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राष्ट्रीय जल पुरस्कार- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
राष्ट्रीय जल पुरस्कार- संदर्भ
- हाल ही में, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने तृतीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 की घोषणा की।
- सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में, उत्तर प्रदेश को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके बाद राजस्थान एवं तमिलनाडु का स्थान है।
राष्ट्रीय जल पुरस्कार- प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय जल पुरस्कार के बारे में: राष्ट्रीय जल पुरस्कार ‘जल समृद्ध भारत’ के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए देश भर में राज्यों, जिलों, व्यक्तियों, संगठनों इत्यादि द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों एवं प्रयासों को मान्यता प्रदान करने प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित किए गए थे।
- आरंभ: प्रथम राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2018 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आरंभ किया गया था। द्वितीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2019 में आयोजित किया गया था।
- मूल मंत्रालय: जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का आयोजन किया जाता है।
- पुरस्कार की श्रेणियाँ: जल शक्ति मंत्रालय 11 विभिन्न श्रेणियों में राज्यों, संगठनों, व्यक्तियों इत्यादि को 57 पुरस्कार प्रदान कर रहा है-
- उत्तम राज्य,
- उत्तम जिला,
- उत्तम ग्राम पंचायत,
- सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय,
- सर्वश्रेष्ठ मीडिया (मुद्रित एवं इलेक्ट्रॉनिक),
- सर्वश्रेष्ठ विद्यालय,
- कैम्पस उपयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान/आरडब्ल्यूए/धार्मिक संगठन,
- सर्वश्रेष्ठ उद्योग,
- सर्वश्रेष्ठ एनजीओ,
- सर्वश्रेष्ठ जल उपयोगकर्ता संघ (बेस्ट वाटर यूजर एसोसिएशन), एवं
- व्यावसायिक सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधि के लिए सर्वश्रेष्ठ उद्योग।
- पुरस्कार निधि: राष्ट्रीय जल पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र, ट्रॉफी तथा नकद पुरस्कार शामिल हैं।
राष्ट्रीय जल पुरस्कार- प्रमुख उद्देश्य
- मान्यता: संपूर्ण देश में इस क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों/संगठनों के प्रयासों को मान्यता प्रदान करने हेतु विभिन्न श्रेणियों में अधिकतम संभव क्षेत्र को सम्मिलित करने हेतु राष्ट्रीय जल पुरस्कार।
- समग्र एवं सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना: राष्ट्रीय जल पुरस्कार गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), ग्राम पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, व्यक्तियों इत्यादि सहित सभी हितधारकों को निम्नलिखित हेतु प्रोत्साहित करता है-
- वर्षा जल संचयन एवं कृत्रिम पुनर्भरण द्वारा भूजल संवर्धन की नवीन प्रथाओं को अपनाना,
- जल उपयोग दक्षता, जल के पुनर्चक्रण एवं पुनः: उपयोग को बढ़ावा देना।
- जागरूकता उत्पन्न करना: राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य लक्षित क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न करना है जिसके परिणामस्वरूप संभव होगा-
- भूजल संसाधन विकास की धारणीयता,
- हितधारकों इत्यादि के मध्य पर्याप्त क्षमता निर्माण।
राष्ट्रीय जल पुरस्कार- जल संरक्षण एवं सतत उपयोग की आवश्यकता
- जल की बढ़ती आवश्यकताएं: भारत की जल की आवश्यकता वर्तमान में लगभग 1,100 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष होने का अनुमान है, जो 2050 तक 1,447 बिलियन क्यूबिक मीटर तक पहुंचने का अनुमान है।
- सीमित जल संसाधन: जबकि भारत में विश्व की जनसंख्या का 18% से अधिक निवास करता है, इसके पास विश्व के नवीकरणीय जल संसाधनों का मात्र 4% है।
- अति उपयोग एवं जलवायु परिवर्तन: भारत के सीमित जल संसाधनों के अत्यधिक उपयोग के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण कम जलापूर्ति भारत को जल के अभाव की ओर धकेल रही है।




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