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अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकारों की बैठक- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक 2022 चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 30 जुलाई 2022 को विज्ञान भवन में अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रथम बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की बैठक
- अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रथम बैठक के बारे में: अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक 2022 जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी/डीएलएसए) की प्रथम राष्ट्रीय स्तर की बैठक है।
- अधिदेश: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक डीएलएसए में एकरूपता एवं सामंजस्य लाने हेतु एक एकीकृत प्रक्रिया के निर्माण पर विचार करेगी।
- स्थान: अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक 2022 का आयोजन 30-31 जुलाई 2022 तक विज्ञान भवन में किया जा रहा है।
- आयोजन प्राधिकरण: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी/NALSA) द्वारा प्रथम अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक का आयोजन किया जा रहा है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए)
- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के बारे में: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) की स्थापना इस समाज के कमजोर वर्गों को निशुल्क एवं कानूनी सहायता तथा सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए।
- मूल विधान: जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (DLSAs) का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया है।
- अधिदेश: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन प्रत्येक जिले में किया जाता है ताकि जिले में विधिक सहायता कार्यक्रमों एवं योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन हो सके।
- कार्यकरण: देश में कुल 676 जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSAs) हैं। वे जिला न्यायाधीश के नेतृत्व में होते हैं जो प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
- डीएलएसए एवं राज्य विधि सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के माध्यम से नालसा द्वारा विभिन्न कानूनी सहायता एवं जागरूकता कार्यक्रम लागू किए जाते हैं।
- डीएलएसए नालसा द्वारा आयोजित लोक अदालतों को विनियमित करके अदालतों पर बोझ को कम करने में भी योगदान करते हैं।
- संरचना: विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 9(1) में कहा गया है कि डीएलएसए एक निकाय है जिसका गठन राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से किया जाएगा।
- इस अधिनियम के तहत सौंपे गए अधिकारों का प्रयोग करने एवं कार्यों को संपादित करने हेतु राज्य के प्रत्येक जिले में इसका गठन किया जाएगा।
- जिला न्यायाधीश डीएलएसए के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) – मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि: 1987 में, संसद द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम अधिनियमित किया गया था, जो 9 नवंबर, 1995 को प्रवर्तन में आया।
- नालसा अधिनियम 1987 का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए एक समरूप राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करना है।
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के बारे में: समाज के कमजोर वर्गों को निशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का गठन किया गया है।
- नालसा के प्रधान संरक्षक (पैट्रन-इन-चीफ) एवं अध्यक्ष: भारत के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया/सीजेआई) नालसा के प्रधान संरक्षक होते हैं तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम माननीय न्यायाधीश नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष होते हैं।
- आवश्यकता: नालसा को निम्नलिखित संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने हेतु निर्मित किया गया था-
- प्रस्तावना: नालसा का उद्देश्य सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान करने के प्रस्तावना के संकल्प को पूरा करना है।
- संविधान का अनुच्छेद 14 एवं 22(1): राज्य के लिए विधि के समक्ष समता सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाना।
- अनुच्छेद 39 ए: इसका उद्देश्य समाज के निर्धन एवं कमजोर वर्गों को समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने हेतु निशुल्क विधिक सहायता प्रदान करना है।
- अधिदेश: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- प्रभावी विधिक प्रतिनिधित्व, विधिक साक्षरता एवं जागरूकता प्रदान करके समाज के वंचित तथा बहिष्कृत समूहों को विधिक रूप से सशक्त बनाना
- विधिक रूप से उपलब्ध लाभों एवं हकदार लाभार्थियों के मध्य की खाई को पाटकर समाज के वंचित एवं बहिष्कृत समूहों को विधिक रूप से सशक्त बनाना।
- विवादों के अनौपचारिक, त्वरित, सस्ते तथा प्रभावी समाधान के लिए लोक अदालतों एवं अन्य वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्रों की प्रणाली को सुदृढ़ करना एवं अतिभारित (अत्यधिक बोझ से दबी हुई) न्यायपालिका पर न्याय निर्णयन के भार को कम करना।
- प्रमुख उद्देश्य: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं-
- समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करना
- यह सुनिश्चित करना कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए, तथा
- विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन करना।
- विधिक साक्षरता एवं जागरूकता फैलाना, सामाजिक न्याय के मुकदमे प्रारंभ करना इत्यादि।




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