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यूपीएससी के लिए हिंदू संपादकीय विश्लेषण: सह-विनियमन के माध्यम से सामग्री मॉडरेशन

सामग्री परिनियामन के बारे में

  • सामग्री मॉडरेशन केवल उपयोगकर्ता-जनित प्रस्तुतियों, जैसे समीक्षाएं, वीडियो, सोशल मीडिया पोस्ट, या फ़ोरम चर्चा का विश्लेषण करने के अभ्यास को संदर्भित करता है।
  • सोशल मीडिया सामग्री मॉडरेशन फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन या टम्बलर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामग्री को मॉडरेट करने की प्रक्रिया है।

यूपीएससी के लिए हिंदू संपादकीय विश्लेषण: सह-विनियमन के माध्यम से सामग्री मॉडरेशन_3.1

सोशल मीडिया मध्यस्थ कौन है?

  • एक सोशल मीडिया मध्यस्थ एक मध्यस्थ है जो मुख्य रूप से अथवा पूर्ण रूप से दो या दो से अधिक उपयोगकर्ताओं के मध्य अन्योन्य क्रिया को सक्षम बनाता है एवं उन्हें अपनी सेवाओं का उपयोग करके  सूचनाओं के निर्माण, अपलोड करने, साझा करने, प्रसारित करने, संशोधित करने अथवा एक्सेस करने की अनुमति प्रदान करता है।
  • इस परिभाषा में कोई भी मध्यस्थ शामिल हो सकता है जो अपने उपयोगकर्ताओं के मध्य अन्योन्य क्रिया को सक्षम बनाता है।
  • इसमें ईमेल सेवा प्रदाता, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म और इंटरनेट टेलीफोनी सेवा प्रदाता शामिल हो सकते हैं।

 

आधुनिक मध्यस्थ कानून क्या है?

  • आधुनिक मध्यस्थ कानून के तहत, सामग्री को हटाने का सरकारी आदेश न केवल आवश्यक एवं आनुपातिक है बल्कि सम्यक प्रक्रिया का पालन भी करता है।
  • उदाहरण के लिए हालिया यूरोपीय संघ (यूरोपियन यूनियन/ईयू) डिजिटल सेवा अधिनियम (डिजिटल सर्विसेज एक्ट/डीएसए) (सरकारी टेक-डाउन आदेशों  के आनुपातिक एवं तर्कसंगत होने की  अपेक्षा करता है)
  • मध्यस्थ कानून को मंच स्तर पर सोशल मीडिया सामग्री मॉडरेशन निर्णयों को विकसित करना चाहिए।

 

सरकारों की भूमिका की फिर से कल्पना करने के लिए सोशल मीडिया को आधुनिक मध्यस्थ कानून की आवश्यकता क्यों है?

  • सोशल मीडिया के अब लाखों उपयोगकर्ता हैं एवं ऑनलाइन भाषा पर मौजूदा सरकारी नियंत्रण अस्थिर है।
  • इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के साथ, इसके संभावित नुकसान भी बढ़ गए हैं।
  • आज ऑनलाइन अधिक अवैध एवं हानिकारक सामग्री है। उदाहरण के लिए कोविड-19 के दौरान सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार अभियान एवं म्यांमार में रोहिंग्या के विरुद्ध द्वेषपूर्ण भाषा का प्रयोग।
  • द्वेषपूर्ण भाषा, ऑनलाइन ट्रोलिंग, हिंसक सामग्री एवं यौन रूप से मुखर सामग्री अन्य सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।

 

यूरोपीय संघ का डिजिटल सेवा अधिनियम (डीएसए) क्या है?

