण का अधिकार। इसमें उपभोक्ता की वास्तविक शिकायतों के उचित निपटान का अधिकार भी शामिल है।
  • उपभोक्ताओं को अपनी वास्तविक शिकायतों के लिए शिकायत दर्ज करानी चाहिए। कई बार उनकी शिकायत कम महत्व की हो सकती है किंतु समग्र रूप से समाज पर इसका प्रभाव अत्यंत व्यापक हो सकता है।

(6) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार 

  • इसका अर्थ है जीवन भर एक संसूचित उपभोक्ता होने हेतु ज्ञान एवं कौशल प्राप्त करने का अधिकार।
  • उपभोक्ताओं, विशेषकर ग्रामीण उपभोक्ताओं की अज्ञानता उनके शोषण हेतु मुख्य रूप से उत्तरदायी होती है।

 

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