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राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए)

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए)

 

जब यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा हेतु पर्यावरण का अध्ययन करने की बात आती है तो  राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राधिकरणों में से एक है। इस लेख में, हम एनटीसीए के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। उम्मीदवार इस टॉपिक से यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2022 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा 2021 दोनों में प्रश्नों की अपेक्षा कर सकते हैं।

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 राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के बारे में

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
  • भारत में प्रोजेक्ट टाइगर एवं टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को पुनर्गठित करने हेतु भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा गठित टाइगर टास्क फोर्स की संस्तुति के पश्चात 2005 में इसकी स्थापना की गई थी।
  • एनटीसीए अवैध शिकार की गतिविधियों के लिए अलर्ट जारी करके केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) जैसे निकायों एवं अन्य विभागों के साथ सहयोग करता है।

 

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की संरचना

  • केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना की गई है।
  • प्राधिकरण में आठ विशेषज्ञ अथवा पेशेवर होंगे जिनके पास वन्यजीव संरक्षण एवं जनजातियों (आदिवासियों) सहित व्यक्तियों के कल्याण के क्षेत्र में योग्यता एवं अनुभव होगा, इसके अतिरिक्त संसद के तीन सदस्य होंगे, जिनमें से दो लोकसभा एवं एक राज्य सभा द्वारा चयनित किए जाएंगे।

 

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के उद्देश्य

एनटीसीए के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

  • प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक प्राधिकार प्रदान करना ताकि उसके निर्देशों का अनुपालन विधिक/कानूनी हो जाए।
  • हमारे संघीय ढांचे के भीतर राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन हेतु एक आधार प्रदान करके टाइगर रिजर्व के प्रबंधन में केंद्र-राज्य के उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना
  • संसद द्वारा निरीक्षण का प्रावधान करना।
  • टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की आजीविका के हितों को संबोधित करना

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राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की शक्तियां एवं  कार्य

  • राज्य सरकार द्वारा निर्मित किए गए बाघ संरक्षण योजना का अनुमोदन करना
  • सतत पारिस्थितिकी के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन एवं आकलन करने हेतु एवं टाइगर रिजर्व के भीतर किसी भी पारिस्थितिक रूप से धारणीय भूमि उपयोग जैसे खनन, उद्योग एवं अन्य परियोजनाओं को अस्वीकार करने हेतु
  • बाघ अभ्यारण्यों के बफर एवं कोर क्षेत्र में बाघ संरक्षण के लिए समय-समय पर पर्यटन गतिविधियों के लिए निर्देशात्मक मानकों एवं बाघ परियोजना के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करना एवं उनका सम्यक अनुपालन सुनिश्चित करना
  • लोगों एवं वन्य पशुओं के संघर्षों का समाधान करने हेतु प्रबंधन फोकस एवं आवश्यक कदम के प्रावधान करने हेतु तथा कार्य योजना संहिता में राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारण्यों या व्याघ्र निचयों की सीमा के बाहर वन क्षेत्रों में सह-अस्तित्व पर  बल प्रदान करना।
  • भविष्य की संरक्षण योजना, बाघों की आबादी का अनुमान एवं उनकी प्राकृतिक शिकार प्रजातियों, पर्यावासों की स्थिति, रोग अवेक्षण, ​​मृत्यु सर्वेक्षण, गश्त, अप्रिय घटनाओं पर रिपोर्ट एवं ऐसे अन्य पहलुओं सहित जिन्हें यह उचित समझे, के संबंध में सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी प्रदान करना।
  • बाघ, सह-परभक्षियों (शिकारियों), शिकार पर्यावास, संबंधित पारिस्थितिक एवं सामाजिक-आर्थिक मानकों तथा उनके मूल्यांकन पर अनुसंधान एवं अनुश्रवण का अनुमोदन, समन्वय एवं उनका मूल्यांकन करना
  • यह सुनिश्चित करना कि टाइगर रिजर्व एवं एक संरक्षित क्षेत्र अथवा टाइगर रिजर्व को दूसरे संरक्षित क्षेत्र या टाइगर रिजर्व से जोड़ने वाले क्षेत्रों को सार्वजनिक हित के अतिरिक्त अन्य नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के अनुमोदन से एवं बाघ संरक्षण प्राधिकरण के परामर्श पर पारिस्थितिक रूप से अ-सतत उपयोग के लिए डायवर्ट नहीं किए जाएं
  • पारिस्थितिक विकास एवं अनुमोदित प्रबंधन योजनाओं के अनुसार लोगों की भागीदारी के माध्यम से जैव विविधता संरक्षण पहल हेतु राज्यों में बाघ रिजर्व प्रबंधन को सुविधाजनक बनाने एवं सहयोग करने हेतु तथा केंद्रीय एवं राज्य के राज्य कानूनों के अनुरूप आसपास के क्षेत्रों में इसी तरह की पहल का समर्थन करने हेतु
  • बाघ संरक्षण योजना के बेहतर कार्यान्वयन के लिए वैज्ञानिक, सूचना प्रौद्योगिकी एवं कानूनी समर्थन सहित अन्य महत्वपूर्ण समर्थन सुनिश्चित करना।

 

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