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संशोधित वितरण क्षेत्र योजना

संशोधित वितरण क्षेत्र योजना- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां  एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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संशोधित वितरण क्षेत्र योजना चर्चा में क्यों है?

  • ‘उज्ज्वल भारत उज्ज्वल भविष्य – पावर @ 2047’ कार्यक्रम के दौरान, भारतीय प्रधानमंत्री ने ऊर्जा क्षेत्र के संशोधित वितरण क्षेत्र योजना का शुभारंभ किया।
  • उन्होंने  राष्ट्रीय ताप ऊर्जा निगम (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन/एनटीपीसी) की विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया।

 

संशोधित वितरण क्षेत्र योजना

  • संशोधित वितरण क्षेत्र योजना  के बारे में: महत्वाकांक्षी संशोधित वितरण क्षेत्र योजना  का उद्देश्य  डिस्कॉम्स एवं ऊर्जा विभाग की परिचालन क्षमता तथा वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।
  • कार्यान्वयन मंत्रालय: विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में संशोधित वितरण क्षेत्र योजना कार्यान्वित की जा रही है।
  • वित्त पोषण: संशोधित वितरण क्षेत्र योजना वित्त वर्ष 2021-22 से पांच वर्षों की अवधि में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ लागू की जाएगी।
    • परिव्यय में 97,631 करोड़ रुपये की अनुमानित सरकारी बजटीय सहायता (गवर्नमेंट बजटरी सपोर्ट/GBS)  सम्मिलित है।
  • घटक: संशोधित वितरण क्षेत्र योजना में निम्नलिखित घटक हैं-
    • भाग ए – प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग एवं सिस्टम मीटरिंग के लिए वित्तीय सहायता तथा वितरण अवसंरचना का उन्नयन।
    • भाग बी – प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण तथा अन्य सक्षम एवं सहायक गतिविधियाँ।

 

संशोधित वितरण क्षेत्र योजना- प्रमुख उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य डिस्कॉम्स को निम्नलिखित उद्देश्यों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है-
    • वितरण आधारिक संरचना का आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण,
    • अंतिम उपभोक्ताओं तक आपूर्ति की विश्वसनीयता एवं गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना।
  • इसका उद्देश्य निम्नलिखित में कमी ला कर सभी राज्य क्षेत्र के डिस्कॉम्स एवं ऊर्जा विभागों की परिचालन क्षमता तथा वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है-
    • अखिल भारतीय स्तर पर कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल/एटी एंड सी)  क्षति 12-15% एवं
    • आपूर्ति की औसत लागत-औसत प्राप्त राजस्व (एवरेज कॉस्ट ऑफ सप्लाई- एवरेज रेवेन्यू रिलाइज्ड/एसीएस-एआरआर) 2024-25 तक शून्य तक लाना।

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संशोधित वितरण क्षेत्र योजना

संशोधित वितरण क्षेत्र योजना की प्रमुख विशेषताएं नीचे उल्लिखित हैं-

  • प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग को निम्नलिखित हेतु प्राथमिकता दी जाएगी
    • एटी एंड सी  की > 15% हानियों के साथ, 500 अमृत शहर
    • सभी केंद्र शासित प्रदेश
    • एमएसएमई, औद्योगिक एवं वाणिज्यिक उपभोक्ता
    • प्रखंड (ब्लॉक) स्तर एवं उससे ऊपर के सभी सरकारी कार्यालय
    • उच्च क्षति वाले अन्य क्षेत्र
  • शेष उपभोक्ताओं एवं क्षेत्रों के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग संबंधित डिस्कॉम द्वारा चरणबद्ध तरीके से ग्रहण किए जाने का प्रस्ताव है।
  • प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग एवं सिस्टम मीटरिंग को लोक निजी भागीदारी ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप/पीपीपी) के माध्यम से TOTEX (CAPEX+OPEX) मोड पर लागू करने का प्रस्ताव है।
  • योजना का भाग ए डिस्कॉम्स को निम्नलिखित हेतु वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है-
    • आधारिक अवसंरचना का निर्माण एवं
    • परिचालन दक्षता तथा वित्तीय स्थिरता में सुधार की दिशा में वांछित परिणाम प्राप्त करने हेतु सुधार करना।
  • परिणाम मूल्यांकन आव्यूह (रिजल्ट इवैल्यूएशन मैट्रिक्स) के आधार पर मूल्यांकन किए जाने से पहले पूर्व-अर्हता मानदंड को डिस्कॉम्स के साथ अनिवार्य रूप से अनुरूप होने की आवश्यकता है।
    • इसके बाद, परिणाम मूल्यांकन मैट्रिक्स के आधार पर प्रदर्शन, योजना के तहत धन जारी करने का आधार निर्मित करेगा।
  • प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए, “विशेष श्रेणी के अतिरिक्त” राज्यों के लिए 900 रुपये या प्रति उपभोक्ता मीटर लागत का 15% (जो भी कम हो) का अनुदान उपलब्ध होगा।
    • “विशेष श्रेणी” राज्यों के लिए, प्रति उपभोक्ता लागत का 1350 रुपये या 22.5% (जो भी कम हो) का अनुदान उपलब्ध होगा।
  • दिसंबर 2023 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटरों की स्थापना में गति लाने हेतु राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने के लिए, प्रति उपभोक्ता मीटर लागत का 7.5% या 450 रुपये (जो भी कम हो) का अतिरिक्त प्रोत्साहन उपलब्ध होगा।
    • “विशेष श्रेणी” राज्यों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन 11.25% या 675 रुपये प्रति उपभोक्ता मीटर (जो भी कम हो) होगा।
  • स्मार्ट मीटरिंग के अतिरिक्त अन्य कार्यों हेतु “विशेष श्रेणी के अतिरिक्त” राज्यों के डिस्कॉम्स को दी जाने वाली अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत का 60% होगी।
    • विशेष श्रेणी के राज्यों में डिस्कॉम्स के लिए, अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत का 90% होगी।

 

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