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भारत में पूंजीगत व्यय: प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
भारत में पूंजीगत व्यय: संदर्भ
- बजट 2022-23 ने भारत में घटते कार्यबल के मुद्दे को हल करने हेतु उत्पादक आधारिक अवसंरचना के निवेश के लिए पर्याप्त धन आवंटित किया है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का सुझाव है कि भारत की जनसंख्या (15 वर्ष से अधिक आयु) का अनुपात 2005 में 55% से घटकर 2020 में 43% हो गया है।
- इसके अतिरिक्त, सीएमआईई के आंकड़े बताते हैं कि विनिर्माण एवं सेवाओं में, भारत ने दिसंबर 2016 तथा दिसंबर 2021 के मध्य लगभग 1 करोड़ नौकरियां खो दी हैं।
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पूंजीगत व्यय में वृद्धि करके रोजगार सृजन: प्रमुख बिंदु
- चालू वित्त वर्ष 2021-22 (फाइनेंशियल ईयर 22) के प्रथम नौ महीनों में, करों तथा लाभांशों में केंद्र की राजस्व प्राप्तियां 3 लाख करोड़ रुपए रही, जो संपूर्ण वर्ष के बजट के लक्ष्य को लगभग 17.9 लाख करोड़ रुपए पूरा कर रही थी।
- कारण
- आयकर तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) उच्चतर संग्रह।
- विगत वर्ष के अनुदार बजट अनुमान।
- बजट की तुलना में बहुत अधिक राजस्व प्राप्तियों के बावजूद, कुल वित्त वर्ष 22 का वित्तीय घाटा 9 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 6.9%) पर समाप्त होने का अनुमान है, जो बजट अनुमान 15.1 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।
- कारण
- खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी के लिए अतिरिक्त व्यय,
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं निर्यात प्रोत्साहन के लिए आवंटन में वृद्धि, तथा
- एअर इंडिया की बिक्री से पूर्व उसके बही खातों के परिशोधन से व्यय में वृद्धि हुई।
पूंजीगत व्यय बजट
- वित्त वर्ष 23 के लिए, पूंजीगत व्यय बजट को बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है, जो वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान 6 लाख करोड़ रुपए से 24% अधिक है।
- दूसरी ओर, राजस्व व्यय (अर्थात वेतन, पेंशन, ब्याज एवं सब्सिडी जैसी मदों में) में मात्र 1% की वृद्धि देखी गई है।
- अपेक्षा यह है कि उत्पादन सहलग्न प्रोत्साहन (पीएलआई) एवं अन्य सक्षम विधानों जैसी पहलों के साथ सड़कों, रेलवे, फ्रेट कॉरिडोर, विद्युत, नवीकरणीय ऊर्जा में निरंतर निवेश देश के समग्र विकास में योगदान देगा।
निम्नलिखित पूंजीगत व्यय प्रेरित विकास में चुनौतियां
- सभी प्रमुख पूंजीगत व्यय नवीन हरित क्षेत्र (ग्रीन फील्ड) निवेश का संकेत नहीं है। उदाहरण के लिए: इस वर्ष एयर इंडिया की बही खातों के परिशोधन हेतु 5 लाख करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय के रूप में सम्मिलित किए जाते हैं।
- जबकि दृढ़ पूंजीगत व्यय पर एक स्पष्ट जोर है, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं शहरी आधारिक संरचना जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए परिव्यय कम रहा है।
- पूंजीगत व्यय पर जोर देने से राजकोषीय घाटे की संख्या में वृद्धि हुई है, जो ब्याज दरों पर दबाव डाल सकता है।
पूंजीगत व्यय में वृद्धि कर बढ़ाकर रोजगार सृजन: आगे की राह
- पर्याप्त निधि उपलब्ध कराए जाने के साथ, यह सुनिश्चित करने के लिए संपूर्ण प्रशासन – केंद्र, राज्य एवं स्थानीय – पर निर्भर है कि निधि का उपयोग का समय पर किया जाता है एवं इसके परिणामस्वरूप विश्व स्तरीय आधारिक अवसंरचना का निर्माण होता है।
- साथ ही, निवेश की सुगमता पर, विशेष रूप से भूमि अधिग्रहण, अनुबंध प्रवर्तन तथा नीति सातत्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों के आसपास निरंतर ध्यान देना होगा।
- विनिर्माण एवं मूल्य वर्धित सेवाओं में निरंतर निवेश छोटे व्यवसायों, नौकरियों एवं हमारे आर्थिक कल्याण के विकास की कुंजी है।




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