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मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (एमआईवी 2030)

सामुद्रिक भारत दृष्टिकोण 2030: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।

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मैरीटाइम इंडिया विजन 2030: संदर्भ

  • हाल ही में, बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने मैरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी) 2030 के अनुसार, भारत में हरित बंदरगाहों तथा हरित जहाजरानी के विकास के लिए प्रारंभ की गई हरित पहल की प्रगति की समीक्षा की है।

 

मैरीटाइम इंडिया विजन 2030: प्रमुख बिंदु

  • एमआईवी 2030 के एक भाग के रूप में, 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ प्रमुख बंदरगाहों पर क्रियान्वयन हेतु कुल 963 पहलों का अभिनिर्धारण किया गया है, जिनमें से 44 हजार करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ कुल 208 पहलें वित्त वर्ष 2021 में की जा चुकी हैं।
  • लगभग 50,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश वाली 504 पहलें क्रियान्वित की जा रही हैं।
  • सामुद्रिक क्षेत्र में हरित पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत में अनेक पहलें प्रारंभ की गई हैं।
  • ये अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गेनाइजेशन/आईएमओ) की 2030 वि-कार्बनीकरण रणनीति (डीकार्बोनाइजेशन स्ट्रेटजी) एवं 2050 हरितगृह गैसों (ग्रीन हाउस गैसेस/जीएचजी) की रणनीति के अनुरूप हैं।

 

भारत में प्रमुख बंदरगाहों द्वारा हरित ऊर्जा पहल

  • 2030 तक प्रमुख बंदरगाहों में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को 60% से अधिक तक बढ़ाना,
  • सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना,
  • नौबंध स्थलों (बर्थ) के माध्यम से जलपोतों को तटीय ऊर्जा की आपूर्ति उपलब्ध कराना,
  • बंदरगाह पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर वाहनों के लिए बहु-स्वच्छ ईंधन का अभिकरण,
  • बंदरगाहों इत्यादि पर डीजल इंजनों को क्रमिक रूप से समाप्त करना।

 

मैरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी) 2030

  • आगामी दशक में भारत को वैश्विक समुद्री क्षेत्र में सर्वाधिक अग्रणी के रूप में प्रेरित करने के उद्देश्य से बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 तैयार किया गया था।
  • समुद्री क्षेत्र के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए 10 विषय वस्तुओं में 515 प्रमुख गतिविधियों को सम्मिलित करते हुए 150 से अधिक पहलों का अभिलाषा निर्धारण किया गया है, जो भारतीय समुद्री क्षेत्र के भविष्य के लिए मूलभूत अंग (बिल्डिंग ब्लॉक्स) हैं।
  • एमआईवी 2030 बंदरगाहों, जहाजरानी एवं अंतर्देशीय जलमार्ग श्रेणियों में 3,00,000 – 3,50,000 करोड़ रुपये के समग्र निवेश की परिकल्पना करता है।
  • इस निवेश राशि में सागरमाला परियोजना के एक भाग के रूप में पूर्व से ही क्रियान्वयन चरण के तहत परियोजनाओं को शामिल नहीं किया गया है।
  • इस विजन रोडमैप से भारतीय बंदरगाहों के लिए 20,000 करोड़ रुपये से अधिक संभावित वार्षिक राजस्व प्राप्त करने में सहायता प्राप्त होने का अनुमान है।
  • इसके अतिरिक्त, इससे भारतीय सामुद्रिक क्षेत्र में 20 लाख अतिरिक्त रोजगार (प्रत्यक्ष एवं गैर-प्रत्यक्ष) सृजित होने की संभावना है।

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सागरमाला कार्यक्रम के बारे में

  • देश में बंदरगाह प्रेरित विकास को प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु 2015 में सागरमाला कार्यक्रम को स्वीकृति प्रदान की गई थी।
  • सागरमाला परियोजना को जहाजरानी मंत्रालय द्वारा भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा, 14,500 किलोमीटर संभावित नौगम्य जलमार्गों एवं प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों पर रणनीतिक अवस्थितियों का दोहन करने हेतु प्रारंभ किया गया था।
  • सागरमाला कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एक्जिम (एक्सपोर्ट-इंपोर्ट/निर्यात-आयात) एवं घरेलू व्यापार के लिए न्यूनतम आधारिक संरचना निवेश के साथ सम्भारिकी (रसद) लागत को कम करना है।
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