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वेनेरा डी मिशन: प्रासंगिकता
- जीएस 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
वेनेरा डी मिशन: संदर्भ
- हाल ही में रोस्कोस्मोस (रूसी अंतरिक्ष एजेंसी) ने जानकारी दी है कि रूस ने अमेरिका को अपने वीनस एक्सप्लोरेशन मिशन वेनेरा-डी में आगे की भागीदारी से निलंबित कर दिया है।
वेनेरा डी मिशन: प्रमुख बिंदु
- रूस के विरुद्ध नए प्रतिबंध लागू होने के मध्य यह निर्णय आया है।
- निर्णय के साथ, रूस ने लंबे समय से विलंबित वेनेरा डी मिशन में नासा की भागीदारी को समाप्त कर दिया है, जिसमें 2029 में शुक्र ग्रह (वीनस) के लिए एक ऑर्बिटर एवं लैंडर लॉन्च करना सम्मिलित था।
वेनेरा डी मिशन क्या है?
- वेनेरा-डी, रूस द्वारा आरंभ किया गया प्रथम वीनस प्रोब होगा।
- रूस ने नवंबर 2029 में शुक्र ग्रह पर वेनेरा-डी प्रोब भेजने की योजना बनाई है।
- प्रारंभ में, कक्षीय, लैंडिंग, प्रदर्शन एवं वायुमंडलीय मॉड्यूल वाले अंतरिक्ष यान की योजना रूस-अमेरिका संयुक्त उद्यम के रूप में निर्मित की गई थी।
- 2020 में,यद्यपि, रोस्कोस्मोस ने कहा कि वेनेरा-डी मिशन एक स्वतंत्र राष्ट्रीय परियोजना होने जा रहा था एवं इस परियोजना के लिए महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आकर्षित करने की अपेक्षा नहीं थी।
- वेनेरा डी के अतिरिक्त, रूस भी जून 2031 में एक तथा जून 2034 में दूसरा वीनस अन्वेषण मिशन भेजने का लक्ष्य बना रहा है।
वेनेरा डी मिशन के उद्देश्य
- इस तरह के मिशन के पीछे का उद्देश्य ग्रह के वातावरण का अध्ययन करना एवं मिट्टी के नमूने एकत्र करना है।
- वेनेरा मिशन के दौरान शुक्र के वातावरण की संरचना एवं भौतिक गुणों को सतह से 60 किमी तक की ऊंचाई पर मापा जाएगा।
- अदीप्त क्षेत्र अवतरण (डार्क-साइड लैंडिंग) में 40-45 किमी ऊंचाई से आरंभ होने वाले अवरोहण के दौरान अवरक्त किरण प्रतिबिंबन (इंफ्रारेड/आईआर इमेजिंग) शामिल होगी।
- ग्रह की सतह पर विज्ञान उपकरणों के हिस्से के संभावित दीर्घकालिक संचालन की जांच करने की भी योजना है।
नासा का वीनस मिशन
- नासा के अनुसार, अमेरिका 2028 एवं 2030 के मध्य कभी प्रक्षेपित किए जाने की संभावना के साथ शुक्र के लिए दो मिशनों की योजना बना रहा है।
- डीप एटमॉस्फियर वीनस इन्वेस्टिगेशन ऑफ नोबल गैस, केमिस्ट्री एंड इमेजिंग (DAVINCI+) में एक अन्वेषण सम्मिलित है जो शुक्र के आच्छादित वातावरण में उतरेगी।
- वीनस एमिसिटी, रेडियो साइंस, इनसार, टोपोग्राफी तथा स्पेक्ट्रोस्कोपी (वेरिटास) नामक एक दूसरा मिशन ग्रह की कक्षा में एक सिंथेटिक एपर्चर रडार के साथ परिक्रमा करेगा जो पृथ्वी पर खगोलविदों से ग्रह की सतह को ढकने वाले बादलों को भेदने में सक्षम है।
शुक्रयान: भारत का वीनस मिशन
- भारत 2024 में शुक्र ग्रह के लिए एक नया ऑर्बिटर शुक्रयान प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है।
- शुक्रयान ऑर्बिटर भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन/इसरो) द्वारा शुक्र ग्रह के लिए प्रथम मिशन होगा तथा 4 वर्ष तक ग्रह का अध्ययन करेगा।
- कई विशिष्ट उपकरणों को लेकर, शुक्रयान भारत के जीएसएलवी एमके II रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित होने के लिए तैयार है, किंतु यह अधिक उपकरण या ईंधन ले जाने के लिए अधिक शक्तिशाली जीएसएलवी एमके III रॉकेट पर जा सकता है।
- यदि अंतरिक्ष यान 2024 की समय सीमा से चूक जाता है, तो प्रक्षेपण के लिए अगली विंडो 2026 के मध्य में होगी जब शुक्र एवं पृथ्वी अपनी दिशा परिवर्तित करेंगे। अन्य ग्रहों का दौरा करते समय अंतरिक्ष यान की ईंधन दक्षता के लिए यह महत्वपूर्ण है।
शुक्रयान के उद्देश्य
- शुक्रयान-1 शुक्र ग्रह की सतह तथा वायुमंडल का अन्वेषण करेगा।
- यह इस बात का अन्वेषण भी करेगा कि सूर्य से आवेशित कण शुक्र के वातावरण के साथ किस प्रकार अंतः क्रिया करते हैं।




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