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प्रथम चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच: भारत के बिना क्यों?

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पहले चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम का यूपीएससी के लिए महत्व

पहला चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच: पहला चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 के  समसामयिकी खंड के लिए महत्वपूर्ण है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन के द्वितीय प्रश्न पत्र के पाठ्यक्रम: भारत एवं इसका पड़ोस, द्विपक्षीय समूह एवं समझौते, भारत को शामिल करने वाले एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह एवं समझौते के लिए, पहला चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है ।

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चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच चर्चा में क्यों है?

  • चीन ने हाल ही में (28 नवंबर, 2022) भारत को छोड़कर क्षेत्र के 19 देशों के साथ विकास सहयोग पर पहला उच्च-स्तरीय चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच आयोजित किया।
  • 21 नवंबर, 2022 को कुनमिंग में 6वें चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो एवं चीन-हिंद महासागर क्षेत्र के थिंक टैंक फोरम सहित कई अन्य कार्यक्रमों के साथ इस कार्यक्रम को चुपचाप आयोजित किया गया था।
  • यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर में व्यापक उपस्थिति एवं भूमिका के लिए चीन की निरंतर खोज की एक स्पष्ट तस्वीर है।

 

हिंद महासागर क्षेत्र (इंडियन ओशन रीजन/IOR) के बारे में जानें

  • हिंद महासागरीय क्षेत्र ( इंडियन ओशन रीजन/आईओआर) मोटे तौर पर हिंद महासागर के तटीय राज्यों वाले क्षेत्रों को परिभाषित करता है।
  • एक स्पष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विविधता द्वारा चिह्नित, हिंद महासागरीय क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, हॉर्न ऑफ अफ्रीका के देश एवं दक्षिणी तथा पूर्वी अफ्रीका जैसे कई उप-क्षेत्र शामिल हैं।
  • हिंद महासागरीय क्षेत्र के तटवर्ती इलाकों में विश्व की एक तिहाई से अधिक आबादी निवास करती है।
  • इसके अतिरिक्त, वैश्विक समुद्री व्यापार एवं वाणिज्य का आधे से अधिक हिस्सा हिंद महासागर से होकर गुजरता है, जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र के बाहर के देशों में जाता है।

 

फोरम में हिंद महासागर क्षेत्र के कितने देश उपस्थित थे?

  • पहले चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच की मेजबानी चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन एजेंसी/CIDCA) द्वारा की गई थी, जो अपनी वेबसाइट के अनुसार नीतियों को तैयार करती है एवं प्रमुख विदेशी सहायता मुद्दों का समन्वय करती है।
  • CIDCA द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स सहित 19 देशों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती, ऑस्ट्रेलिया एवं तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि हाइब्रिड फोरम में उपस्थित थे।
  • यद्यपि, ऑस्ट्रेलिया एवं मालदीव ने कहा कि उन्होंने हाल ही में चीन द्वारा आहूत की गई हिंद महासागर क्षेत्र फोरम में भाग नहीं लिया।
  • इसके अतिरिक्त, चीनी विदेश मंत्रालय ने यह खुलासा करने से इनकार कर दिया कि अन्य देशों से कौन कौन प्रतिभागी थे। आम तौर पर, बहुपक्षीय अनुबंधों में प्रतिभागियों के विवरण का प्रकटीकरण  किया जाता है।

 

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के देश भारत को कैसे देखते हैं?

  • भारत हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के देशों का एक पारंपरिक भागीदार एवं समर्थक रहा है, इसके अतिरिक्त, तटीय देशों में प्रमुख संकटों के दौरान सर्वप्रथम प्रतिक्रियादाता के रूप में कार्य करता रहा है।
  • यह नियमित रूप से हिंद महासागर तट एसोसिएशन (इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन/आईओआरए) एवं हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (इंडियन ओशन नेवीज सिंपोजियम/आईओएनएस) जैसे तंत्र के माध्यम से 2015 में मॉरीशस की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिपादित हिंद महासागर के तटीय देशों के साथक्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीज़न/ सागर अथवा एसएजीएआर) की दृष्टि से जुड़ा हुआ है।

 

भारत को पहले चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच में क्यों आमंत्रित नहीं किया गया?

