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भारत के उपराष्ट्रपति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, उद्विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान एवं आधारिक संरचना।
भारत के उपराष्ट्रपति
- संवैधानिक प्रावधान: भारत के उपराष्ट्रपति के पद का उल्लेख भारत के संविधान के भाग V में अध्याय I ( कार्यपालिका) के अंतर्गत किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में उपराष्ट्रपति के पद का उल्लेख है।
- संविधान के अनुच्छेद 63-73 भारत के उपराष्ट्रपति की अर्हता, निर्वाचन तथा पदच्युति से संबंधित हैं।
- संवैधानिक स्थिति: भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है।
- वर्तमान उपराष्ट्रपति: मुप्पवरपु वेंकैया नायडू भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति हैं।
भारत के उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 63-73)
उपराष्ट्रपति की पदावधि
- उपराष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन होने की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है।
- रिक्ति:
- कार्यकाल की समाप्ति: जब उनका पांच वर्ष का कार्यकाल समाप्त होता है तो पद रिक्त हो जाता है।
- त्यागपत्र के माध्यम से: भारत के उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप कर पांच वर्ष की अवधि पूर्ण होने से पूर्व त्यागपत्र दे सकते हैं।
- पदच्युति के माध्यम से: उपराष्ट्रपति को संसद द्वारा हटाया जा सकता है।
- उनकी मृत्यु होने की स्थिति में
- उनके चुनाव की अविधिमान्यता: एक रिक्ति तब भी उत्पन्न होती है जब उनके चुनाव को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया जाता है।
- रिक्ति का भरना:
- उपराष्ट्रपति के पद की अवधि की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व संपन्न किया जाएगा।
- उपराष्ट्रपति के पद को उनकी मृत्यु, त्यागपत्र अथवा पद से हटाए जाने के कारण या अन्यथा होने वाली रिक्ति को भरने के लिए, रिक्ति होने के बाद यथाशीघ्र चुनाव कराया जाएगा।
- रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के प्रावधानों के अधीन, अपने पद ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष की पूर्ण अवधि के लिए पद धारण करने का हकदार होगा।
भारत के उपराष्ट्रपति की शक्तियां तथा कार्य
भारत के उपराष्ट्रपति की पदच्युति
- संविधान का अनुच्छेद 67 उपराष्ट्रपति के पद की अवधि एवं संसद द्वारा उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया के बारे में बात करता है।
- पदच्युति की प्रक्रिया: एक उपराष्ट्रपति को उसके पद से, राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों (राज्य की परिषद) के बहुमत से पारित राज्यसभा के एक प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।
- उपराष्ट्रपति को हटाने के इस प्रस्ताव पर लोकसभा (हाउस ऑफ पीपल) द्वारा सहमति प्राप्त होनी चाहिए;
- पूर्व शर्त: उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का कोई प्रस्ताव तब तक प्रस्तुत नहीं किया जाएगा जब तक कि प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के अभिप्राय से कम से कम चौदह दिन का नोटिस नहीं दिया गया हो;
- एक उपराष्ट्रपति, अपने कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद, तब तक पद पर बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता।
- टिप्पणी: राष्ट्रपति के विपरीत, उपराष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगाया जाता है बल्कि उसे उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाता है।
भारत के उपराष्ट्रपति से संबंधित संवैधानिक अनुच्छेद
भारत के उपराष्ट्रपति [अनुच्छेद 63 से अनुच्छेद 71] | |
अनुच्छेद 63 | भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। |
अनुच्छेद 64 | उपराष्ट्रपति राज्यसभा (राज्यों की परिषद) का पदेन अध्यक्ष होगा एवं कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा। |
अनुच्छेद 65 | उपराष्ट्रपति को कार्यालय में आकस्मिक रिक्तियों के दौरान या राष्ट्रपति की अनुपस्थिति के दौरान राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उनके कार्यों का निर्वहन करना होगा। |
अनुच्छेद 66 | उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से निर्मित निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाएगा। उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा। |
अनुच्छेद 67 | उपराष्ट्रपति अपनी नियुक्ति की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेगा। |
अनुच्छेद 68 | उपराष्ट्रपति के पद का कार्यकाल पूर्ण होने के कारण सृजित रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व संपन्न कर लिया जाएगा।
उपराष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने के कारण उत्पन्न हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन यथाशीघ्र आयोजित कराया जाएगा। |
अनुच्छेद 69 | प्रत्येक उप-राष्ट्रपति राष्ट्रपति अथवा उनके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष अपना पद ग्रहण करने पर शपथ या प्रतिज्ञान करेगा। |
अनुच्छेद 70 | अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन। |
अनुच्छेद 71 | राष्ट्रपति या उपाध्यक्ष के निर्वाचन से संबंधित या उससे संबंधित मामले। |