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रूस-यूक्रेन तनाव पर यूएनएससी की बैठक- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
रूस-यूक्रेन तनाव-संदर्भ पर यूएनएससी की बैठक
- भारत ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में शांति की कूटनीति एवं रूस-यूक्रेन तनाव के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया।
- भारत ने सभी के सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए रूस-यूक्रेन की स्थिति की तीव्रता में त्वरित कमी करने का भी आह्वान किया।
रूस-यूक्रेन तनाव पर यूएनएससी की बैठक- प्रमुख बिंदु
- भारत का रुख: भारत उन तीन देशों में से एक था (केन्या एवं गैबॉन अन्य दो देश थे) जिन्होंने यूक्रेन पर चर्चा की जाएगी या नहीं, इस पर कार्यविधिक मतदान से स्वयं को अलग रखा था।
- भारत ने जुलाई 2020 के युद्धविराम, 2014 मिंस्क समझौते एवं नॉरमैंडी प्रक्रिया के लिए अपना समर्थन दोहराया।
- नॉरमैंडी प्रारूप रूस, यूक्रेन, जर्मनी एवं फ्रांस के मध्य हुई चर्चाओं को संदर्भित करता है, जो 2014 से मिले हैं, जब रूस ने क्रीमिया पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था।
- चीन का रुख: चीन एवं रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में रूस-यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा करने के प्रताप के विरुद्ध मतदान किया।
- अमेरिका का रुख: यू.एस., जिसने बैठक प्रारंभ की एवं नौ अन्य देशों ने यूएनएससी बैठक में रूस-यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मतदान किया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी): यूएनएससी के बारे में मुख्य बिंदु
- यूएनएससी संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 23 यूएनएससी की संरचना से संबंधित है।
- संयुक्त राष्ट्र के अन्य 5 अंग हैं- महासभा (जनरल असेंबली), न्यास परिषद (ट्रस्टीशिप काउंसिल), आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल), अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) तथा सचिवालय (सेक्रेटेरिएट)।
- यह मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने हेतु उत्तरदायी है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत, सदस्य राज्यों के लिए यूएनएससी के निर्णयों को लागू करना बाध्यकारी है।
- प्रधान मुख्यालय: संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में न्यूयॉर्क शहर।
- संरचना: इसमें 15 सदस्य होते हैं- 5 स्थायी एवं 10 अस्थायी।
- स्थायी सदस्य: चीन, फ्रांस, रूसी संघ, ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।
- गैर-स्थायी सदस्य: प्रत्येक वर्ष, महासभा दो वर्ष के कार्यकाल के लिए कुल 10 में से पांच अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन करती है।
- अस्थायी सदस्यों के निर्वाचन की प्रक्रिया:
- सीटों का क्षेत्रीय वितरण: अफ्रीकी एवं एशियाई देशों के लिए पांच; लैटिन अमेरिकी एवं कैरिबियाई देशों के लिए दो; पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य देशों के लिए दो; पूर्वी यूरोपीय देशों के लिए एक।
- पांच में से तीन अफ्रीका के लिए तथा दो एशिया के लिए आवंटित किए गए हैं।
- एक चुनाव लड़ने वाले देश को महासभा सत्र में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई वोटों को प्राप्त करने की आवश्यकता होती है (यदि सभी 193 सदस्य राज्य भाग लेते हैं तो न्यूनतम 129 वोट)।
- एक चुनाव लड़ने वाले देश को इसे (दो तिहाई मतों को) प्राप्त करना होता है, भले ही उसके समूह द्वारा सर्वसम्मति से समर्थन किया गया हो अथवा नहीं।
- उदाहरण के लिए, 2021-22 के कार्यकाल के लिए भारत की उम्मीदवारी का एशिया प्रशांत समूह द्वारा सर्वसम्मति से समर्थन किया गया था। फिर भी, भारत को महासभा सत्र में निर्धारित न्यूनतम संख्या के मत प्राप्त करने थे। इसे महासभा में 184 मत प्राप्त हुए।
- यूएनएससी में निर्णय निर्माण: प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है। किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए, 15 में से 9 सदस्यों को प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना चाहिए जिसमें स्थायी सदस्यों के सहमति वाले मत भी सम्मिलित होने चाहिए।
- स्थायी सदस्यों की वीटो शक्ति: पांच स्थायी सदस्यों में से एक का “नकारात्मक” वोट प्रस्ताव के पारित होने को रोकता है।
- सुरक्षा परिषद का एक गैर-सदस्य यूएनएससी चर्चा में भाग ले सकता है, किंतु से मताधिकार प्राप्त नहीं होता, यदि वह किसी ऐसे मामले पर चर्चा कर रहा है जो सीधे संबंधित देश के हितों को प्रभावित करता है।
- यूएनएससी की अध्यक्षता: प्रत्येक महीने इसके 15 सदस्यों के मध्य क्रमावर्तित होता है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्णयों का प्रवर्तन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्णय आम तौर पर संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों, स्वेच्छा से सदस्य राज्यों द्वारा प्रदान किए गए सैन्य बलों द्वारा प्रवर्तित किए जाते हैं तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य बजट से स्वतंत्र रूप से वित्त पोषित होते हैं।
- सीटों का क्षेत्रीय वितरण: अफ्रीकी एवं एशियाई देशों के लिए पांच; लैटिन अमेरिकी एवं कैरिबियाई देशों के लिए दो; पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य देशों के लिए दो; पूर्वी यूरोपीय देशों के लिए एक।


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