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खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन स्वीकृत

खान  एवं खनिज अधिनियम संघ लोक सेवा आयोग: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप

खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन स्वीकृत_3.1

भारत में खान तथा खनिज: संदर्भ

  • हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर निर्दिष्ट करने के लिए खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन के लिए खान मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

 

खान एवं खनिज अधिनियम: प्रमुख बिंदु

  • ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लैटिनम समूह के धातु ( प्लैटिनम ग्रुप ऑफ मेटल्स/पीजीएम), अंडालसाइट, सिलिमेनाइट एवं मोलिब्डेनम के लिए रॉयल्टी की दर निर्दिष्ट की जाएगी।
  • अनुमोदन से उपरोक्त खनिजों के संबंध में खनिज ब्लॉकों की नीलामी सुनिश्चित होगी।

 

खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम 1957: संशोधन के लाभ

  • अनुमोदन देश की अर्थव्यवस्था के लिए अनेक महत्वपूर्ण खनिजों के संबंध में आयात प्रतिस्थापन  को प्रेरित करेगा जिससे मूल्यवान विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होगी।
  • यह खनिजों के स्थानीय उत्पादन के माध्यम से देश की विदेशी निर्भरता को कम करेगा
  • संशोधन से खनन क्षेत्र के साथ-साथ विनिर्माण क्षेत्र में भी सशक्तिकरण के अवसर उत्पन्न होंगे।
  • संशोधन समाज के एक बड़े वर्ग के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने में सहायता करेगा।

 

खान एवं खनिज अधिनियम में संशोधन

  • खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 देश की खनिज संपदा के आवंटन में पारदर्शिता एवं गैर-भेदभाव सुनिश्चित करने हेतु नीलामी के माध्यम से खनिज रियायतें प्रदान करने की नई व्यवस्था के प्रारंभ हेतु खान एवं खनिज अधिनियम  को 2015 में संशोधित किया गया था।
  • खनिज क्षेत्र को और गति प्रदान करने हेतु वर्ष 2021 में अधिनियम में और संशोधन किए गए हैं।
    • सुधारों के तहत, सरकार ने खनिज ब्लॉकों की नीलामी, उत्पादन में वृद्धि, देश में व्यापारिक सुगमता में सुधार तथा समग्र रूप से सकल घरेलू उत्पाद में खनिजों के योगदान में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण अभिवर्धन प्रदान किया है।

खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन स्वीकृत_4.1

खनन क्षेत्र में उठाए गए कदम

  • खान मंत्रालय ने देश में खनिजों के अन्वेषण में वृद्धि करने हेतु भी कदम उठाए हैं, जिससे नीलामी के लिए अधिक ब्लॉक की उपलब्धता हुई है।
  • न केवल लौह अयस्क, बॉक्साइट, चूना पत्थर जैसे परंपरागत खनिजों के लिए बल्कि गहरे बैठे खनिजों, उर्वरक खनिजों, महत्वपूर्ण खनिजों और खनिजों के आयात के लिए भी अन्वेषण गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण एवं खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड जैसी एजेंसियों ने अन्वेषण किया है  तथा राज्य सरकारों को खनिजों के कई ब्लॉकों की रिपोर्ट सौंपी है जिनका अब तक देश में खनन नहीं किया गया है।

 

खनिजों का उपयोग

  • ग्लूकोनाइट एवं पोटाश जैसे खनिजों का उपयोग कृषि में उर्वरक के रूप में किया जाता है।
  • प्लैटिनम समूह की धातुएं (पीजीएम) उच्च मूल्य वर्ग की धातुएं हैं जिनका उपयोग विभिन्न उद्योगों एवं नए  नवोन्मेषी अनुप्रयोगों में किया जाता है।
  • अंडालूसाइट, मोलिब्डेनम जैसे खनिज औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिज हैं।

 

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