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एमएसएमई यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
भारत में MSME: संदर्भ
- एमएसएमई क्षेत्र सर्वाधिक दुष्प्रभावित क्षेत्रों में से एक था जो कोविड-19 महामारी से प्रभावित था। प्रभाव इतना गंभीर था कि यह क्षेत्र अभी भी महामारी से प्रेरित झटकों से बचने एवं उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है।
एमएसएमई पर महामारी का प्रभाव
- दिल्ली एनसीआर एवं उत्तराखंड में हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 90% छोटी व्यापारिक कंपनियों के कारोबार में गिरावट आई थी।
- इसके अतिरिक्त, लगभग 53% फर्मों को अपने कारोबार में 50% से अधिक की गिरावट का सामना करना पड़ा।
- लगभग 29% फर्मों ने अपने व्यवसायों के गिरावट की सूचना दी एवं लगभग 53% ने मांग में कमी देखी, जबकि लगभग 36% ने कच्चे माल की अनियमित आपूर्ति का सामना किया।
- टर्नओवर में कमी के कारण: 
- आर्थिक गतिविधियों एवं गतिशीलता पर प्रतिबंध;
- मांग में कमी;
- कच्चे माल की कमी;
- व्यापार पर प्रतिबंध;
- बाजारों की धीमी पुनर्प्राप्ति;
- अन्य कारणों के साथ भुगतान में विलंब एवं श्रम की कमी,
 
- अनुभव की प्रमुख चुनौतियां: 
- विलंबित भुगतान के मुद्दे;
- निम्न मांग;
- वित्तीय संसाधनों की कमी;
- आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान;
- उत्पादन की बढ़ी हुई लागत;
- कुशल श्रमिकों की कमी तथा व्यापार अनिश्चितता।
- मात्र लगभग 50% एमएसएमई ने आत्मनिर्भर भारत के तहत पहल को सहायक पाया।
 
एमएसएमई पर सकारात्मक प्रभाव
- यद्यपि, मानव स्वास्थ्य गतिविधियों जैसे कुछ क्षेत्र थे; फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय, रासायनिक एवं वनस्पति उत्पादों का निर्माण; खाद्य एवं पेय सेवा गतिविधियों तथा परिधानों का निर्माण, जो या तो सकारात्मक रूप से प्रभावित हुए या प्रभावित नहीं हुए।
- इन फर्मों ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उपयोग के लिए शीघ्रता से अनुकूलित करने का प्रयत्न किया एवं यहां तक कि अन्य व्यावसायिक गतिविधियों पर भी स्विच किया, जिनकी मांग थी – अर्थात, मास्क का उत्पादन, सैनिटाइज़र, उत्पादों की होम डिलीवरी इत्यादि।
- यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि एक फर्म का लचीलापन उसके वित्तीय संसाधनों एवं नवीन तकनीकों अथवा नए व्यावसायिक अवसरों में निवेश करने की क्षमता पर निर्भर करता है।
एमएसएमई: आवश्यक कदम
एमएसएमई के लिए एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है जो उन्हें बंद होने से बचाने में सहायता करे एवं आर्थिक आघात के कारण होने वाली व्यावसायिक अनिश्चितताओं के दौरान उनके पुनरुद्धार का समर्थन करे।
- छोटे व्यवसायों के लिए अनिश्चितता कॉर्पस फंड: छोटे व्यवसायों के लिए ‘अनसर्टेनिटी कॉर्पस फंड फॉर स्मॉल बिजनेस’ नामक आपातकालीन निधि का प्रावधान आरंभ से ही अनिवार्य किया जाना चाहिए। यह सार्वजनिक भविष्य निधि के समान होगा एवं इसका उपयोग व्यावसायिक अनिश्चितताओं के दौरान छोटी फर्मों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
- ‘लघु व्यवसाय बीमा योजना‘: टर्म इंश्योरेंस के समान, बीमा क्षेत्र के लिए एमएसएमई की विशाल बाजार क्षमता का दोहन करने के लिए इसे ठीक से तैयार किया जाना चाहिए।
उपर्युक्त योजनाओं के लाभ
- उपरोक्त दो योजनाएं एमएसएमई को लोचदार बनने एवं आर्थिक आघातों के कारण होने वाली व्यावसायिक अनिश्चितताओं के दौरान अपनी वृद्धि को बनाए रखने में सहायता करेंगी।
- यह छोटी फर्मों को, विशेष रूप से अपने कार्यबल को बनाए रखने एवं अनिश्चितताओं से निपटने के लिए नई तकनीक या नए व्यावसायिक अवसरों में निवेश करने के लिए उनकी कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम बना सकता है।
- आयोजना के संदर्भ में, एमएसएमई बड़ी फर्मों के समतुल्य हो सकते हैं। यह सामान्य व्यावसायिक काल के दौरान छोटी फर्मों के विश्वास को बढ़ावा देगा तथा उन्हें एक असामान्य व्यापार चक्र के समय में सुरक्षा की भावना प्रदान कर उन्हें और अधिक प्रतिस्पर्धी बना देगा।
- यह संकट के समय में सरकार के लिए भी बहुत मददगार सिद्ध होगा क्योंकि सरकार मांग के मुद्दों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है जो एक आर्थिक आघात के दौरान अर्थव्यवस्था के समक्ष सर्वाधिक वृहद चुनौतियों में से एक है।

 
											


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