भारत न्याय रिपोर्ट: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट न्याय तक पहुंच प्रदान करने की उनकी क्षमता के संबंध में अलग-अलग भारतीय राज्यों को रैंक करती है। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- भारत में सामाजिक न्याय एवं विभिन्न संबंधित मुद्दों) के लिए भी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 महत्वपूर्ण है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 के अनुसार, 2 जनवरी, 2023 तक, भारतीय उच्च न्यायालयों में लगभग 50% मामले पाँच वर्षों से अनसुलझे हैं।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2022 के अनुसार, एक करोड़ से अधिक आबादी वाले 18 बड़े एवं मध्यम आकार के राज्यों में कर्नाटक राज्य ने न्याय प्रदान करने के मामले में शीर्ष रैंक हासिल की है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 के अनुसार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय (उत्तर प्रदेश) एवं कलकत्ता उच्च न्यायालय (पश्चिम बंगाल एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह) में 63% से अधिक मामले पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित थे।
रिक्तियों का प्रतिशत झारखंड में न्यूनतम 16% से लेकर राजस्थान में अधिकतम 48% तक भिन्न था, जो उपलब्ध न्यायाधीशों की अपर्याप्त संख्या को दर्शाता है।
2017 तथा 2022 में उच्च न्यायालय के प्रति न्यायाधीश के समक्ष लंबित मामलों की औसत संख्या के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए पाया गया कि-
भारत में, 2022 में दर्ज किए गए प्रत्येक 100 मामलों में से, उसी वर्ष केवल 95 का समाधान किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 95% की निस्तारण दर हुई, जबकि शेष 5% को बैकलॉग में जोड़ा गया। हालांकि, 2021 में 83% एवं 2020 में 77% के साथ, महामारी के वर्षों के दौरान निस्तारण दर कम थी।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट न्याय तक पहुंच प्रदान करने की उनकी क्षमता के संबंध में अलग-अलग भारतीय राज्यों को रैंक करती है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट व्यापक डेटा विश्लेषण पर आधारित है एवं इसे नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं तथा अन्य हितधारकों के लिए उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक उपकरण के रूप में तैयार किया गया है जहां भारत में न्याय वितरण में सुधार के लिए सुधार की आवश्यकता है।
आधिकारिक सरकारी स्रोतों से नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर, रिपोर्ट न्याय प्रदान करने के चार स्तंभों अर्थात पुलिस, न्यायपालिका, कारागार तथा विधिक सहायता पर अन्यथा भंडारित डेटा को एक साथ लाती है।
प्र. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट क्या है?
उत्तर. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट एक वार्षिक प्रकाशन है जो भारत में न्याय वितरण की स्थिति का मूल्यांकन करता है। यह टाटा ट्रस्ट्स, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज एवं कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव सहित हनी संगठनों का एक सहयोगात्मक प्रयास है।
प्र. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में क्या शामिल है?
उत्तर. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में पुलिस, न्यायपालिका, विधिक सहायता, कारागार तथा फोरेंसिक प्रतिष्ठानों के कार्यकरण सहित न्याय वितरण के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। यह अपराध की रोकथाम, न्याय तक पहुंच एवं मानवाधिकारों जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए समग्र न्याय प्रणाली की क्षमता का भी आकलन करता है।
प्र. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट कौन तैयार करता है?
उत्तर. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों एवं शोधकर्ताओं के एक दल द्वारा तैयार की जाती है। इसकी देखरेख एक सलाहकार समिति करती है जिसमें प्रख्यात न्यायविद, शिक्षाविद एवं नागरिक समाज के कार्यकर्ता शामिल होते हैं।
प्र. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट का उद्देश्य क्या है?
उत्तर. भारतीय न्याय रिपोर्ट का प्राथमिक उद्देश्य भारतीय न्याय प्रणाली के प्रदर्शन का साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन प्रदान करना है। इसका उद्देश्य न्याय वितरण प्रणाली में कमियों एवं चुनौतियों की पहचान करना तथा इसकी प्रभावशीलता में सुधार के लिए समाधान सुझाना है।
प्र. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट कैसे उपयोगी है?
उत्तर. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट न्याय प्रणाली के कार्यकरण में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिसका उपयोग नीति निर्माताओं, न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, नागरिक समाज संगठनों एवं नागरिकों द्वारा किया जा सकता है। यह उन क्षेत्रों का अभिनिर्धारण करने में सहायता कर सकता है जिनमें सुधार की आवश्यकता है एवं न्याय प्रणाली में सुधार के प्रयासों का मार्गदर्शन कर सकता है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट एक वार्षिक प्रकाशन है जो भारत में न्याय वितरण की स्थिति का मूल्यांकन करता है। यह टाटा ट्रस्ट्स, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज एवं कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव सहित हनी संगठनों का एक सहयोगात्मक प्रयास है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में पुलिस, न्यायपालिका, विधिक सहायता, कारागार तथा फोरेंसिक प्रतिष्ठानों के कार्यकरण सहित न्याय वितरण के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। यह अपराध की रोकथाम, न्याय तक पहुंच एवं मानवाधिकारों जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए समग्र न्याय प्रणाली की क्षमता का भी आकलन करता है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों एवं शोधकर्ताओं के एक दल द्वारा तैयार की जाती है। इसकी देखरेख एक सलाहकार समिति करती है जिसमें प्रख्यात न्यायविद, शिक्षाविद एवं नागरिक समाज के कार्यकर्ता शामिल होते हैं।
भारतीय न्याय रिपोर्ट का प्राथमिक उद्देश्य भारतीय न्याय प्रणाली के प्रदर्शन का साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन प्रदान करना है। इसका उद्देश्य न्याय वितरण प्रणाली में कमियों एवं चुनौतियों की पहचान करना तथा इसकी प्रभावशीलता में सुधार के लिए समाधान सुझाना है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट न्याय प्रणाली के कार्यकरण में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिसका उपयोग नीति निर्माताओं, न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, नागरिक समाज संगठनों एवं नागरिकों द्वारा किया जा सकता है। यह उन क्षेत्रों का अभिनिर्धारण करने में सहायता कर सकता है जिनमें सुधार की आवश्यकता है एवं न्याय प्रणाली में सुधार के प्रयासों का मार्गदर्शन कर सकता है।
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