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वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता 

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022: वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022 एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण सूचकांक है जो विभिन्न देशों में लैंगिक अंतराल की स्थिति को मापता है।  वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स) 2022 यूपीएससी की मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन के पेपर 2 (शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- केंद्र तथा राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं के प्रदर्शन) के लिए महत्वपूर्ण है।

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समाचारों में ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022

  • हाल ही में, विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम/WEF) द्वारा 2022 के लिए ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स जारी किया गया था।
    • वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022 भारत को 146 देशों में से 135 वां स्थान प्रदान करता है। 2022 में, भारत का समग्र स्कोर 0.625 (2021 में) से बढ़कर 0.629 हो गया है।
    • 2021 में वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक में भारत 156 देशों में 140वें स्थान पर था।

 

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक क्या है?

  • पृष्ठभूमि: ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट प्रथम बार 2006 में विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित की गई थी।
  • ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के बारे में: वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक समय के साथ लैंगिक अंतराल को समाप्त करने की दिशा में प्रगति को ट्रैक करके लैंगिक समानता को मापने हेतु डिज़ाइन किया गया एक सूचकांक है।
  • जारी करने वाला निकाय: वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक  विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी किया गया है।
  • मापदंड: ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स “वर्तमान स्थिति एवं चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता के विकास को बेंचमार्क करता है-
    • आर्थिक भागीदारी एवं अवसर,
    • शिक्षा प्राप्ति,
    • स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता, तथा
    • राजनीतिक सशक्तिकरण।
  • रैंकिंग विधि: चार उप-सूचकांकों के साथ-साथ समग्र सूचकांक पर जीजीजी सूचकांक 0 एवं 1 के मध्य स्कोर प्रदान करता है, जहां 1 पूर्ण लैंगिक समानता को प्रदर्शित करता है तथा 0 पूर्ण असमानता है।
Global Gender Gap Index 022
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022
तस्वीर साभार- विश्व आर्थिक मंच

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022_5.1

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022 पर भारत का प्रदर्शन 

  • राजनीतिक अधिकारिता पर: इसमें मैट्रिक्स जैसे संसद में महिलाओं का प्रतिशत, मंत्री पदों पर महिलाओं का प्रतिशत इत्यादि सम्मिलित हैं।
    • सभी उप-सूचकांकों में, यह वह स्थान है जहां भारत सर्वोच्च (146 में से 48 वां स्थान) स्थान पर है।
    • आइसलैंड 0.874 के स्कोर के साथ 1 एवं बांग्लादेश 0.546 के स्कोर के साथ 9वें स्थान पर है।
    • इस मीट्रिक पर भारत का स्कोर विगत वर्ष से – 0.276 से 0.267 तक खराब हो गया है।
    • आशा की किरण यह है कि कमी के बावजूद इस श्रेणी में भारत का स्कोर वैश्विक औसत से ऊपर है।
  • आर्थिक भागीदारी एवं अवसर पर: इसमें मैट्रिक्स जैसे कि श्रम शक्ति का हिस्सा, महिलाओं का प्रतिशत, समान कार्य हेतु समान पारिश्रमिक, अर्जित आय इत्यादि सम्मिलित हैं।
    • यहां भी, भारत प्रतिस्पर्धा में 146 देशों में से 143 वें स्थान पर है, भले ही इसका स्कोर 2021 में 0.326 से 0.350 तक सुधरा है।
    • भारत का स्कोर वैश्विक औसत से काफी कम है एवं इस मीट्रिक पर भारत से केवल ईरान, पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान ही पीछे हैं।
  • शैक्षिक प्राप्ति पर: इस उप-सूचकांक में साक्षरता दर एवं प्राथमिक, माध्यमिक तथा तृतीयक शिक्षा में नामांकन दर जैसे मीट्रिक सम्मिलित हैं।
    • यहां भारत 146 में से 107वें स्थान पर है एवं विगत वर्ष से इसका स्कोर थोड़ा खराब हुआ है।
    • 2021 में भारत 156 में से 114 वें स्थान पर था।
  • स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता पर: इसमें दो मीट्रिक सम्मिलित हैं- जन्म के समय लिंग अनुपात (प्रतिशत में)  एवं स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (वर्षों में)।
    • इस मीट्रिक में, भारत सभी देशों में अंतिम (146) स्थान पर है।
    • इसका स्कोर 2021 से अपरिवर्तित है जब यह 156 देशों में से 155 वें स्थान पर था।

 

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