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27वां यूएन-कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (यूएन-सीओपी): लोगों और ग्रह के लिए सेवा प्रदान करना

27वां यूएन-कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (यूएन-सीओपी): लोगों और ग्रह के लिए सेवा प्रदान करना

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन I- जलवायु परिवर्तन

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27वां यूएन-कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (यूएन-सीओपी): चर्चा में क्यों है

शर्म अल शेख, मिस्र का बंदरगाह शहर यूएन-कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (यूएन-सीओपी) के 27वें संस्करण की मेजबानी कर रहा है।

 

27वां यूएन-पक्षकारों का सम्मेलन (यूएन-सीओपी): भारत की भागीदारी

विगत वर्ष, स्कॉटलैंड के ग्लासगो में सीओपी के 26 वें संस्करण में, पीएम मोदी ने पंचामृत के साथ 2070 तक भारत को निवल-शून्य अथवा वस्तुतः कार्बन न्यूट्रल बनने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की।

  • पर्यावरण मंत्री मिस्र में सीओपी-27 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
  • भारत 2020 तक  तथा उसके बाद 2025 तक प्रत्येक वर्ष 100 अरब डॉलर प्रति वर्ष जलवायु वित्त प्रदान करने की अपनी अधूरी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए विकसित देशों पर दबाव डालने  हेतु प्रतिबद्ध है।

पक्षकारों का सम्मेलन (सीओपी): ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • सीओपी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज फ्रेमवर्क कन्वेंशन/यूएनएफसीसीसी) के तहत आता है जिसका गठन 1994 में किया गया था।
  • यूएनएफसीसीसी की स्थापना “वायुमंडल में हरित गृह गैसों के संकेंद्रण के स्थिरीकरण” की दिशा में कार्य करने हेतु की गई थी।
  • इसने सदस्य राज्यों के लिए जिम्मेदारियों की एक सूची तैयार की जिसमें शामिल हैं:
  • जलवायु परिवर्तन का शमन करने के उपाय तैयार करना
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अनुकूल अनुकूलन की तैयारी में सहयोग करना
  • जलवायु परिवर्तन से संबंधित शिक्षा, प्रशिक्षण एवं जन जागरूकता को प्रोत्साहित करना
  • यूएनएफसीसीसी में भारत, चीन एवं अमेरिका सहित 198 पक्षकार हैं। सीओपी सदस्य 1995 से प्रत्येक वर्ष बैठक कर रहे हैं।
  • COP1: पहला सम्मेलन 1995 में बर्लिन में आयोजित किया गया था।
  • COP3: यह क्योटो, जापान में आयोजित किया गया था, 1997 में, प्रसिद्ध क्योटो प्रोटोकॉल (2005 से प्रभावी) को अपनाया गया था। यह सदस्य राज्यों को हरितगृह गैस उत्सर्जन की सीमा या कमी का लक्ष्य रखने हेतु प्रतिबद्ध करता है।
  • COP8: भारत ने 2002 में नई दिल्ली में आठवें COP की मेजबानी की। इसने ऊर्जा, परिवहन  एवं अनुसंधान तथा विकास सहित सभी प्रासंगिक क्षेत्रों में ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को मजबूत करने’  एवं सतत विकास के लिए संस्थानों को मजबूत करने सहित अनेक उपाय किए।
  • COP21: यह 2015 में पेरिस, फ्रांस में हुई सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। यहां देश ‘पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में वैश्विक तापन को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने’ के लिए मिलकर कार्य करने पर सहमत हुए।

27वां यूएन- पक्षकारों का सम्मेलन (यूएन-कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज/सीओपी): महत्व

  • इस आयोजन में 190 से अधिक देशों के नेता, हजारों वार्ताकार, शोधकर्ता तथा नागरिक जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करने के लिए एक साथ आएंगे।
  • यह विश्व के लिए एक साथ आने एवं अनेक चर्चाओं के बाद जलवायु कार्य योजना में गति लाने हेतु एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।

27वां यूएन-कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (यूएन-सीओपी): लक्ष्य

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पक्षकारों का 27वां सम्मेलन – COP27 – COP26 के परिणामों पर आधारित है ताकि जलवायु आपातकाल से निपटने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों की एक श्रृंखला पर कार्रवाई की जा सके – ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तत्काल कम करने, लोचशीलता निर्मित करने तथा जलवायु परिवर्तन के अपरिहार्य प्रभावों के अनुकूल, विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के वित्तपोषण के लिए प्रतिबद्धताओं को पूरा करने हेतु।

बढ़ते ऊर्जा संकट, रिकॉर्ड ग्रीनहाउस गैस संकेंद्रण एवं चरम मौसम की बढ़ती घटनाओं का सामना करते हुए, COP 27 लोगों तथा ग्रह के लिए ऐतिहासिक पेरिस समझौते को पूरा करने के लिए देशों के मध्य नए सिरे से एकजुटता चाहता है।

 

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