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युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण तथा नवीन तकनीक का विकास।
युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार- समाचार में क्यों है
- हाल ही में, युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की गणितज्ञ प्रोफेसर नीना गुप्ता को प्रदान किया गया।
- नीना गुप्ता को सजातीय बीजीय ज्यामिति एवं क्रमविनिमेय (कम्यूटेटिव) बीजगणित में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 2021 का रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया गया।
रामानुजन पुरस्कार किस कार्य हेतु प्रदान किया जाता है?
- युवा गणितज्ञों हेतु रामानुजन पुरस्कार 45 वर्ष से कम आयु के युवा गणितज्ञों को दिया जाता है जिन्होंने विकासशील देश में उत्कृष्ट शोध कार्य किया है।
युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार कौन प्रदान करता है है?
- युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार प्रतिवर्ष विकासशील देश के एक शोधकर्ता को प्रदान किया जाता है।
- रामानुजन पुरस्कार को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ( डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी/डीएसटी) द्वारा आईसीटीपी ( इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स/सैद्धांतिक भौतिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र) एवं अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ (इंटरनेशनल मैथमेटिकल यूनियन/आईएमयू) के सहयोग से वित्त पोषित किया जाता है।
युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार किसकी स्मृति में दिया जाता है?
- युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार श्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित है।
- वह शुद्ध गणित के क्षेत्र में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, जो अनिवार्य रूप से स्व-शिक्षित थे एवं न्यूनपदीय फलन, निरंतर अंशों, अनंत श्रृंखला एवं संख्याओं के विश्लेषणात्मक सिद्धांत में अतुलनीय योगदान दिया था।
कौन हैं नीना गुप्ता?
- ज़ारिस्की निरसन समस्या को हल करने के लिए प्रोफेसर गुप्ता के समाधान, बीजगणितीय ज्यामिति में एक मूलभूत समस्या (फंडामेंटल प्रॉब्लम इन अलजेब्रिक ज्योमेट्री), ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ( नेशनल साइंस अकैडमी/एनएसए) का 2014 युवा वैज्ञानिक पुरस्कार दिलाया।
- एनएसए ने उनके समाधान को ‘हाल के वर्षों में कहीं भी किए गए बीजगणितीय ज्यामिति में सर्वाधिक उत्कृष्ट रचनाओं में से एक’ के रूप में वर्णित किया।
- इस समस्या को 1949 में आधुनिक बीजगणितीय ज्यामिति के सर्वाधिक प्रख्यात संस्थापकों में से एक, ऑस्कर ज़ारिस्की द्वारा प्रस्तुत किया गया था।




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