  • डिजिटल सेवा अधिनियम (डीएसए) डिजिटल सेवाओं के दायित्वों को नियंत्रित करता है जो उपभोक्ताओं को वस्तुओं, सेवाओं एवं सामग्री से जोड़ने की उनकी भूमिका में मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं। इसमें  अन्य बातों के साथ ऑनलाइन विपणन स्थल (मार्केटप्लेस) शामिल हैं।
  • यह उपयोगकर्ताओं को तथा मौलिक अधिकारों को ऑनलाइन बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगा, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के लिए एक शक्तिशाली पारदर्शिता एवं उत्तरदायी ढांचा स्थापित करेगा तथा संपूर्ण यूरोपीय संघ में एकल, समान ढांचा प्रदान करेगा।
  • डिजिटल सेवा अधिनियम एक विनियमन है जो प्रत्यक्ष रुप से यूरोपीय संघ में लागू होगा।
  • कुछ दायित्वों में शामिल हैं:
    • अवैध सामग्री एवं सेवाओं सहित ऑनलाइन अवैध सामग्री का मुकाबला करने के उपाय
    • अत्यंत बृहद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एवं सर्च इंजन के लिए दायित्व
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लक्षित विज्ञापन पर प्रतिबंध
    • किसी भी मंच इत्यादि पर नाबालिगों की सुरक्षा हेतु नवीन दायित्व

 

आईटी (मध्यवर्ती दिशा निर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के साथ क्या बदल गया है?

  • इससे पूर्व, जब तक सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा निर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को पेश नहीं किया, तब तक डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए उनकी सेवा की शर्तों के माध्यम से एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना स्वैच्छिक था।
  • ये अधिदेश प्लेटफॉर्म निर्धारित समय सीमा के भीतर उपयोगकर्ता के शिकायतों को हल करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करते हैं।
  • हाल ही में, सरकार ने इन नियमों में संशोधन किया एवं सरकारी नियुक्तियों को मिलाकर शिकायत अपीलीय समितियों (ग्रीवांसेज अपीलेट कमिटीज/जीएसी) की स्थापना की।
  • जीएसी क्या करेंगे
    • जीएसी अब प्लेटफार्मों के शिकायत निवारण निर्णयों पर अपील में बैठेंगे।
    • यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 ए की भांति, ऑनलाइन भाषा पर सरकार के कड़े नियंत्रण को दर्शाता है।
    • सूचना प्रौद्योगिकी (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी/आईटी) अधिनियम 2000 में पारित किया गया था एवं धारा 69 ए को 2008 में समाविष्ट किया गया था जब सोशल मीडिया नगण्य रूप में अस्तित्व में था।

 

भारत को किस प्रकार के मध्यस्थ कानून की आवश्यकता है?

  • एक मध्यस्थ कानून को मंच स्तर पर महत्वपूर्ण सोशल मीडिया सामग्री मॉडरेशन निर्णयों को विकसित करना चाहिए। व्यापक सरकारी दिशानिर्देशों के तहत सामग्री को विनियमित करने हेतु प्लेटफ़ॉर्म का उत्तरदायित्व होना चाहिए।
  • इस तरह के एक सह-नियामक ढांचे को स्थापित करने से तीन कार्य संपादित होंगे।
    • सर्वप्रथम, प्लेटफ़ॉर्म अपनी सेवा की शर्तों पर उचित स्वायत्तता बनाए रखेंगे।
    • दूसरा, सह-विनियमन सरकार एवं मंच के हितों को संरेखित करता है।
    • तीसरा, सह-नियामक तंत्र स्थापित करने से राज्य को सामग्री विनियमन को उन प्लेटफार्मों पर आउटसोर्स करने की अनुमति प्राप्त होती है, जो आधुनिक सामग्री मॉडरेशन चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हैं।
  • सामग्री मॉडरेशन के लिए एक सह-नियामक प्रतिमान के तौर-तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि सह-विनियमन, प्लेटफ़ॉर्म स्वायत्तता बनाए रखते हुए, प्लेटफ़ॉर्म को उनके सामग्री मॉडरेशन निर्णयों के लिए भी उत्तरदायी बनाता है।
  • बोलने की आज़ादी में बढ़े हुए दांव तथा बढ़ते ऑनलाइन जोखिमों के साथ, एक आधुनिक मध्यस्थ कानून को सरकारों की भूमिका को पुनर्निर्मित करना चाहिए।

 

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