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वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022

वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

 

वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022: संदर्भ

  • हाल ही में, वैश्विक आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) ने ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2022 का 17 वां संस्करण जारी किया है, जहां रिपोर्ट में भारत के समक्ष उपस्थित होने वाले शीर्ष पांच जोखिमों पर चर्चा की गई है।

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वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022: प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट विशेषज्ञों एवं व्यापार, सरकार एवं नागरिक समाज में विश्व के नेतृत्वकर्ताओं के मध्य वैश्विक जोखिम धारणाओं को ट्रैक करती है।
  • यह अध्ययन पांच श्रेणियों-आर्थिक, पर्यावरण, भू-राजनीतिक, सामाजिक एवं तकनीकी में जोखिमों का परीक्षण करता है।
  • प्रचंड मौसम को अल्पावधि में विश्व का सबसे बड़ा जोखिम एवं मध्यम तथा दीर्घ अवधि में दो से 10 वर्षों में जलवायु कार्रवाई की विफलता माना जाता था।
  • शीर्ष वैश्विक जोखिम: जलवायु संकट, बढ़ता सामाजिक विभाजन, बढ़े हुए साइबर जोखिम एवं असमान वैश्विक पुनर्स्थापना, जैसा कि कोरोना वायरस महामारी जारी है, ये आगामी 10 वर्षों में शीर्ष वैश्विक जोखिम हैं।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अपसारित आर्थिक पुनर्स्थापना एवं महामारी के परिणाम ऐसे समय में अन्य चुनौतियों पर वैश्विक सहयोग के लिए खतरा हैं जब जलवायु जोखिम व्यापक रूप से छाया हुआ है।
  • डिजिटलीकरण: डिजिटल प्रणाली पर बढ़ती निर्भरता, जो मात्र विगत दो वर्षों में बढ़ी है, ने डिजिटल या साइबर सुरक्षा खतरों को और अधिक शक्तिशाली बना दिया है।

 

वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022: भारत

  • शीर्ष 5 जोखिम: युवाओं में मोहभंग, डिजिटल असमानता, अंतरराज्यीय संबंधों का टूटना, ऋण संकट एवं प्रौद्योगिकी शासन की विफलता रिपोर्ट में उल्लिखित शीर्ष 5 जोखिम हैं।
  • रिपोर्ट में युवाओं के मोहभंग को एक सामाजिक समस्या के रूप में सारांशित किया गया है, जिसमें वैश्विक स्तर पर युवा विघटन, आत्मविश्वास अथवा वर्तमान आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक संरचनाओं पर विश्वास का अभाव शामिल है।
  • रिपोर्ट का विचार था कि मोहभंग का सामाजिक स्थिरता, व्यक्तिगत कल्याण एवं आर्थिक उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है

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वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022: सुझाव

  • वैश्विक नेताओं को एक साथ आना चाहिए एवं कठोर वैश्विक चुनौतियों से निपटने तथा आगामी संकट से पूर्व प्रतिरोधक क्षमता निर्माण हेतु एक समन्वित बहु-हितधारक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
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