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र देशों के लिए ‘प्रथम चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच’ के नाम से एक नए मंच का प्रारंभ, अन्य सफलतापूर्वक स्थापित मंचों के बावजूद, चिंताजनक है एवं स्पष्ट रूप से इसका उद्देश्य क्षेत्र में भारत के मजबूत प्रभाव का मुकाबला करना है। इसने हिंद महासागर क्षेत्र पर प्रभाव के लिए बीजिंग के अथक अभियान को उजागर किया है। भारत को आमंत्रित न करने के पीछे चीन के निम्नलिखित व्यर्थ स्वार्थ हो सकते हैं:

 

क्षेत्र में भारत की पारंपरिक उपस्थिति को चुनौती देने का चीन का प्रयत्न

  • भारत को पहले चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम में आमंत्रित नहीं किया गया था, जिसे विशेषज्ञ हिंद महासागर क्षेत्र के राजनीतिकरण की आशंकाओं के मध्य क्षेत्र में भारत की पारंपरिक उपस्थिति को चुनौती देने के प्रयास के रूप में देखते हैं।

 

हिंद महासागर क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास

  • रूस, अमेरिका एवं कई यूरोपीय देशों के साथ चीन IORA का एक संवाद भागीदार है।
  • आईओएनएस में भी, जो इस क्षेत्र के 24 देशों को एक साथ लाता है, चीन, जो हिंद महासागर का देश नहीं है,विभिन्न पर्यवेक्षकों में से एक है।
  • यद्यपि, हिंद महासागर से भौगोलिक रूप से दूर होने के बावजूद चीन इस क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा पैठ बनाने का निरंतर प्रयत्न कर रहा है।

 

चीन के विस्तृत बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में चीन की प्रमुख भूमिका, हिंद महासागर के विशाल संसाधन आधार एवं हिंद महासागर क्षेत्र के माध्यम से संचार की सामरिक समुद्री रेखाओं के मार्ग से, हिंद महासागर के तटवर्ती क्षेत्र को चीनी नीति ढांचे एवं इसके विस्तृत बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में प्रमुखता प्राप्त हुई है।

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के व्यापक स्तर पर किए गए निवेश को सुरक्षित करने हेतु

  • चीन ने पाकिस्तान एवं श्रीलंका सहित अनेक देशों में बंदरगाहों तथा आधारिक अवसंरचना के निवेश में पर्याप्त निवेश किया है।
  • बीजिंग ने भारत के पश्चिमी तट के विपरीत अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर में बंदरगाह का निर्माण करने तथा मालदीव में आधारिक अवसंरचना के निवेश के अतिरिक्त 99 वर्ष की लीज पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का अधिग्रहण किया है।

 

चीन की ऋण कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए

  • चीन पर प्रायः अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत कथित तौर पर आधारिक अवसंरचना के विकास के नाम पर इन देशों मेंऋण कूटनीतिमें सम्मिलित होने का आरोप लगाया गया है।
  • 2008 से, चीन ने नियमित रूप से अदन की खाड़ी में नौसैनिक युद्धपोतों की एक टुकड़ी को तैनात किया है एवं 2017 में जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित किया है।

 

निष्कर्ष

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य ने “अंतर्राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्विता, प्रतिस्पर्धा एवं हितों के टकराव” को जन्म दिया था एवं भारत के लिए इस क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है। चीन को यह भी अवगत कराया जाना चाहिए कि समुद्री क्षेत्र एक बहुपक्षीय परिकल्पना है एवं एक राष्ट्र समुद्री डोमेन में ” एक पक्षीय निर्णय नहीं ले सकता” है।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. हिंद महासागर क्षेत्र के अंतर्गत उप क्षेत्र हैं?

उत्तर. हिंद महासागर क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, हॉर्न ऑफ अफ्रीका के देश एवं दक्षिणी  तथा पूर्वी अफ्रीका जैसे कई उप-क्षेत्र शामिल हैं।

 

प्र. किस देश ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का अधिग्रहण किया?

उत्तर. बीजिंग ने 99 वर्ष के लिए लीज पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का अधिग्रहण किया है।

 

प्र. चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम को लेकर क्या विवाद है

उत्तर. चीन ने हाल ही में (28 नवंबर, 2022) भारत को छोड़कर क्षेत्र के 19 देशों के साथ विकास सहयोग पर पहला उच्च-स्तरीय चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम का आयोजन किया, जो स्पष्ट रूप से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर में चीन की व्यापक उपस्थिति और भूमिका के लिए निरंतर खोज को प्रदर्शित करता है।

 

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