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द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करते हैं।
द्विपक्षीय स्वैप व्यवस्था: संदर्भ
- हाल ही में, भारत तथा जापान ने द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय व्यवस्था का नवीनीकरण किया है जिसके अंतर्गत दोनों देश अमेरिकी डॉलर के बदले में अपनी स्थानीय मुद्राओं का विनिमय कर सकते हैं।
बाइलेट्रल स्वैप अरेंजमेंट: प्रमुख बिंदु
- दोनों देशों ने 28 फरवरी, 2022 से 75 अरब डॉलर तक की द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था (बाइलेट्रल स्वैप अरेंजमेंट/बीएसए) का नवीनीकरण किया है।
- बीएसए का उद्देश्य अन्य वित्तीय सुरक्षा जालों को सुदृढ़ एवं पूरक बनाना है तथा दोनों देशों के मध्य वित्तीय सहयोग को और गहन करना तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक वित्तीय स्थिरता में योगदान करना है।
बाइलेट्रल स्वैप अरेंजमेंट क्या है?
- बीएसए एक दोतरफा व्यवस्था है जहां दोनों प्राधिकरण अमेरिकी डॉलर के बदले में अपनी स्थानीय मुद्राओं का विनिमय कर सकते हैं।
- यह व्यवस्था भारत तथा जापान के मध्य पारस्परिक आर्थिक सहयोग एवं विशेष रणनीतिक तथा वैश्विक साझेदारी में एक और मील का पत्थर है।
द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था के लाभ
- कठिनाई के समय में एक दूसरे की सहायता करने एवं अंतरराष्ट्रीय विश्वास बहाल करने के रणनीतिक उद्देश्य के लिए भारत एवं जापान के मध्य आपसी सहयोग का बाइलेट्रल स्वैप अरेंजमेंट (बीएसए) एक बहुत अच्छा उदाहरण है।
- यह सुविधा उपयोग के लिए टैप पर भारत के लिए उपलब्ध पूंजी की सहमत राशि को सक्षम करेगी।
- साथ ही, इस व्यवस्था के लागू होने से, विदेशी पूंजी के दोहन में भारतीय कंपनियों की संभावनाओं में सुधार होगा क्योंकि देश की विनिमय दर की स्थिरता में अधिक विश्वास होगा।
- भुगतान संतुलन (बैलेंस ऑफ पेमेंट/बीओपी) से उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए ऐसी स्वैप लाइनों की उपलब्धता घरेलू मुद्रा पर कल्पित (सट्टा) हमलों को रोकेगी तथा विनिमय दर की अस्थिरता को प्रबंधित करने की आरबीआई की क्षमता में अत्यधिक वृद्धि करेगी।
सार्क मुद्रा विनिमय
- सार्क मुद्रा विनिमय ढांचा 15 नवंबर, 2012 को प्रवर्तन में आया।
- इसका उद्देश्य अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं या दीर्घ अवधि की व्यवस्था होने तक भुगतान अभाव के अल्पकालिक संतुलन के लिए पश्चगतिक सीमक (बैकस्टॉप) लाइन प्रदान करना था।
- 2019 में, आरबीआई ने सार्क क्षेत्र के भीतर वित्तीय स्थिरता एवं आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सार्क देशों के लिए 2019-2022 के लिए मुद्रा स्वैप व्यवस्था पर एक संशोधित ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया था।
- यह ढांचा 14 नवंबर, 2019 से 13 नवंबर, 2022 तक वैध है।
- 2019-22 के ढांचे के तहत, भारतीय रिजर्व बैंक 2 बिलियन अमरीकी डालर के समग्र कोष के भीतर स्वैप व्यवस्था की पेशकश करना जारी रखेगा।
- आहरण अमेरिकी डॉलर, यूरो अथवा भारतीय रुपये में की जा सकती है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सेंट्रल बैंक के साथ मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इस सार्क मुद्रा विनिमय समझौते के तहत, 2020 में, आरबीआई ने सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के साथ एक मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।




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