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विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम: प्रसंग

  • हाल ही में, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संगठन मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमओसी) के एफसीआरए पंजीकरण को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया है।

 

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) क्या है?

  • एफसीआरए भारत की एक विधि (कानून) है, जो भारत के बाहर से  विदेशी योगदान अथवा सहायता की भारतीय क्षेत्रों में प्राप्ति को नियंत्रित करता है।
  • यह अधिनियम यह सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक है कि इस प्रकार की सहायता भारत में राजनीतिक, आंतरिक सुरक्षा या किसी अन्य स्थिति को दुष्प्रभावित न करे।

 

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के बारे में

  • अधिनियम को प्रथम बार 1976 में अधिनियमित किया गया था, बाद में इसे 2010 में एवं पुनः 2020 में संशोधित किया गया था जब विदेशी दान को विनियमित करने हेतु अनेक नवीन उपायों को अपनाया गया था।
  • एफसीआरए उन सभी संघों, समूहों एवं गैर सरकारी संगठनों पर लागू होता है जो विदेशी दान (चंदा) प्राप्त करना चाहते हैं।
  • अधिनियम ऐसे सभी गैर सरकारी संगठनों को एफसीआरए के तहत स्वयं को पंजीकृत करने हेतु अधिदेशित करता है।
  • पंजीकरण प्रारंभ में पांच वर्ष की अवधि हेतु वैध होता है एवं इसे प्रत्येक पांच वर्ष में नवीनीकृत किया जा सकता है।
  • पंजीकृत संघ सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए विदेशी अंशदान/योगदान प्राप्त कर सकते हैं।
  • व्यक्तियों को गृह मंत्रालय की अनुमति के बिना विदेशी योगदान स्वीकार करने की अनुमति है। यद्यपि, इस तरह के विदेशी योगदान की स्वीकृति के लिए मौद्रिक सीमा 25,000 रुपये से कम होगी।

 

विदेशी अंशदान नियमन संशोधन 2020: प्रमुख प्रावधान

  • विदेशी अंशदान स्वीकार करने पर प्रतिबंध: अधिनियम के तहत, कुछ व्यक्तियों को किसी भी विदेशी अंशदान को स्वीकार करने से प्रतिबंधित किया गया है। इनमें शामिल हैं: निर्वाचन हेतु उम्मीदवार, एक समाचार पत्र के संपादक अथवा प्रकाशक, न्यायाधीश, लोक सेवक, किसी भी विधायिका के सदस्य एवं अन्यों के साथ राजनीतिक दल।
  • विदेशी अंशदान का हस्तांतरण: किसी अन्य व्यक्ति को विदेशी अंशदान के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है। अधिनियम के तहत ‘व्यक्ति’ शब्द में एक व्यक्ति, एक संघ अथवा एक पंजीकृत कंपनी सम्मिलित है।
  • आधार पंजीकरण: अधिनियम किसी भी व्यक्ति के लिए पूर्व अनुमति, पंजीकरण या पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए अपने सभी पदाधिकारियों, निदेशकों अथवा प्रमुख पदाधिकारियों के आधार संख्या को एक पहचान दस्तावेज के रूप में प्रदान करना अनिवार्य बनाता है।
  • एफसीआरए खाता: अधिनियम में कहा गया है कि विदेशी योगदान केवल बैंक द्वारा “एफसीआरए खाते” के रूप में नामित खाते में भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली की ऐसी शाखा में प्राप्त किया जाना चाहिए, जैसा कि इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है।
  • लाइसेंस का नवीनीकरण: बिल में प्रावधान है कि सरकार प्रमाण पत्र के नवीनीकरण से पूर्व एक जांच कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवेदन करने वाला व्यक्ति:
    • काल्पनिक अथवा बेनामी नहीं है,
    • सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने या धार्मिक रूपांतरण के उद्देश्य से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने के लिए अभियोग नहीं चलाया गया है अथवा दोषी नहीं ठहराया गया है, एवं
    • अन्य शर्तों के साथ, धन के अपयोजन (डायवर्सन) अथवा दुरुपयोग का दोषी नहीं पाया गया है।
  • पंजीकरण का निलंबन: अधिनियम के तहत, सरकार 180 दिनों की अवधि हेतु किसी व्यक्ति के पंजीकरण को निलंबित कर सकती है एवं इसे अतिरिक्त 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए विदेशी अंशदान के उपयोग में कमी: अधिनियम के तहत, विदेशी अंशदान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को प्रशासनिक व्ययों को पूरा करने के लिए योगदान के 20% से अधिक का उपयोग नहीं करना चाहिए।

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विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम: इसकी आवश्यकता क्यों है?

  • 2010 एवं 2019 के मध्य विदेशी योगदान लगभग दोगुना हो गया है। यद्यपि, अनेक प्राप्तकर्ताओं ने धन का प्रामाणिक रूप से उपयोग नहीं किया है।
  • बहुत से व्यक्ति वैधानिक अनुपालन का पालन नहीं कर रहे थे, जिससे हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।
  • अधिनियम का उद्देश्य विदेशी निधियों के उपयोग में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व में वृद्धि करना है।

 

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