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मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस- विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित एक  परियोजना

मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस

मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस: मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस गुजरात में विश्व बैंक द्वारा आंशिक रूप से वित्त पोषित एक परियोजना है। मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (महत्वपूर्ण योजनाएं) एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- शासन) के लिए महत्वपूर्ण है।

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मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस: चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के अडालज के त्रिमंदिर में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ किया।
    • त्रिमंदिर में कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने लगभग 4260 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया।
  • इससे पूर्व, श्री मोदी ने गांधीनगर में एक विद्यालय अनुश्रवण केंद्र का उद्घाटन किया था तथा समस्त राज्यों को ऐसे अत्याधुनिक केंद्र स्थापित करने के लिए कहा था जो विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायता करेंगे।

 

उत्‍कृष्‍टता के मिशन विद्यालयों के बारे में प्रमुख विवरण

  • मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के बारे में: मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस विश्व बैंक द्वारा आंशिक रूप से वित्त पोषित परियोजना है जिसका उद्देश्य गुजरात राज्य में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
  • वित्तीयन: मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की कल्पना 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से की गई है।
  • प्रमुख उद्देश्य: मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का उद्देश्य राज्य में नई कक्षाओं, स्मार्ट कक्षाओं, कंप्यूटर प्रयोगशालाओं की स्थापना तथा विद्यालयों में बुनियादी ढांचे के समग्र उन्नयन के माध्यम से शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
  • कार्यान्वयन: इसके प्रथम चरण के तहत, 5,567 करोड़ रुपये से अधिक की विद्यालय बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्रारंभ की जाएंगी।
  • विशिष्ट पाठ्यचर्या एवं शिक्षाशास्त्र: इन आवासीय विद्यालयों में विशिष्ट पाठ्यचर्या एवं शिक्षाशास्त्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बोर्डों के परामर्श से तैयार किये जायेंगे।
  • शिक्षाशास्त्र का माध्यम: नए आवासीय विद्यालय कक्षा IX से अंग्रेजी माध्यम के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए कक्षा VI-VIII से द्विभाषी माध्यम पर बल देंगे। यह नवीन शिक्षा नीति 2020 की संस्तुतियों के अनुरूप है।

 

मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस- अतिरिक्त सूचना

  • मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस परियोजना: यह विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित एक मिशन है। छह वर्ष की अवधि में, परियोजना निम्नलिखित के निर्माण का लक्ष्य रखता है-
    • 50000 नई कक्षाएं – 4,000 कक्षाएं
    • 20,000 कंप्यूटर प्रयोगशालाओं के साथ-साथ प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में 1.5 लाख स्मार्ट कक्षाओं की स्थापना तथा
    • 5,000 अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना।
  • परियोजना को तीन चरणों में विभाजित किया गया है, जिसकी शुरुआत उत्कृष्टता के आवासीय विद्यालयों, उत्कृष्टता के उदीयमान विद्यालयों एवं उत्कृष्टता के महत्वाकांक्षी विद्यालयों से हुई है।
  • महत्व:  यह मिशन गुजरात में नवीन शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में एक कदम आगे है। मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस गुजरात को देश एवं दुनिया में एक नवाचार केंद्र (इनोवेशन हब) के रूप में उभरने में सहायता करेगा।
    • यह गुजरात को अमृत काल के लिए अमृत पीढ़ी के निर्माण में भी सहायता करेगा।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में

  • यह हमारे देश की तीसरी शिक्षा नीति है। पूर्व की दो  शिक्षा नीतियों को 1968 तथा 1986 में प्रारंभ किया गया था।
    • यह राष्ट्रीय नीति 34 वर्षों के अंतराल के बाद आई है।
  • यह कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों पर आधारित है।
  • इसने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया।
  • यह 5+3+3+4 पाठ्यक्रम तथा शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव करता है।

 

चरण वर्ष कक्षा विशेषताएँ
आधारभूत 3-8 3 वर्ष पूर्व-प्राथमिक तथा 1-2 लचीली, बहु-स्तरीय, गतिविधि-आधारित शिक्षण
प्रारंभिक 9-11 3-5 हल्की पाठ्यपुस्तकें, अधिक औपचारिक किंतु संवादात्मक कक्षा शिक्षण
मध्य 12-14 6- 8 अधिक अमूर्त अवधारणाओं को सीखने के लिए विषय शिक्षकों का प्रवेश, प्रायोगिक शिक्षा
माध्यमिक 15-18 9-12 संपूर्णता से पढ़ना, आलोचनात्मक विचार, जीवन की आकांक्षाओं पर अधिक ध्यान देना

 

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