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संपादकीय विश्लेषण- व्हाट नंबर्स डोंट रिवील अबाउट  टाइगर कंजर्वेशन?

व्हाट नंबर्स डोंट रिवील अबाउट  टाइगर कंजर्वेशन -यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

संपादकीय विश्लेषण- व्हाट नंबर्स डोंट रिवील अबाउट  टाइगर कंजर्वेशन?_3.1

चर्चा में क्यों है

  • बाघों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है, जिन्हें विश्व के अनेक हिस्सों में लुप्तप्राय प्रजाति घोषित किया गया है।

 

बाघ

  • वैज्ञानिक नाम: पेंथेरा टाइग्रिस
  • भारतीय उप प्रजाति: पैंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस।
  • पर्यावास: भारतीय उपमहाद्वीप और सुमात्रा पर साइबेरियाई समशीतोष्ण वन, उपोष्ण कटिबंधीय एवं उष्णकटिबंधीय वन।
  • यह बिल्ली की सबसे बड़ी प्रजाति है।
  • यह उपवंश (जीनस) पैंथेरा का सदस्य है।

 

संरक्षण की स्थिति

  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
  • प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर/IUCN) लाल सूची: लुप्तप्राय।
  • वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फ्लोरा एंड फौना/CITES): परिशिष्ट

 

खतरे

  • अवैध शिकार एवं अवैध व्यापार: पारंपरिक चीनी दवाओं के लिए, बाघों को अवैध शिकार की समस्या का सामना करना पड़ता है क्योंकि बाघ के शरीर के प्रत्येक अंग की मांग होती है। वन्यजीवों के अवैध व्यापार में, वे उच्च मूल्य के होते हैं।
  • पर्यावास की हानि: आजकल एवं बढ़ती आबादी के साथ वनों की संख्या कम होती जा रही है। कृषि, उद्योग इत्यादि जैसे अनेक कारणों से वनों को साफ करने से बाघों के प्राकृतिक आवासों की लगभग 93%  क्षति हुई।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण रॉयल बंगाल टाइगर्स के आवासों में से एक सुंदरबन का अस्तित्व पूर्ण रूप से समाप्त हो गया।
  • अनेक रोग भी प्रमुख कारक हैं। कई जानवर मर जाते हैं एवं उनकी मृत्यु के कारण का पता लगाने का कोई तरीका नहीं है। कुछ रोग महामारी फैलाते हैं जैसे फेलिन पैन लुकोपेनिया, तपेदिक इत्यादि।
  • सुरक्षा संबंधी आधारिक संरचना का अभाव।
  • दिन-प्रतिदिन बढ़ता पर्यटन भी बाघों की संख्या में गिरावट का एक कारण है।

 

संरक्षण का इतिहास

  • अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2010 में प्रारंभ किया गया था
  • रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में कई देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए क्योंकि बाघ विलुप्त होने के कगार पर थे।


अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का महत्व

  • यह दिन इन प्रजातियों के संरक्षण के अतिरिक्त बाघों के पर्यावासों की रक्षा एवं विस्तार करना चाहता है।
  • वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर, इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर तथा स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाते हैं।

 

बाघ संरक्षण का महत्व

  • एक शीर्ष शिकारी के रूप में खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर होने के कारण, बाघ एक पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य एवं विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पशुओं एवं वनस्पति के मध्य संतुलन स्थापित रखने में सहायता करता है जिस पर वे अपना आहार प्राप्त करते हैं।
  • इस प्रकार यह वन के संरक्षण एवं पारिस्थितिक संतुलन के अनुरक्षण का प्रतीक है।
  • एक स्वस्थ पारिस्थितिक संतुलन प्राकृतिक संसाधनों को संतुलन में रखेगा और इस प्रकार विभिन्न जीवन रूप कुशलतापूर्वक जीवित रहने में सक्षम होंगे एवं स्वच्छ वायु, जल, परागण, तापमान विनियमन इत्यादि जैसी पारिस्थितिक सेवाएं प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं।
    • बाघों के संरक्षण से संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण होता है। उदाहरण के लिए: तेंदुओं की स्थिति, सह-शिकारियों एवं वृहद शाकाहारियों (मेगा हेर्बिवोर्स)-2018 (स्टेटस ऑफ लेपर्ड्स,को-प्रेडेटर्स  एंड मेगा हरबीबोरस – 2018) की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में भारत के बाघ क्षेत्र (रेंज) परिदृश्य में तेंदुए की कुल आबादी 12,852 थी, जो कि 2014 के आंकड़े से उल्लेखनीय वृद्धि है, जो देश के 18 बाघों वाले राज्यों के वनाच्छादित पर्यावासों में 7,910 थी।

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भारत में बाघ संरक्षण

  • प्रोजेक्ट टाइगर- 1973 में प्रारंभ किया गया, यह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज/MoEFCC) की केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • टाइगर टास्क फोर्स- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में प्रदान किए गए पर्यवेक्षी / समन्वय भूमिका  एवं कार्यों के साथ मंत्रालय का वैधानिक निकाय।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी/एनटीसीए) की स्थापना: इसकी स्थापना 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
    • विधिक स्थिति: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के  अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है।
    • मूल विधान: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की स्थापना 2006 में इसे संशोधित करके वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के सक्षम प्रावधानों के अनुसार की गई थी।
  • एम-स्ट्रिप्स पहल: एम-स्ट्रिप्स (बाघों के लिए निगरानी प्रणाली – गहन सुरक्षा और पारिस्थितिक स्थिति) (मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स- इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस) एक एनटीसीए पहल है जो वन रक्षकों के लिए एक चलंत निगरानी प्रणाली (मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) प्रदान करती है। यह क्षेत्र प्रबंधकों को भौगोलिक सूचना प्रणाली (ज्योग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम/जीआईएस) डोमेन में गश्त की तीव्रता एवं स्थानिक कवरेज में सहायता करने में सक्षम बनाता है।
    • पीटर्सबर्ग टाइगर समिट की टीएक्स 2′ पहल: भारत ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा की समय सारणी (2022) से चार वर्ष पूर्व बाघों की आबादी (‘टीएक्स 2’ स्लोगन) को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया।
    • संरक्षण आश्वासन | बाघ मानक (CA|TS) 
    • 2013 में विमोचित किया गया।
    • बाघ स्थलों की जाँच के लिए मानदंडों का एक समुच्चय यदि उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण होगा।
  • CA|TS कल शाम 2:00 द्वारा एक आधिकारिक पहल है एवं इसे बाघ तथा संरक्षित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है।
  • वर्तमान में 13 टाइगर रेंज देश हैं – भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम।
  • वैश्विक बाघ मंच (ग्लोबल टाइगर फोरम/जीटीएफ), बाघ संरक्षण पर कार्य करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ एवं वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड इंडिया, भारत में सीएटीएस मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दो कार्यान्वयन भागीदार हैं।

 

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