Table of Contents
विशेष विवाह अधिनियम, 1954- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन I- सामाजिक सशक्तिकरण, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद एवं धर्मनिरपेक्षता।
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 चर्चा में क्यों है?
- सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका को खारिज कर दिया है, जिसके तहत युगल (जोड़े) अंतर-धार्मिक एवं अंतरजातीय विवाह के लिए शरण लेते हैं।
विशेष विवाह अधिनियम, 1954
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (स्पेशल मैरिज एक्ट/एसएमए) को विभिन्न धर्मों को मानने वाले युगलों (जोड़ों) के विवाह की सुविधा के लिए एवं एक नागरिक विवाह को प्राथमिकता देने के लिए अधिनियमित किया गया था।
- हालांकि, ऐसे विवाहों को पंजीकृत करने में कुछ व्यावहारिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- इस पर काबू पाने के लिए, अनेक व्यक्ति उनमें से एक के वैयक्तिक विधि (पर्सनल लॉ) के तहत विवाह हेतु तैयार हो जाते हैं, जबकि अन्य धर्म परिवर्तन का विकल्प चुनते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में याचिका
- सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष विवाह अधिनियम(स्पेशल मैरिज एक्ट/एसएमए) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसके तहत युगल अंतर-धार्मिक एवं अंतर-जातीय विवाह के लिए शरण लेते हैं।
- रिट याचिका में इन प्रावधानों को अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताया गया है, जो निजता के अधिकार की गारंटी प्रदान करता है।
- इस अधिनियम के तहत, युगलों को जनता से आपत्तियों को आमंत्रित करते हुए विवाह की तिथि से 30 दिन पूर्व नोटिस देना आवश्यक है।
- प्रावधान धर्म, नस्ल, जाति एवं लिंग के आधार पर विभेद के निषेध पर अनुच्छेद 14 के साथ-साथ समानता के अधिकार पर अनुच्छेद 15 का उल्लंघन करते हैं क्योंकि ये आवश्यकताएं व्यक्तिगत विधियों में अनुपस्थित हैं।
न्यायालय का निर्णय
- सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस आधार पर रिट याचिका को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता अब एक पीड़ित पक्ष नहीं था क्योंकि उसने पहले ही विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह को विधिवत् अनुष्ठापित कर दिया था।
- याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा कि वे अब इस मुकदमे को अन्य पीड़ितों से जुड़े एक जनहित याचिका के माध्यम से शुरू करने के लिए एक वैकल्पिक दृष्टिकोण पर विचार कर रहे थे।
- एक अन्य रिट याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने 2020 में स्वीकार किया एवं सरकार का उत्तर प्रतीक्षित है।
चुनौती दिए गए प्रावधान
- विशेष विवाह अधिनियम की धारा 5 के तहत विवाह करने वाले युगलों को विवाह की तिथि से 30 दिन पूर्व विवाह अधिकारी को नोटिस देना होता है।
- धारा 6 में ऐसी सूचना को विवाह अधिकारी द्वारा अनुरक्षित विवाह सूचना पुस्तिका में दर्ज करने की आवश्यकता होती है, जिसका निरीक्षण करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति द्वारा निरीक्षण किया जा सकता है।
- इन नोटिसों को विवाह अधिकारी के कार्यालय में “विशिष्ट स्थान” पर भी अधिस्थित किया (लगाया) जाना है ताकि कोई भी विवाह पर आपत्ति उठा सके।
- धारा 7 आपत्ति करने की प्रक्रिया प्रदान करती है जैसे कि किसी भी पक्ष के पास जीवित पति या पत्नी है, “मानसिक रूप से अस्वस्थता” के कारण सहमति देने में असमर्थ है या मानसिक विकार से पीड़ित है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति विवाह या संतानोत्पत्ति हेतु अयोग्य है।
- धारा 8 आपत्ति प्रस्तुत करने के बाद की जाने वाली जांच प्रक्रिया को निर्दिष्ट करती है।
कारण
- प्रावधान व्यक्तियों की व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक जांच के लिए खोल देते हैं। इससे निगरानी की जा सकती है।
- यह उसकी व्यक्तिगत जानकारी एवं इन सूचनाओं पर उसकी पहुंच पर नियंत्रण रखने के अधिकार को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाता है।
- युगलों के व्यक्तिगत विवरण को सभी के लिए सुलभ बनाकर, युगलों के अपने विवाह के निर्णय निर्माण के अधिकार को राज्य द्वारा बाधित किया जा रहा है।
- इन सार्वजनिक नोटिसों का प्रयोग असामाजिक तत्वों ने विवाह करने वाले युगलों को परेशान करने के लिए किया है।
- अनेक व्यक्ति जो प्रायः अपने माता-पिता की सहमति के बिना विवाह करते हैं, उनके जीवन के लिए यह खतरा उत्पन्न कर सकता है।
- अनेक राज्य अपनी वेबसाइटों पर विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने वाले युगलों का विवरण सार्वजनिक रूप से साझा करते हैं।
- अनेक व्यक्ति एसडीएम कार्यालय के कर्मचारियों के व्यवहार के बारे में भी शिकायत करते हैं जो प्रायः आवेदनों को हटा देते हैं अथवा विलंब करते हैं एवं विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने से युगलों को रोकते हैं।
- धर्मांतरण विरोधी (या तथाकथित लव-जिहाद) कानून पारित करने वाले 11 राज्यों के साथ, माता-पिता एवं राज्य अब ऐसे युगलों को दंडित करने तथा परेशान करने के लिए सशक्त हैं।



TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
