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संपादकीय विश्लेषण: भारत के जनांकिकीय लाभांश की प्राप्ति 

भारत का जनांकिकीय/जनसांख्यिकीय लाभांश: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

संपादकीय विश्लेषण: भारत के जनांकिकीय लाभांश की प्राप्ति _3.1

भारत में जनांकिकी

  • भारत निम्नलिखित कारकों के कारण जनसांख्यिकीय संक्रमण के मध्य में है
    • गिरती प्रजनन दर (वर्तमान में 0),
    • बढ़ती औसत आयु (2011 में 24 वर्ष से, अब 29 वर्ष एवं 2036 तक 36 वर्ष होने की संभावना है),
    • गिरता निर्भरता अनुपात (कार्यशील आयु जनसंख्या के रूप में 15-59 वर्ष आयु समूह को लेने पर आने वाले दशक में यह 65% से घटकर 54% हो जाएगा)।
  • भारत ने पहले ही इस जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ प्राप्त करना प्रारंभ कर दिया है। यद्यपि, यह लाभ एशिया में  अन्य सहभागियों की तुलना में कम हैं।
  • सिंगापुर, ताइवान एवं दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने पहले ही यह प्रदर्शित कर दिया है कि अविश्वसनीय आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
  • इन देशों की भांति, भारत को भी युवाओं को उनकी शिक्षा, कौशल एवं स्वास्थ्य विकल्पों के मामले में सशक्त बनाने के लिए दूरंदेशी नीतियों एवं कार्यक्रमों को अंगीकृत करने की आवश्यकता है।

 

जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ प्राप्त करने हेतु उपाय

 

  • एक अद्यतन राष्ट्रीय हस्तांतरण खाते (एनटीए) मूल्यांकन करना:
    • ली एवं चेन (2011-12) तथा एम.आर. नारायण (2021) द्वारा एनटीए कार्यप्रणाली का उपयोग करते हुए, हम पाते हैं कि भारत का प्रति व्यक्ति उपभोग पैटर्न अन्य एशियाई देशों की तुलना में अत्यंत कम है।
    • भारत में एक बच्चा 20 से 64 वर्ष की आयु के एक वयस्क द्वारा उपभोग का लगभग 60% उपभोग करता है, जबकि चीन में एक बच्चा एक वयस्क के उपभोग का लगभग 85% उपभोग करता है।
    • 2011-12 से इस तरह के निवेश पर हुई प्रगति को प्रग्रहित करने हेतु भारत के एनटीए डेटा को अद्यतन करने की आवश्यकता है।
    • राज्य-विशिष्ट एनटीए की गणना प्रत्येक वर्ष की जानी चाहिए एवं युवाओं में निवेश के लिए राज्यों को श्रेणीकृत (रैंक) करने की आवश्यकता है।

 

  • बच्चों एवं किशोरों में अधिक निवेश करें।
    • भारत को बच्चों एवं किशोरों में विशेष रूप से आरंभिक बाल्यावस्था के दौरान पोषण एवं सीखने में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।
    • यह देखते हुए कि भारत का कार्यबल अल्पायु से आरंभ होता है, माध्यमिक शिक्षा से लेकर सार्वभौमिक कौशल एवं उद्यमिता में संक्रमण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसा कि दक्षिण कोरिया में किया गया है।

 

  • स्वास्थ्य निवेश:
    • साक्ष्य बताते हैं कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं आर्थिक उत्पादन में सुधार करती हैं।
    • अतः, जनसांख्यिकीय लाभांश के दौरान स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने हेतु नीतियों का प्रारूप तैयार करना महत्वपूर्ण है।
    • प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को अधिकार-आधारित दृष्टिकोण पर सुलभ बनाना चाहिए:
    • हमें उच्च गुणवत्ता युक्त प्राथमिक शिक्षा एवं बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता है।
    • नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार भारत में परिवार नियोजन की अप्राप्त आवश्यकता 4%है, जो चीन में 3.3% एवं दक्षिण कोरिया में 6.6% की तुलना में अधिक है, जिसे पाटने की आवश्यकता है।

 

  • शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील (जेंडर सेंसिटिव) बनाया जाना चाहिए:
    • भारत में,  बालिकाओं की तुलना में बालकों के माध्यमिक एवं तृतीयक विद्यालयों में नामांकित होने की अधिक संभावना है।
    • फिलीपींस, चीन, जापान इत्यादि देशों में लैंगिक असमानता काफी कम है।
    • भारत को भी जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ प्राप्त करने हेतु इन देशों के पद चिन्हों पर चलने की आवश्यकता है।

 

  • भारत को अर्थव्यवस्था में महिला कार्यबल की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है:
    • 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में महिलाओं एवंबालिकाओं की भागीदारी के लिए नवीन कौशल एवं अवसरों की तत्काल आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिए,  दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाली बालिकाओं को कौशल सीखने के लिए अधिक विकल्पों की आवश्यकता होती है जो उसे उपयुक्त कार्य की खोज करने में सहायता करेगी।
    • उसे काम पर जाने हेतु सुरक्षित परिवहन की आवश्यकता होगी। काम खोजने से उसके विवाह की आयु में विलंब होने की संभावना है तथा वह अर्थव्यवस्था में अधिक उत्पादक रूप से भाग लेगी, साथ ही उसके अधिकारों एवं विकल्पों का भी प्रयोग करेगी।
    • इस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं: पृथक पृथक लैंगिक डेटा एवं नीतियों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करने हेतु कानूनी रूप से अनिवार्य लिंग बजट; शिशु देखभाल (चाइल्ड केयर) लाभ में वृद्धि करना, एवं; अंशकालिक  कार्य हेतु कर प्रोत्साहन को बढ़ावा देना।
    • यह पूर्वानुमान लगाया गया है कि यदि भारत में घरेलू कर्तव्यों में संलग्न सभी महिलाएं जो काम करने की इच्छुक हैं, उनके पास नौकरी है, तो महिला श्रम बल की भागीदारी में लगभग 20% की वृद्धि होगी।

 

  • राज्यों की विविधता को हल करना:
    • दक्षिणी राज्यों, जो जनसांख्यिकीय संक्रमण में उन्नत हैं, में पहले से ही वृद्ध लोगों का प्रतिशत अधिक है।
    • आयु संरचना में अंतर आर्थिक विकास एवं स्वास्थ्य में अंतर को दर्शाता है जिसे एक दूरंदेशी नीति द्वारा पाटने की आवश्यकता है।

 

  • शासन सुधारों के लिए नवीन संघीय दृष्टिकोण:
    • जनसांख्यिकीय लाभांश के लिए शासन सुधारों हेतु एक नवीन संघीय दृष्टिकोण स्थापित करने की आवश्यकता होगी ताकि उभरते विभिन्न जनसंख्या मुद्दों जैसे प्रवास, वृद्धावस्था, कौशल, महिला कार्यबल भागीदारी एवं शहरीकरण पर राज्यों के मध्य नीति समन्वय स्थापित किया जा सके।
    • रणनीतिक योजना, निवेश, अनुश्रवण एवं पाठ्यक्रम सुधार हेतु अंतर-मंत्रालयी समन्वय इस शासन व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण विशेषता होनी चाहिए।

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